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संजय राऊत बोले- मंदिर शुरू करने के फैसले पर भाजपा को नहीं लेना चाहिए श्रेय, जानिए- क्या है सरकार की गाइडलाइन…

मुंबई: महाराष्ट्र के सभी धार्मिक स्थल सोमवार से खोल दिए जाएंगे। इसे लेकर राज्य में सियासत शुरू हो गई है। शिवसेना के नेता संजय राउत ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महाराष्ट्र में मंदिर खुलने का श्रेय नहीं लेना चाहिए। कोरोना वायरस महामारी के बीच केंद्र द्वारा धार्मिक स्थलों को बंद करने का निर्णय लिया गया था।
सांसद राउत ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉकडाउन लागू किया गया था और मंदिरों को बंद करने का निर्णय भी उनके द्वारा लिया गया था। इसलिए भाजपा के पास इस मामले में श्रेय लेने का कोई हक नहीं है। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री को ऐसे लोगों को जीत और हार का अर्थ बताना होगा।
राउत ने यह बात एक रिपोर्टर द्वारा पूछे गए सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। रिपोर्टर ने सवाल किया कि भाजपा यह दावा कर रही है कि यहां धार्मिक स्थलों को फिर से खुलना हिंदुत्व की जीत है? गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) ने शनिवार को सूचित किया कि कोरोना महामारी के कारण कई महीनों तक बंद रहने के बाद महाराष्ट्र में सभी धार्मिक स्थल सोमवार 16 नवंबर से लोगों के लिए फिर से खुल जाएंगे।

मीडिया से बात करते हुए, महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री जयंत पाटिल ने कहा, निर्णय सही समय पर लिया गया है। इस समय कोरोना रोगियों की संख्या कम है। सभी धार्मिक स्थानों के लिए नियम समान होंगे। मास्क, सैनिटाइजर का उपयोग अनिवार्य होगा। शारीरिक दूरी ने नियम भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। कोविड-19 पर नियंत्रण के लिए लाकडाउन के साथ ही मार्च से प्रदेश के सभी धार्मिक स्थलों को बंद कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही थिएटर, सिनेमा हॉल व मल्टीप्लेक्स को पचास फीसद क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दे चुकी है। इसके बाद राज्य में पिछले कुछ समय में मंदिर खोलने को लेकर काफी राजनीति देखने को मिली। इसे लेकर पुजारियों ने भी आंदोलन किया। उनका कहना है कि और सबकुछ खुल सकती है तो मंदिर खोलने मे क्या दिक्कत हो रही है। लंबे वक्त से मंदिरों के बंद रहने के कारण आजीविका का संकट पैदा हो गया है।

जानिए- क्या है सरकार की गाइडलाइन
महाराष्ट्र सरकार ने 16 नवंबर से शर्तों के साथ सभी मंदिर खोले जाने की इजाजत दे दी है। इससे पहले जान लीजिए प्रार्थना स्थल शुरु करने से जुड़े निर्देश:-

  • प्रार्थना स्थलों में आने वाले लोगों का मास्क पहनना अनिवाोर्य होगा और समय समय पर हाथ धोना आवश्यक होगा। सामाजिक दूरी (6 फुट) का पालन जरूरी होगा। हाथों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखना होगा। खासते व छीकते समय मुह पर कपड़ा रखना अनिवार्य होगा।
  • 65 साल के उपर के लोग यदि उन्हें कोई बीमारी है तो वे घर पर रहे। इसी तरह गर्भवती महिलाओं व 10 साल से कम उम्र के बच्चे मंदिर नहीं जाने की सलाह दी गई है।
  • मंदिर में प्रवेश व निकास की अलग व्यवस्था की जाए। बिना मास्क के प्रार्थना स्थलों में किसी को प्रवेश न दिया जाए। मंदिर के प्रवेशद्वार पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था हो।
  • प्रार्थना स्थलों मे आने वाले लोगों को मूर्तियों व पवित्र किताबों को छूने की इजाजत नहीं होगी।
  • प्रार्थना स्थलों में रिकार्डेड भक्ति गीत बजाने की इजाजत होगी। समूह में भजन गाने से बचना होगा।
  • प्रार्थना स्थल में एक चटाई के इस्तेमाल से बचने के लिए कहा गया है। लोगों को अपनी चटाई लाने के निर्देश दिए गए है।
  • कोरोना से बचने के उपायों से जुड़े पोस्टर मंदिर परिसर के महत्वपूर्ण स्थान पर लगाना होगा। इन उपायों को लेकर जागरूकता फैलाने वाले वीडियों ग्राफ संदेश भी दिखाने होगे।
  • भीड़ नियंत्रण को लेकर प्रार्थना स्थल में प्रभावी इंतजाम करना होगा। मंदिर प्रबंधन स्थानीय निकाय के साथ मिलकर भीड़ नियंत्रण की दिशा में पहल करनी होगी। इसके तहत एक बार में कितने लोग मंदिर में जाएंगे। यह तय करना होगा।
  • मंदिर परिसर में प्रसाद बाटने व प्रार्थना स्थल में पवित्र जल के छिड़काव पर रोक होगी। अन्नदान की प्रक्रिया के दौरान समाजिक दूरी का पालन जरूरी होगा।
  • जूता-चप्पल को भक्तों को अपने वाहनों में रखना होगा। मंदिर परिसर के दुकानों,होटल व कैफीटेरिया में सामाजिक दूरी का पालन अनिवार्य होगा।
  • मंदिर परिसर में पड़े मास्क को नष्ट करने की प्रभावी व्यवस्था बनानी होगी। फर्श की नियमित अंतराल पर सफाई करना होगा। मंदिर परिसर में कार्यरत कर्मचारियों को कोरोना से जुड़े सुरक्षा उपायों व प्रोटोकॉल का का पालन करना जरुरी होगा। यदि कोई व्यक्ति बीमार पाया जाता है तो उसकी जानकारी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र को देनी होगी।