ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहर एक ही नंबर की चल रही थीं 330 स्कूटी, सवा लाख रुपये के ई-चालान से हुआ खुलासा…! 30th March 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई , वैसे तो मोटर वाहन अधिनियम में 223 धाराएं हैं जिनमें से Motor Vehicles Act 1988 के अधीन एक वाहन को एक ही अस्थाई नंबर मिलता है, जिसे टीसी नंबर के नाम से जाना जाता है, लेकिन मुंबई में एक टीसी नंबर की 330 स्कूटी चल रही थीं। यह सनसनीखेज खुलासा तब हुआ, जब ट्रैफिक पुलिस ने घाटकोपर में एक महिला को नो एंट्री जोन में पकड़ा।एसीपी विनायक वस्त ने शुक्रवार को बताया कि महिला की स्कूटी पर MH 03 TC 337 नंबर लिखा हुआ था। पुलिस जब ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को रोकती है, तो सबसे पहले उनके वाहन नंबर को लैपटॉप या मोबाइल में टाइप कर चेक करती है कि उनका कोई बकाया तो नहीं है।उसी में पता चला कि संबंधित वाहन नंबर वाली महिला को ट्रैफिक पुलिस को 1 लाख, 24 हजार, 700 रुपये देने हैं। जब महिला को इतना फाइन देने को कहा गया, तो उसने कहा कि उसने महज 8 दिन पहले एम/एस अर्चना मोटर्स, विक्रोली से यह स्कूटी 67 हजार रुपये में खरीदी है। इन आठ दिनों में उसने कोई भी ट्रैफिक कानून का उल्लंघन नहीं किया, इसलिए इतना बड़ा जुर्माना उस पर बनता ही नहीं है। खुद पुलिस को भी महिला की बात सही लगी, इसलिए एम/एस अर्चना मोटर्स के मालिक महादेव कोनकर को सच्चाई जानने के लिए बुलाया गया।उसने फिर इस ठगी की परतें धीरे-धीरे खोल ही दीं। उसने बताया कि जनवरी, 2016 से अब तक 330 स्कूटी मालिकों को MH 03 TC 337 बोगस नंबर अलॉट किए गए। उसी में पता चला कि MH 03 TC 337 नंबर जिन लोगों को मिला, उनमें से, जिन्होंने भी ट्रैफिक नियमों को उल्लंघन किया, इस नंबर की स्कूटी के नाम से यह जुर्माना बढ़ता गया। महादेव कोनकर से यह भी पता चला कि टीसी नंबर की इस ठगी में मुंबई के दो और डीलर भी शामिल हैं।एसीपी विनायक वस्त कहते हैं कि MH 03 TC 337 नंबर मूलत: आरटीओ वडाला द्वारा मुलुंड की हिंदुस्थान को-ऑप बैंक को अधिकृत जारी किया गया था। इसके अलावा यह किसी और को कभी इश्यू नहीं किया गया। तब फिर यह नंबर कैसे 330 स्कूटी मालिकों को मिला और इस नंबर को इश्यू करने से डीलरों को क्या फायदा होता है/ विनायक वस्त के अनुसार, टीसी नंबर आरटीओ से ही मिलता है और इसकी फीस व इंश्योरेंस के लिए आरटीओ में चार से पांच हजार रुपये जमा करने पड़ते हैं। डीलर ग्राहकों से यह रकम यह कहकर ले लेते हैं कि वे आरटीओ से खुद यह काम करवा लेंगे। लेकिन डीलर आरटीओ से यह काम अधिकृत करवाते नहीं और फर्जी टीसी नंबर जारी कर खुद आरटीओ में जमा करने वाली रकम अपने पास रख लेते हैं। एसीपी का कहना है कि टीसी नंबर टेंपरेरी नंबर होता है। वाहन मालिक को बाद में स्थाई नंबर पाने के लिए एक निर्धारित दिन में आरटीओ जाकर दूसरा नंबर लेना पड़ता है, इसलिए अस्थाई टीसी नंबर का यह खेल शुक्रवार से पहले कभी पकड़ में आया ही नहीं। Post Views: 167