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भाजपा में शामिल हुए कृपाशंकर सिंह, राहुल गांधी से नाराज होकर छोड़ी थी कांग्रेस

मुंबई: महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे कृपाशंकर सिंह आखिरकार 22 महीने के लंबे इंतजार के बाद बुधवार दोपहर भाजपा में शामिल हो गए। दोपहर 12.30 बजे कृपाशंकर सिंह पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल की उपस्थिति में औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हुए। सिंह के साथ नासिक जिले के निफाड विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक स्व. रावसाहेब कदम के बेटे यतीन कदम भी भाजपा में शामिल हुए हैं।
भाजपा ने फरवरी 2022 में होने वाले यूपी विधानसभा और मुंबई महानगरपालिका चुनाव से पहले महाराष्ट्र के उत्तर भारतीय वोट बैंक में सबसे बड़ी सेंधमारी की है। कांग्रेस छोड़ने के बाद पिछले करीब दो वर्षों से फ्रीलांस पॉलिटिक्स कर रहे पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह को भाजपा में शामिल कराया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, मुंबई अध्यक्ष विधायक मंगल प्रभात लोढा, सांसद पूनम महाजन, सांसद रीता बहुगुणा जोशी, भाजपा उत्तर भारतीय मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष संजय पांडे सहित सूबे के कई बड़े नेताओं की उपस्थिति में कृपाशंकर सिंह ने भाजपा में प्रवेश किया।

कृपाशंकर सिंह ने भाजपा के राष्ट्रवाद की विचारधारा में प्रवेश किया है: फडणवीस
इस अवसर पर पूर्व सीएम फडणवीस ने कहा कि कृपाशंकर सिंह का आज कांग्रेस छोड़कर भाजपा में प्रवेश नहीं हो रहा है बल्कि एक विचारधारा को छोड़कर भाजपा के राष्ट्रीयता और राष्ट्रवाद के विचारधारा में उन्होंने प्रवेश किया है। कृपाशंकर सिंह के पास वर्षों से कांग्रेस की विचारधारा थी। उन्होंने उस पार्टी की विचारधारा के लिए प्रमाणिकता से काम भी किया। परंतु जब अनुच्छेद 370 का मुद्दा सामने आया, तब उनकी राष्ट्रीयता जागरूक हो गई। और उन्हें लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर की समस्या का स्थायी समाधान निकाल रहे हैं जबकि कांग्रेस अनुच्छेद 370 का विरोध कर रही है। यह बात कृपाशंकर को सहन नहीं हुई। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखकर अनुच्छेद 370 का समर्थन करने की मांग की। परंतु जब कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 का समर्थन नहीं किया, तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद भी वे किसी पार्टी में शामिल नहीं हुए बल्कि छह महीने तक अनुच्छेद 370 की जनजागृति करते रहे।

कृपाशंकर भाजपा की नीतियों, आदर्शों और चलन की ओर आकर्षित होकर पार्टी में शामिल हुए हैं: बहुगुणा
उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कृपाशंकर सिंह के भाजपा में शामिल होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कृपाशंकर जौनपुरवासी हैं और मैं प्रयागराजवासी हूं। दोनों जिलों के बीच 80 किमी का अंतर है लेकिन इनसे हमारा 20 साल पुराना पारिवारिक संबंध है। कृपाशंकर भाजपा की नीतियों, आदर्शों और चलन की ओर आकर्षित होकर होकर पार्टी में आए हैं।

भाजपा ने मुझे स्वीकार किया इसके लिए मैं भाजपा का आभारी ​​​​​हूं: कृपाशंकर
लंबे समय से कांग्रेस में रहे कृपाशंकर सिंह भाजपा में प्रवेश करते वक्त भावुक हो गए। उन्होंने कहा, मैं आभारी हूं कि भाजपा ने मुझे स्वीकार किया है। भाजपा ने मेरी राष्ट्रीयता की विचारधारा को समझकर मुझे स्वीकार किया। कृपाशंकर सिंह ने भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल से मुखातिब होते हुए कहा कि ‘दादा ‘आप मुझ पर किसी काम के लिए एक बार विश्वास करें, मैं आपके विश्वास पर खरा उतरकर दिखाऊंगा। उन्होंने कहा कि अभी तो यह झांकी है, आगे बहुत कुछ बाकी है। महाराष्ट्र का उत्तर भारतीय समाज आने वाले मनपा सहित अन्य सभी चुनावों में पूरी तरह से भाजपा के समर्थन में खड़ा होगा।

