उत्तर प्रदेशदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य

कानपुर शूटआउट: विकास दुबे के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम तेलंगाना की तरह कुछ करेंगे

नयी दिल्ली: कुख्यात पांच लाख के इनामी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों के एन्काउंटर के मामले में जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट एक पैनल नियुक्त कर सकता है, जिसकी अध्यक्षता एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। इसके साथ ही यह पैनल आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले की भी जांच करेगा। दोनों घटनाओं की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एनआईए से जांच करने के लिए दायर की गई जनहित याचिकाओं का जवाब देते हुए, अदालत ने यूपी सरकार को गुरुवार तक का समय देते हुए पूछा कि वह अदालत को बताए कि वह किस तरह की समिति चाहती है।

मामले की अगली सुनवाई सोमवार 20 जुलाई को होगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने 27 वर्षीय महिला के बलात्कार और हत्या के आरोपी चार लोगों की मुठभेड़ का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ करेंगे (जैसे) हमने तेलंगाना मामले में क्या किया था। आप हमें बताएं कि आप किस तरह की समिति चाहते हैं।

बताते चलें कि तेलंगाना पुलिस ने कहा कि हिरासत में लिए गए चार आरोपितों ने हथियार छीनने से पहले सशस्त्र पुलिस पर लाठी और पत्थर से हमला किया था। लिहाजा, पुलिस के पास कोई विकल्प नहीं था और उन्हें गोली मार दी।

इस मामले के कुछ समय के बाद शीर्ष अदालत ने मामले की जांच के लिए सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया था। हालांकि, पैनल ने कोरोना वायरस के चलते अभी तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।

इस बीच, योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राज्य का जवाब तैयार करने के लिए और समय मांगा। उन्होंने कहा कि कृपया मुझे समय दें। हमने मामले को संज्ञान लिया है, लेकिन बहुत सारे तथ्य सार्वजनिक क्षेत्र में हैं। मुझे अदालत के सामने यूपी सरकार से अपने सभी तथ्य रखने चाहिए।

बता दें कि उज्जैन में गिरफ्तार किए जाने के बाद सड़क के रास्ते कानपुर लाए जाने के दौरान विकास दुबे की कार पलट गई थी। इस दौरान पुलिसकर्मियों की पिस्टल लूटकर विकास दुबे ने भागने की कोशिश की थी, जिसके बाद पुलिसकर्मियों ने उसे गोली मार दी थी। दो जुलाई को घर पर दबिश देने गई पुलिस पार्टी पर विकास दुबे और उसके साथियों ने हमला कर दिया था, जिसमें आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी और सात अन्य घायल हो गए थे।

यह बयान तेलंगाना मुठभेड़ में दिए गए पुलिस के बयान की तरह मिल रहा था। पुलिस ने कहा कि विकास दुबे ने एक पुलिस वाले से बंदूक छीन ली थी और उसे आत्मसमर्पण करवाने का प्रयास किया गया, लेकिन उसने जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर होकर पुलिस पर गोलीबारी की। हालांकि, पुलिस की घटनाओं पर जो बयान दिए हैं, उन पर सवाल उठ रहे हैं? वीडियो और गवाहों ने उन सवालों को उठाया है, जिनका अब तक पुलिस के पास कोई जवाब नहीं है।

यूपी सरकार ने पहले ही इस घटना की जांच के लिए एक स्वतंत्र एक सदस्यीय आयोग नियुक्त कर दिया है। इसमें एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश शामिल होगा और दो महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनी गई जनहित याचिका में से एक को मुंबई के एक वकील घनश्याम उपाध्याय ने लगाया था। उन्होंने विकास दुबे के एनकाउंटर में मारे जाने से कुछ घंटे पहले ही याचिका दायर की थी और आशंका जाहिर की थी कि विकास दुबे का एन्काउंटर हो सकता है। पीआईएल में गैंगस्टर के पांच सहयोगियों की हत्या की अदालत की निगरानी में जांच करने की मांग की थी।