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गोरखपुर को सिटी ऑफ नॉलेज के रूप में स्थापित करें : राष्ट्रपति


गोरखपुर , राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि प्रेम, करूणा और सद्भाव जैसे मूल्य ही शिक्षा के सर्वाधिक महत्वपूर्ण आयाम हैं। बुद्ध और कबीर अपने समय के बड़े शिक्षक थे। पूर्वांचल का सौभाग्य है कि यह दोनों से जुड़ी धरती है। शिक्षा की मूलभूत कसौटी अच्छा व्यक्तित्व होता है। उन्होंने आजादी के संघर्ष के दौरान महंत दिग्विजयनाथ द्वारा महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना, अपने दो महाविद्यालय देकर गोरखपुर विवि की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान देने और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए गोरक्षपीठ की सराहना की। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप ने जनता की रक्षा के लिए हंसते-हंसते वनवासी जीवन का वरण किया था। परिषद के विद्यार्थियों के व्यक्तित्व में उसकी झलक मिलनी चाहिए। राष्ट्रपति कोविंद ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 86वें संस्थापक सप्ताह समारोह में शताब्दी वर्ष के लिए ‘सिटी ऑफ़ नॉलेज’ के रूप में गोरखपुर को स्थापित करने का लक्ष्य दे दिया। गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में 11 विद्यार्थियों को अपने हाथों से पुरस्कृत करने के बाद अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति ने शिक्षा को विकास की कुंजी बताया। प्रसिद्ध समाजसेवी बाबा राघव दास, क्रांतिकारी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, प्रेमचंद, फिराक गोरखपुरी और गीता प्रेस का राष्ट्रपति ने अपने भाषण में खासतौर पर उल्लेख किया।राष्ट्रपति ने कहा कि देश में युवाओं की सबसे बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश में है। इस युवा शक्ति और संसाधनों का सही इस्तेमाल कर देश प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के विकास के बिना उत्तर प्रदेश का समग्र विकास नहीं हो सकता।