ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रराजनीति जानिए- उद्धव सरकार का भविष्य किन चार कारणों से इनके हाथों में है… 25th June 2022 Network Mahanagar 🔊 Listen to this मुंबई,(राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में अचानक से विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल की भूमिका बेहद अहम हो गई है। दरअसल, शिवसेना के बागी गुट के 37 विधायकों ने शुक्रवार को जिरवाल को एक ख़त लिखा है और कहा है कि एकनाथ शिंदे उनके नेता हैं। इससे दो दिन पहले एकनाथ शिंदे ने 34 विधायकों के हस्ताक्षर वाला एक पत्र विधानसभा उपाध्यक्ष जिरवाल को लिखा था, जिसमें एकनाथ शिंदे को समूह का नेता और भरत गोगावले को व्हिप जारी करने वाले नेता के तौर पर मान्यता देने की सिफारिश की गई थी। लेकिन जिरवाल ने कहा है कि 34 विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र अभी उनकी नज़रों में नहीं आया है। जिरवाल ने गुरुवार सुबह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई मुद्दों पर अपनी बात रखी थी। नरहरि जिरवाल ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ज़रूर कहा है कि उन्हें राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का पत्र ज़रूर मिला था जिसके आधार पर उन्होंने अजय चौधरी को विधानसभा में पार्टी का नेता और सुनील प्रभु को पार्टी की ओर से व्हिप जारी करने वाले नेता के तौर पर नियुक्त किया है। विधानसभा उपाध्यक्ष से जब पूछा गया कि अगर उन्हें शिवसेना के दो तिहाई विधायकों का पत्र मिलता है तो क्या वे उन्हें अलग गुट के तौर पर मान्यता देंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में वे सोच-विचार करके ही फ़ैसला लेंगे। 16 बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी अब महाराष्ट्र में चल रहे सियासी ड्रामे में एक नया मोड़ आ गया है। शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने गुवाहटी में रह रहे एकनाथ शिंदे खेमे के 16 बागी विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी कर दिया है। इस नोटिस में इन विधायकों को सोमवार 27 जून शाम 5.30 तक लिखित जवाब देने का समय दिया गया है। वहीं, शिवसेना ने भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल न होने पर सभी बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है। चार नए विधायकों के खिलाफ एक्शन की मांग शिवसेना ने जिन चार नए विधायकों के खिलाफ एक्शन की मांग की गई उनमें सदा सरवणकर, प्रकाश आबिटकर, संजय रायमुलकर, रमेश बोरनारे के नाम शामिल हैं। पार्टी ने इससे पहले 12 विधायकों की सदस्यता को रद्द करने का आवेदन दिया था। क्यों अहम होगी विधानसभा उपाध्यक्ष की भूमिका? 1. यदि एकनाथ शिंदे अपने गुट की अलग मान्यता के लिए आवेदन करते हैं, तो उनका आवेदन विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के पास ही आएगा और वे इस पर फ़ैसला लेंगे। 2. यदि नरहरि जिरवाल ने अलग गुट को मान्यता दी तो उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार (MVA) गिर सकती है। 3. विधानसभा उपाध्यक्ष यदि ‘शिंदे गुट’ को मान्यता नहीं देते हैं तो यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक जाएगा। 4. यदि उद्धव ठाकरे सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पास होता है तो सदन की कार्यवाही चलाने की ज़िम्मेदारी नरहरि जिरवाल पर होगी और ऐसे में उनकी भूमिका बहुत अहम होगी। मौजूदा घटनाक्रम पर नज़र डालें तो एनसीपी मुखिया शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को समर्थन देने की बात की है। उन्होंने कहा है कि अगर बाग़ी नेताओं को उद्धव ठाकरे सरकार से अपना समर्थन वापिस लेना है तो इसके लिए उन्हें महाराष्ट्र आना होगा और इसका फ़ैसला सदन में फ्लोर टेस्ट कराकर किया जाना चाहिए। दो निर्दलीय विधायकों ने नरहरि जिरवाल को