महाराष्ट्र के इन शहरों में उत्तर भारतीय समाज निर्णायक भूमिका में है
बता दें कि महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री और मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए कृपाशंकर सिंह ने पूरे राज्य में अपना जनाधार निर्माण किया। मुंबई के अलावा मिरा-भाईंदर, नालासोपारा, वसई-विरार, पालघर, ठाणे, नवी मुंबई, भिवंडी, नासिक, पुणे और औरंगाबाद सहित महाराष्ट्र के कई जिलों में उत्तर भारतीय समाज के लोगों की संख्या चुनाव में निर्णायक रहती है। अब कृपाशंकर सिंह के भाजपा में शामिल होने से पार्टी को इन जिलों में राजनीतिक ढंग से फायदा होने की संभावना जताई जा रही है।

 

राहुल गांधी से नाराज होकर छोड़ी थी पार्टी
कृपाशंकर सिंह की गिनती कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में होती थी। गांधी परिवार (सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी) के वे काफी करीब रहे हैं। यही वजह है कि कृपाशंकर जब मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तब मुंबई कांग्रेस के कार्यालय का उद्घाटन करने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद आईं थीं। मगर कांग्रेस की कमान राहुल गांधी के हाथ आते ही मुंबई में राजनीतिक समीकरण बदलने लगे। राहुल ने कृपाशंकर सिंह के बदले मूलत: बिहार से आने वाले हिंदी भाषी नेता संजय निरुपम को संगठन में बढ़ाना शुरू किया, तो बात बिगड़ती चली गई।
कृपाशंकर कांग्रेस पार्टी से उसी वक्त से अंदरखाने से नाराज होने लगे थे, तब कांग्रेस के एक पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री ने उनके खिलाफ साजिश रचकर आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें फंसाना शुरू किया और गांधी परिवार सब कुछ जानते हुए खामोश रहा। इस अंदरूनी नाराजगी के बीच पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री गुरुदास कामद के निधन से खाली हुई उत्तर पश्चिम लोकसभा सीट से कृपाशंकर सिंह ने 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा पार्टी के सामने जाहिर की। परंतु राहुल गांधी ने तब कृपाशंकर सिंह के बदले संजय निरुपम को इस सीट से उम्मीदवार बनाया, जबकि निरुपम उत्तर मुंबई से सांसद रह चुके थे। इसलिए मुंबई कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का मानना था कि निरुपम को राहुल गांधी उत्तर मुंबई से ही उम्मीदवार बनाएं। इस तरह लोकसभा की उम्मीदवारी न मिलने पर कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में आर्टिकल 370 का मुद्दा उठाया और जब पार्टी ने इस पर अपनी कोई स्पष्ट राय नहीं रखी, तो उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया।

क्या होगा भाजपा को सियासी लाभ?
कृपाशंकर सिंह के रूप में उत्तर भारतीयों में जनाधार रखने वाला एक बड़ा नेता फरवरी 2022 में होने वाले मुंबई मनपा सहित अन्य स्थानीय निकाय चुनावों से पहले भाजपा को मिल गया है। चूंकि कोरोना महामारी के बीच कुछ महीने के अनलॉक के दौरान परिश्रम- द वाइस ऑफ हार्ड वर्कर्स अभियान चलाकर वे मुंबई, नवी मुंबई, मीरा-भाईंदर, वसई-विरार, पालघर सहित अन्य शहरों में भारी जनसंपर्क कर चुके हैं। लिहाजा कृपाशंकर सिंह के भाजपा में शामिल होने से पहले से ही भाजपा की ओर झुके उत्तर भारतीय वोटर अब कांग्रेस की ओर नहीं जाएंगे। दूसरी ओर मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान भाई जगताप के रूप में मराठी भाषी व्यक्ति के हाथ होने की वजह से पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीम खान, पूर्व सांसद संजय निरुपम सहित कोई भी बड़ा कांग्रेसी नेता संगठन को मजबूत करने में रूचि नहीं ले रहा है। राजनीतिक पंडित अनुमान लगा रहे है कि मुंबई में अब कांग्रेस के उत्तर भारतीय वोट बैंक में कृपाशंकर सिंह भारी सेंधमारी कर सकते हैं।