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सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में वकील प्रशांत भूषण का माफी मांगने से इनकार

नयी दिल्ली: वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में माफी मांगने से इनकार कर दिया है। ऐसे में उनको सजा मिलनी तय है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए प्रशांत भूषण को 24 अगस्त तक बिना शर्त माफी माफीनामा दाखिल करने का समय दिया था। भूषण ने लिखित जवाब दाखिल कर कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ट्वीट के लिए माफी मांगने की जरूरत है।’ बता दें कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने SC और चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था।
प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था। प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।
29 जून को उन्होंने चीफ जस्टिस बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था। प्रशांत भूषण ने कहा था, भारत के चीफ़ जस्टिस ऐसे वक़्त में राजभवन, नागपुर में एक बीजेपी नेता की 50 लाख की मोटरसाइकिल पर बिना मास्क या हेलमेट पहने सवारी करते हैं जब वे सुप्रीम कोर्ट को लॉकडाउन में रखकर नागरिकों को इंसाफ़ पाने के उनके मौलिक अधिकार से वंचित कर रहे हैं।
पिछली सुनवाई में प्रशांत भूषण ने अदालत में कहा था, मैं सदमे में हूं और इससे निराश भी हूं कि अदालत इस मामले में मेरे इरादों का कोई सबूत दिए बिना इस निष्कर्ष पर पहुंची है। अदालत ने मुझे शिकायत की कॉपी तक नहीं दी। मेरे लिए यह विश्वास करना मुश्किल है कि कोर्ट ने पाया कि मेरे ट्वीट ने संस्था की नींव को अस्थिर करने का प्रयास किया। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि मैं दया की अपील नहीं करता हूं। मेरे प्रमाणिक बयान के लिए कोर्ट की ओर से जो भी सजा मिलेगी, वह मुझे मंजूर होगा।
‘कंटेम्ट ऑफ़ कोर्ट्स एक्ट-1971’ के तहत छह महीने तक की जेल की सज़ा जुर्माने के साथ या इसके बगैर भी हो सकती है। इसी क़ानून में ये भी प्रावधान है कि अभियुक्त के माफ़ी मांगने पर अदालत चाहे तो उसे माफ़ कर सकती है। बेंच ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट का बचाव करते हुए कहा था कि उनके ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते।