मुंबई शहरराजनीति शिवसेना के मंच के जरिए लोगों के लिए काम करती रहूंगी, कांग्रेस से जुड़ाव के लिए मुझे कोई पछतावा नहीं: उर्मिला मातोंडकर 29th December 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: अभिनेत्री से नेत्री बनीं उर्मिला मातोंडकर ने कहा कि कांग्रेस के साथ कुछ समय तक जुड़ने के लिए उन्हें कोई पछतावा नहीं है और पार्टी के नेतृत्व के लिए उनके मन में काफी सम्मान की भावना है। मातोंडकर हाल में शिवसेना में शामिल हो गई थीं। मातोंडकर ने कहा कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास आघाड़़ी (एमवीए) सरकार ने एक साल में शानदार काम किया है और कोविड-19 महामारी और प्राकृतिक आपदा के समय लोगों की अच्छी देखभाल की।उर्मिला मातोंडकर (46) ने कहा कि वह ‘जनता की अदाकारा’ हैं और ‘जनता की नेता’ बनने के लिए कठिन मेहनत करेंगी। उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसी नेता नहीं बनना चाहती, जो एसी रूम में बैठकर ट्वीट करे…मुझे पता है क्या करना है और कैसे काम करना है। मैं अनुभवों से सीख लूंगी।’गौरतलब है कि उर्मिला मातोंडकर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मुकाबले में उतरी थीं लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। एक साल बाद वह शिवसेना में शामिल हो गईं। वह पिछले साल मार्च में कांग्रेस में शामिल हुई थीं और सितंबर में उन्होंने पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस से कुछ समय के लिए अपने जुड़ाव पर उन्होंने कहा, मैं छह महीने से भी कम पार्टी में रही और लोकसभा चुनाव के लिए 28 दिनों तक प्रचार की अच्छी यादें मेरे साथ हैं। उन्होंने ने कहा कि वह ऐसी शख्स नहीं हैं कि उन्हें कोई अफसोस हो। कांग्रेस छोड़ने के बाद भी पार्टी के बारे में मैंने कुछ नहीं कहा। मुझे कोई कारण नज़र नहीं आता, अब क्यों ऐसा करना चाहूंगी। कांग्रेस से इस्तीफा देने के अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, मेरे लिए अंतरात्मा की आवाज ज्यादा मायने रखती है।मातोंडकर को मुंबई-उत्तरी लोकसभा सीट पर भाजपा के गोपाल शेट्टी से हार का सामना करना पड़ा था। मातोंडकर ने कहा कि चुनाव में हार के कारण उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने राज्यपाल के कोटे से राज्य विधानसभा में मनोनीत किए जाने की भी पेशकश की थी। मातोंडकर ने कहा, मैंने सोचा कि पार्टी से अलग हो चुकी हूं, इसलिए कोई पद लेना ठीक नहीं रहेगा। शिवसेना से जुड़ने के बारे में उन्होंने कहा, मुझे मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया था। मुझसे कहा गया कि विधान परिषद में संस्कृति मामलों के मानकों को बढ़ाने में मैं मदद कर सकती हूं। मुझे लगा कि राज्य में एमवीए सरकार ने अच्छा काम किया है। कोविड-19 और प्राकृतिक आपदाओं के समय सरकार ने जनकल्याणकारी काम किए हैं।आगे उन्होंने कहा, धर्मनिरपेक्ष होने का मतलब यह नहीं है कि आप धर्म में यकीन नहीं रखते, वहीं हिंदू होने का यह मतलब नहीं है कि आप दूसरे धर्म से नफरत करते हैं। शिवसेना हिंदुत्ववादी पार्टी है। हिंदू धर्म समावेशी धर्म है। राज्य सरकार ने महाराष्ट्र विधान परिषद में एक सीट के लिए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मातोंडकर के नाम की सिफारिश की है। राज्यपाल कोटे से ऊपरी सदन में मनोनीत किए जाने के लिए सरकार द्वारा भेजे गए 12 लोगों के नामों पर कोश्यारी ने अभी कोई फैसला नहीं किया है। मातोंडकर ने कहा कि राज्यपाल कोटे के तहत विधान परिषद के लिए उनका नामांकन स्वीकार नहीं होता है तो भी वह शिवसेना के मंच के जरिए लोगों के लिए काम करती रहेंगी। Post Views: 165