शहर और राज्य शांति और समृद्धि का पवित्र त्यौहार है रक्षाबंधन… 11th August 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस वर्ष रक्षाबंधन पंद्रह अगस्त यानि गुरुवार को मनाया जाएगा। भाई-बहन के प्यार का प्रतीक यह त्योहार बहुत विशेष महत्त्व रखता है। बाबा अमरनाथ की धार्मिक यात्रा रक्षाबंधन के दिन ही संपूर्ण होती है। इस दिन बहन अपने भाई के हाथ में पवित्र धागा बांधकर उसकी लंबी आयु और सुख शांति की मनोकामना करती है। भाई भी बहनों को उपहार देते हैं। इन उपहारों में भाई की शुभकामनाएं समाहित होती हैं।इस पवित्र त्योहार पर जीवन में शांति और समृद्धि के लिए विशेष उपाय भी किए जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन किए गए उपाय बहुत फलदायक होते हैं। रक्षाबंधन के दिन शिवालय में अवश्य जाएं और शिवलिंग पर मीठा कच्चा दूध अर्पित करें। इस त्योहार पर संध्या के समय जब चंद्रमा के उदय होने का समय हो तब कच्चे दूध में मीठा डालकर चंद्रदेव को अर्घ्य दें। रक्षाबंधन के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाएं तथा मोतीचूर के लड्डू का प्रसाद अर्पित करें। उन्हें लाल गुलाब के पुष्प भी अर्पित करें। बहन को लाल रंग के वस्त्र और मोती की माला उपहार में दें। बहनों को दक्षिणा के साथ में चावल भी प्रदान करें। अगर किसी को नजर लगी हो तो रक्षाबंधन के दिन फिटकरी का टुकड़ा नजर लगे हुए व्यक्ति पर से उतारकर चूल्हे में जला दें।रक्षा का अर्थ सुरक्षा और बंधन का मतलब बाध्य होता है। रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बांधती है। बदले में वह अपने भाई से जीवनभर अपनी रक्षा करने का वादा लेती है। इस त्योहार के लिए बहने तैयारियों में जुट गयी हैं। रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट प्रेम को समर्पित त्योहार है जो सदियों से मनाया जाता आ रहा है। रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियों के बारे में आइए जानते हैं। भविष्य पुराण की कथा…पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धरती की रक्षा के लिए देवता और असुरों में 12 साल तक युद्ध चला लेकिन देवताओं को विजय नहीं मिली। तब देवगुरु बृहस्पति ने इंद्र की पत्नी शची को श्राणण शुक्ल की पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर रक्षासूत्र बनाने के लिए कहा। इंद्रणी ने वह रक्षा सूत्र इंद्र की दाहिनी कलाई में बांधा और फिर देवताओं ने असुरों को पराजित कर विजय हासिल की। द्रौपदी और श्रीकृष्ण की कथा…महाभारत काल में कृष्ण और द्रोपदी को भाई बहन माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गयी थी। तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधा था। उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था। तभी से रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है। कृष्ण ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए चीर हरण के समय द्रोपदी की रक्षा की थी। बादशाह हुमायूं और कमर्वती की कथा…रक्षाबंधन पर हुमायूं और रानी कर्मवती की कथा सबसे अधिक याद की जाती है। कहा जाता है कि राणा सांगा की विधवा पत्नी कर्मवती ने हुमांयू को राखी भेजकर चित्तौड़ की रक्षा करने का वचन मांगा था। हुमांयू ने भाई का धर्म निभाते हुए चित्तौड़ पर कभी आक्रमण नहीं किया और चित्तौड़ की रक्षा के लिए उसने बहादुरशाह से भी युद्ध किया। वामन अवतार कथा…एक बार भगवान विष्णु असुरों के राजा बलि के दान धर्म से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि से वरदान मांगने के लिए कहा। तब बलि ने उनसे पाताल लोक में बसने का वरदान मांगा। भगवान विष्णु के पाताल लोक चले जाने से माता लक्ष्मी और सभी देवता बहुत चिंतित हुए। तब मां ने लक्ष्मी गरीब स्त्री के वेश में पाताल लोक जाकर बलि को राखी बांधा और भगवान विष्णु को वहां से वापस ले जाने का वचन मांगा। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। तभी से रक्षाबंधन मनया जाता है। Post Views: 278