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शरद पवार के सामने ये क्या बोल गए अजित पवार; आखिर क्यों छोड़ना चाहते हैं नेता प्रतिपक्ष का पद?

मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार एक बार फिर चर्चा में हैं। वे यहां पार्टी छोड़ने की बात नहीं कर रहे हैं?
दरअसल, अजित पवार अब नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी से मुक्ति पाना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि उन्हें पार्टी में कोई बड़ी जवाबदारी दी जाए। अब इस बात की भी चर्चा हो रही है कि आखिर अजित पवार का अचानक हृदय परिवर्तन कैसे हो गया?
कुछ दिन पहले ही एनसीपी का राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद शरद पवार की सांसद बेटी सुप्रिया सुले ने कहा था कि नेता प्रतिपक्ष का पद भी ‘मुख्यमंत्री’ के बराबर होता है। तो फिर इतने अहम पद से मुक्त क्यों होना चाहते हैं अजित पवार? आखिर उनके दिमाग में चल क्या रहा है? इसको लेकर महाराष्ट्र में अलग-अलग अटकलों का बाजार गर्म है।


बहरहाल, अजित पवार ने बुधवार की शाम मुंबई के षण्मुखानंद हॉल में आयोजित एनसीपी के 24वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम में एनसीपी चीफ शरद पवार के सामने यह मांग रखी है।
दरअसल, शरद पवार द्वारा पार्टी में दो कार्यकारी अध्यक्ष तो बनाये गए हैं लेकिन अजित पवार को उनके मन माफिक जवाबदारी नहीं मिली है। कहा जा रहा था कि अजित पवार इससे काफी नाराज़ हैं। हालांकि, इन बातों का उन्होंने खंडन किया था। लेकिन कल के कार्यकम में उनके दिल की बात जुबां पर आ ही गई।

अजित पवार की मांग के बाद एनसीपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा है अब पार्टी को अध्यक्ष की कमान किसी ओबीसी नेता को देनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वह यह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं।
बता दें कि पूर्व कैबिनेट मंत्री व एनसीपी के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल बीते 5 सालों से प्रदेश अध्यक्ष बने हुए हैं। पार्टी के 24 वें स्थापना दिन पर अजित पवार ने खुले तौर पर संगठन की जिम्मेदारी की मांग की है। फिलहाल, अब फैसला शरद पवार को लेना है। शरद पवार का यह फैसला इसलिए भी अहम होगा क्योंकि अगले साल विधानसभा और लोकसभा के चुनाव होने हैं।

आखिर अजित पवार क्यों छोड़ना चाहते हैं नेता प्रतिपक्ष का पद?
अजित पवार ने कहा कि कुछ लोग यह कहते हैं कि मैं नेता प्रतिपक्ष के तौर पर सख्त व्यवहार नहीं करता हूं। उन्होंने कहा, मुझे नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम करने में कभी दिलचस्पी नहीं थी। लेकिन पार्टी विधायकों की मांग पर यह भूमिका स्वीकार की थी। उन्होंने कहा कि उनकी मांग पर फैसला करना एनसीपी नेतृत्व पर निर्भर है। अजित पवार ने कहा, मुझे पार्टी संगठन में कोई भी पद दे दें। मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, उसके साथ पूरा न्याय करूंगा।
गौरतलब है कि अजित पवार ने एमवीए गठबंधन वाली सरकार गिरने के बाद पिछले वर्ष जुलाई में नेता प्रतिपक्ष का पदभार संभाला था।
तत्कालीन एमवीए सरकार में वह उपमुख्यमंत्री थे। शिवसेना में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के कारण तत्कालीन एमवीए सरकार गिर गयी थी। कुछ दिन पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने अपनी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर महाराष्ट्र की जिम्मेदारी सौंपी थी। जबकि दूसरे कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को उन्होंने अन्य राज्यों की जिम्मेदारी दी है।

सुप्रिया सुले बोलीं- ‘दादा’ की इच्छा पूरी हो…
अजित पवार द्वारा प्रतिपक्ष नेता पद को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीपी की नई कार्यकारी अध्‍यक्ष सुप्रिया सुले की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्‍होंने कहा कि यदि ये दादा की इच्‍छा है, तो इसे पूरा होना चाहिए। हालांकि, इस बारे में संगठन फैसला लेगा।
अजित पवार ने एनसीपी के 24वें स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी नेतृत्व से अपील की थी कि उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी से मुक्त कर दें और पार्टी संगठन में कोई भूमिका सौंपें। मुझे जो भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, उसके साथ पूरा न्याय करूंगा।

अजित पवार एक प्रभावशाली नेता हैं, उनके बारे में NCP उचित फैसला करेगी: फडणवीस
महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष अजित पवार के नेता विपक्ष पद छोड़ने की इच्छा पर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, मैं इतना ही कहूंगा कि ये उनका अंतर्गत प्रश्न है। कौन किस पद पर काम करे ये एनसीपी का अंतर्गत मामला है उस पर मैं क्या कहूंं? इस बारे में मेरी कोई सलाह नहीं है। आखिर में अजित पवार, एनसीपी में एक प्रभावशाली नेता हैं उनके बारे में एनसीपी उचित फैसला करेगी।