महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्यसामाजिक खबरें संजय पांडेय ने की खेल मैदान के रखरखाव में होने वाले पानी के दुरुपयोग को रोकने की अपील… 20th June 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र सौंपते संजय पांडेय मुंबई, भारत में पहली बार ‘पानी का अधिकार’ कानून की मांग उठाने वाले एक्टीविस्ट संजय पांडेय अब क्रिकेट मैदान के रख-रखाव में होने वाले पानी के दुरुपयोग को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। उनकी आगे की योजना हॉकी और फुटबॉल जैसे अन्य खेलों में मैदान के रख-रखाव में होने वाले पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवाज उठाने की है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि एक सामान्य क्रिकेट मैदान के रखरखाव में प्रतिदिन लगभग 3,000 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है। उन्होंने कुछ क्रिकेट निकायों पर सवाल उठाए जो कथित तौर पर इस काम के लिए शुद्ध आरओ-उपचारित पानी का उपयोग करते हैं।राज्य के दर्जनों मुख्य शहरों में में कम से कम चार से पांच बड़े खेल मैदान हैं जो विशाल क्षेत्र को कवर करते हैं। 2019 में पूरे राज्य में लगभग 29,000 गाँव सूखे की चपेट में आ गए हैं।पांडेय ने कहा कि विश्वसनीय अनुमान के अनुसार, क्रिकेट मैदान के नियमित रखरखाव के लिए प्रति माह लगभग 40,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, इसलिए देश के सभी क्षेत्र के खेलों के लिए सभी मैदानों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पानी की कुल मात्रा अकल्पनीय होगी।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने कुछ समय पहले बॉम्बे हाई कोर्ट को सूचित किया था कि इंडियन प्रीमियर लीग मैचों के दौरान मुंबई, पुणे और नागपुर में तीन पिचों के रख-रखाव के लिए लगभग 6,000,000 लीटर पानी की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह भी कहा था कि हर साल आयोजित होने वाली आईपीएल शृंखला के दौरान मैदान के रखरखाव के लिए प्रति दिन लगभग 60,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।पांडेय ने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और अन्य क्षेत्र के खेल निकायों से आग्रह किया कि वे पुनर्नवीनीकरण (रीसाइकिल्ड) पानी का उपयोग करें या शहर के जल संसाधनों पर बोझ को कम करने के लिए वर्षा जल संचयन प्रणालियों के माध्यम से इकट्ठा किए गए पानी का उपयोग करें। इसी तरह हॉकी, फुटबॉल और गोल्फ कोर्स जैसे अन्य खेलों के मैदान, जहां पानी की भारी मात्रा की जरूरत होती है और खेल के मैदान के आसपास रन-ऑफ क्षेत्र के लिए भी हर रोज लाखों लीटर की आवश्यकता होती है, वहां पुनर्नवीनीकृत जल (रीसाइकिल्ड) या इकट्ठा किए गए वर्षा जल पर आश्रित होना चाहिए।इस संबंध में, उन्होंने बताया कि कैलिफोर्निया में रबो बैंक एरिना, यूके में लॉर्ड्स और ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में रखरखाव के लिए पुनर्नवीनीकरण (रीसाइकिल्ड) पानी का उपयोग किया जाता है।पांडेय ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक पत्र लिखा है और संकट के समय में पानी की बर्बादी के गंभीर मुद्दे पर उनका ध्यान आकर्षित करने के लिए देश के सभी क्रिकेटिंग निकायों के साथ संवाद भी करने की बात कही है।महाराष्ट्र और देश के अन्य भागों के गांवों में संजय पाण्डेय का व्यापक रूप से भ्रमण उनके लिए एक मर्मभेदी अनुभव साबित हुआ और उन्होंने राहत उपलब्ध कराने के लिए हर संभव अल्पावधि उपाय को प्रारंभ करने और इस समस्या के सिर उठाते ही इसे कुचल देने के लिए दीर्घावधि उपायों को भी तलाशने का निर्णय लिया। उनके प्रयासों ने एक संस्था अर्थात ‘मुंबई वाटर वारियर्स’ के रूप में मूर्त आकार ग्रहण किया, जिसका उन्होंने जल संरक्षण एवं उपयोग के बारे में जागरुकता का प्रसार करने के लिए हाल ही में गठन किया है। यह संस्था आगे मुंबई जैसे शहरों में बचाए गए पानी को नियमित रूप से महाराष्ट्र के अकाल प्रभावित गांवों तक पहुँचाने की योजना बना रही है। मुंबई वाटर वारियर्स में बनाई गई कार्यनीति का मुख्याधार शिक्षित करना और जागरुकता पैदा करना है। पूर्वोल्लिखित समस्या पर उनके ‘एक बाल्टी पानी से क्या हो सकता है’ नामक वीडियो को आवास सोसायटियों और कारपोरेट संगठनों द्वारा समान रूप से पसंद किया गया है। इस दिलचस्प वीडियो में, संजय पाण्डेय ने प्रभावशाली रूप से स्पष्ट किया है कि यदि प्रत्येक नागरिक हर रोज कम से कम एक बाल्टी पानी की बचत करे तो यह किस प्रकार ग्रामीण, अकाल प्रभावित इलाकों के लिए एक बड़ी राहत में रूपांतरित हो सकता सकता है। संजय पाण्डेय के नेतृत्व में मुंबई वाटर वारियर्स द्वारा एक महीना का अभियान बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक सभी आयु वर्गों के बीच संदेश का प्रसार करने और आकर्षक ऑनलाइन प्रतियोगिताओं एवं ऑफ लाइन कार्यक्रमों के द्वारा सभी को प्रणबद्ध करने का प्रस्ताव भी करता है। महाराष्ट्र के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का वितरण करते संजय पांडेय जल मनुष्य के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है और हम वास्तव में उम्मीद करते हैं कि सभी जिम्मेदार लोग पानी के संरक्षण और उसका बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने में जमीनी स्तर पर ठोस पहल करेंगे। संजय पाण्डेय अपनी सभी सामाजिक गतिविधियों का संचालन ‘नानाजी देशमुख प्रतिष्ठान’ नामक एक एनजीओ के माध्यम से कर रहे हैं। Post Views: 195