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ईश्वर का रूप हैं ‘पिता’…”Father’s Day-2020’

भारत में प्रति वर्ष जून माह के तीसरे रविवार को ‘पितृ दिवस’ मनाया जाता है। पितृ दिवस सभी पिताओं को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन पितृत्व के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है।

पिता शब्द में ही ऐसा प्रेम हैं, जो कई बार हमे दिखाता नहीं है कि वो हमसे कितना प्यार करता है, उनकी मेहनत हम अपनी मौज मस्तियो में यूँ उड़ाते हैं जैसे हमें कोई फर्क ही नहीं पड़ता, लेकिन वो एक बाप ही जानता हैं इस चीज़ का दर्द! जब वो अपनी मेहनत को यूं बेकार होते हुए देखता हैं. हम इस शब्द का अर्थ तब समझते हैं जब हम किसी के माता-पिता बनते हैं. तब उनकी कही गयी हर बात याद आती हैं, उनकी डांट के पीछे का सबक समझ आता हैं.
पिता सिर्फ ‘पिता’ ही बल्कि सबसे अच्छे दोस्त भी हैं, जो समय-समय पर हमें अच्छी और बुरी बातों का आभास कराकर आगाह करते हैं. पिता मुझे हार न मानने और हमेशा आगे बढ़ने की सीख देते हुए मेरा हौसला बढ़ाते हैं. पिता से अच्छा मार्गदर्शक कोई हो ही नहीं सकता. हर बच्चा अपने पिता से ही सारे गुण सीखता है जो उसे जीवन भर परिस्थितियों के अनुसार ढलने के काम आते हैं. उनके पास सदैव हमें देने के लिए ज्ञान का अमूल्य भंडार होता है, जो कभी खत्म नहीं होता.

देखा जाये तो बच्चों का आमतौर पर माँ से ज्यादा लगाव होता है, क्योंकि वह खुलकर अपने इमोशन्स जाहिर करती हैं. हालांकि, पिता भले ही अपनी भावनाएं जाहिर न करें, लेकिन उनके दिमाग में चल रहा हर विचार अपने परिवार और बच्चों के भविष्य और जीवन को बेहतर बनाने से जुड़ा होता है.
तो आइये जानते हैं ”Father’s Day-2020′‘ पर ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में, जिनके बारे में पता लगते ही आप अपने पिता को ”Thank you Dad” कहने से नहीं रह सकते…

जाहिर है, अपने बच्चे के लिए तमाम कठिनाईयों को झेलने के बाद भी पिता के चेहरे पर कभी शिकन नहीं आती. वह बच्चों के सामने मुश्किल घड़ी में भी मुस्कुराता रहता है कि मेरे बच्चों को न मालूम पड़ें कि मैं कितनी मुसीबत झेल रह हूँ.
शायद इसीलिए कहते हैं कि ”पिता ईश्वर का रूप होते हैं”, क्योंकि खुद सृष्टि के रचयिता के अलावा दुसरे किसी के भीतर ऐसे गुण भला कहाँ हो सकते हैं. हमें जीवन जीने की कला सिखाने और अपना सम्पूर्ण जीवन हमारे सुख के लिए न्योछावर कर देने वाले पिता के लिए वैसे तो बच्चों को हर समय तत्पर रहना चाहिए, लेकिन अगर इतना संभव न हो तो, कम से कम साल में एक खास दिन (International father’s day) तो है ही! उनके त्याग और परिश्रम को चुकाया नहीं जा सकता, लेकिन कम से कम हम इतना तो कर ही सकते हैं कि उनके प्रति ‘कृतज्ञ’ बने रहे.

खिलौनों से लेकर पढ़ाई की किताबों के लिए
बचपन में खेलने के लिए खिलौनों से लेकर पढ़ाई के लिए किताबें उपलब्ध करवाने के लिए अपने पिता को जरूर शुक्रिया कहें. क्यों? क्योंकि खिलौनों ने आपको वो खुशी के पल दिए, जो आज भी आपके साथ मीठी यादों की तरह जुड़े हैं, जिन्हें देख आज भी आपके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और एक पल के लिए अपनी सारी चिंताएं भूल जाते हैं. वहीं किताबों ने आपको इस काबिल बनाया कि आप अपने पैरों पर खड़े हो सकें और खुद को दुनिया के सामने साबित कर सके.

हमेशा साथ बने रहने के लिए
पिता डांटते हों और अपनी भावनाएं जाहिर भले ही नहीं करते हों, लेकिन ऐसा कभी नहीं होता कि बच्चा किसी मुसीबत में हो और वह उसे उससे उबारने के लिए कुछ न करें. बचपन में ऊंगली पकड़कर चलवाने से लेकर जॉब के लिए पहले इंटरव्यू के लिए तैयार करने में पिता जो भूमिका निभाते हैं, उसे शब्दों में बयां करना मुमकिन नहीं है.

मजबूत व्यक्तित्व देने के लिए
इमोशनल साइड अगर मां की परवरिश की देन है, तो दुनिया से लड़ने की ताकत के लिए पर्सनैलिटी को डेवलप करने का क्रेडिट पिता को जाता है. आपको शायद अहसास भी न हो, लेकिन जिस तरह से आप आज इस प्रैक्टिकल दुनिया की चुनौतियों का सामना कर पा रहे हैं, वो आपने अपने पिता से ही सीखा है. किस तरह अपने जॉब के प्रति पैशनेट रहना है और अपने परिवार के लिए एक मजबूत पिलर बनना है, यह सीख भी पिता की ही देन है.

हर डांट में छुपा है प्यार
जी हां, हर डांट के लिए भी आपको पिता का शुक्रगुजार होना चाहिए. इसके कारण आप कितने बेहतर इंसान बन चुके हैं, इसका शायद आपको अंदाजा भी नहीं है. उदाहरण के लिए अगर पिता ने फिजूलखर्ची पर, गलत दोस्तों की संगत पर डांटा नहीं होता, तो आप कैसे पैसे बचाना सीखते? कैसे अपने घर का सपना देखते? उनकी हर डांट के पीछे सिर्फ और सिर्फ आपकी भलाई ही छिपी थी.

बचपन के हर लम्हे के लिए ‘थँक्स
पैदायशी परवरिश से हाथ पकड़कर चलना सिखाने से लेकर, तबीयत जरा सी खराब होने पर डॉक्टर के पास भागकर ले जाने, बेस्ट कपड़े और एजुकेशन प्रोवाइड करवाने तथा हर यथासंभव मदद पहुंचाने के लिए पिता को शुक्रिया जरूर कहें. आज आप जो भी हैं, वह उनके मार्गदर्शन के कारण ही है.