पत्र लिखा है कि वो किसी एमएलए को सस्पेंड नहीं कर सकते हैं। इसकी वजह बताते हुए इन विधायकों का कहना है कि विधानसभा उपाध्यक्ष के खिलाफ पहले से ही अविश्वास प्रस्ताव लंबित है। ऐसे में जिरवाल ये निर्णय नहीं ले सकते, क्योंकि यह अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है। वहीँ विधान भवन के पूर्व प्रधान सचिव डॉ अनंत कलसे ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 180 में साफ तौर से कहा गया है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद खाली होने पर उपाध्यक्ष को निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। मुझे नहीं लगता कि निर्दलीय विधायकों की यह मांग अदालत में टिक सकती है। जानें- कौन हैं नरहरि जिरवाल? नरहरि जिरवाल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से हैं। वह नासिक जिले के डिंडोरी विधानसभा से तीन बार विधायक रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में 2020 से कोई स्पीकर नहीं है। महाराष्ट्र में 2019 में उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महाविकास अघाड़ी (MVA) की सरकार बनी थी। तब नाना पटोले को विधानसभा स्पीकर बनाया गया था। इसके बाद पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल गई थी। ऐसा होने पर 2020 में नाना पटोले ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर का पद छोड़ दिया था। इसके बाद से यह पद खाली पड़ा हुआ था। तब से महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर का चयन नहीं हो पाया है। नरहरि जिरवाल विधानसभा उपाध्यक्ष के पद पर निर्विरोध चुने गए थे। जिरवाल को समाज के उपेक्षित और वंचित लोगों के लिए काम करने वाले जन प्रतिनिधि के तौर पर देखा जाता है। उन्हें जानने वाले लोगों के मुताबिक़, वो बेहद सरल और विनम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं। आदिवासी इलाकों में काम करके उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। जिरवाल को एनसीपी चीफ शरद पवार का बेहद क़रीबी माना जाता है। और वे खुद भी लोगों से संपर्क बनाए रखने में यक़ीन मानने वाले ज़मीनी नेता है। शिवसेना द्वारा आज पारित किये गए 6 प्रस्ताव 1. उद्धव ठाकरे ने जब से शिवसेना प्रमुख के रूप में पार्टी की बागडोर संभाली है, उन्होंने शिवसैनिकों को प्रभावी नेतृत्व दिया है। उन्हें भविष्य में भी पार्टी का मार्गदर्शन करते रहना चाहिए। 2. कार्यकारिणी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे के प्रभावशाली प्रदर्शन और देश और दुनिया भर में हासिल की गई उपलब्धियों पर गर्व है। 3. कार्यकारिणी महाराष्ट्र में आगामी नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत, जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत चुनाव पूरे जोश के साथ लड़ने और हर जगह शिवसेना का भगवा झंडा फहराने के लिए कटिबद्ध है। 4. कार्यकारिणी मुंबई शहर और उपनगरों, तटीय सड़कों, मेट्रो रेल मार्गों, विभिन्न सौंदर्यीकरण परियोजनाओं और ऋण माफी जैसे जनहित वाले फ़ैसलों के लिए महाराष्ट्र सरकार और मुंबई नगर निगम को धन्यवाद देती है। 5. शिवसेना और बालासाहेब एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और उन्हें अलग नहीं किया जा सकता है और कोई भी ऐसा नहीं कर सकता है। इसलिए बालासाहेब ठाकरे नाम का इस्तेमाल शिवसेना पार्टी के अलावा कोई भी नहीं कर सकता है। शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की है और रहेगी। 6. शिवसेना हिंदुत्व के विचारों के प्रति ईमानदार थी और रहेगी। शिवसेना ने महाराष्ट्र की अखंडता और मराठी लोगों की पहचान के लिए कभी धोखा नहीं दिया और न देगी। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को यह अधिकार दिया जा रहा है कि जो भी शिवसेना को धोखा देगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो। Post Views: 340