दिल्लीदेश दुनियासामाजिक खबरें 25 सितंबर को पूरी तरह लागू हो जाएगी ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ 23rd September 2018 networkmahanagar 🔊 Listen to this नई दिल्ली ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) को आज झारखंड से लॉन्च कर दिया। यह योजना प्रभावी तौर पर 2 दिन बाद 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पूरी तरह लागू हो जाएगी। इसे दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ प्रोग्राम भी कहा जा रहा है। अभी देश के 29 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 445 जिलों में यह योजना लागू होने जा रही है, क्योंकि ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों ने अभी इसे नहीं अपनाया है। इसके तहत 10 करोड़ परिवारों यानी करीब 50 करोड़ लोगों को सालाना 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिलेगी। इस योजना की खास बातें : – कितने परिवार हो रहे हैं कवर? इस योजना के तहत 10.74 करोड़ परिवारों के करीब 50 करोड़ लोग लाभार्थी होंगे। इनमें से करीब 8 करोड़ ग्रामीण परिवार हैं तो करीब 2.4 करोड़ शहरी परिवार हैं। इस तरह देश की करीब 40 प्रतिशत आबादी को इसके तहत मेडिकल कवर मिल जाएगा। लाभार्थी परिवार पैनल में शामिल सरकारी या निजी अस्पताल में प्रति साल 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज करा सकेंगे। इसके तहत इलाज पूरी तरह कैशलेस होगा। इस स्कीम की शुरुआत के साथ ही देश के 10,000 सरकारी और निजी अस्पतालों में गरीबों के लिए 2.65 लाख बेड की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। क्या पूरा खर्च केंद्र वहन कर रहा है? नहीं, इस योजना पर होने वाले खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठाएंगी। PMJAY पर आने वाले खर्च का 60 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी और 40 प्रतिशत भार राज्य सरकारों पर पड़ेगा। मौजूदा वित्त वर्ष में इस योजना की वजह से केंद्र पर 3,500 करोड़ का भार पड़ने का अनुमान है। 2018-19 के बजट में केंद्र इस मद में 2,000 करोड़ रुपये की टोकन मनी उपलब्ध करा चुका है। आरोग्य मित्रों की भूमिका क्या होगी? नैशनल हेल्थ एजेंसी ने 14,000 आरोग्य मित्रों को अस्पतालों में तैनात किया गया है। इनके पास मरीजों की पहचान सत्यापित करने और उन्हें इलाज के दौरान मदद करने का काम होगा। लाभार्थियों के वेरिफिकेशन में इन आरोग्य मित्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, इसके अलावा किसी भी पूछताछ और समस्याओं के समाधान के लिए भी मरीज इन लोगों से संपर्क कर सकेंगे। क्या है पात्रता का आधार? 2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना में गरीब के तौर पर चिह्नित किए गए सभी लोगों को इसके लिए पात्र माना गया है। इसका मतलब यह भी है कि अगर कोई शख्स 2011 के बाद गरीब हुआ है तो वह इसके फायदे से वंचित हो जाएगा। बीमा कवर के लिए उम्र की भी बाध्यता नहीं रहेगी, न ही परिवार के आकार को लेकर कोई बंदिश है। इसका मकसद सभी गरीबों को हेल्थ प्रोग्राम से जोड़ना है। अपना नाम कैसे चेक करें? योजना को संचालित करने वाली नैशनल हेल्थ एजेंसी (NHA) ने एक वेबसाइट और हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया है, जिसके जरिए कोई भी यह जांच सकता है कि लाभार्थियों की फाइनल लिस्ट में उसका नाम शामिल है या नहीं। लिस्ट में अपना नाम जांचने के लिए आप mera.pmjay.gov.in वेबसाइट देख सकते हैं या हेल्पलाइन नंबर 14555 पर कॉल कर सकते हैं। किस अस्पताल में इलाज, सरकारी या प्राइवेट? इस योजना के लिए सरकार की सूची में शामिल सरकारी या प्राइवेट किसी भी अस्पताल में इलाज के दौरान इसका लाभ लिया जा सकता है। बड़ी तादाद में सरकारी और निजी अस्पतालों ने इससे जुड़ने की इच्छा जताई है। सरकार को अब तक 15,500 से ज्यादा अस्पतालों से इससे जुड़ने के लिए आवेदन मिल चुके हैं। इनमें से 7,500 यानी करीब आधे आवेदन प्राइवेट हॉस्पिटलों के हैं। करीब 10 हजार अस्पतालों को इस स्कीम के लिए चुना जा चुका हैं, जिनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों अस्पताल शामिल हैं। इलाज के कुल 1,354 पैकेज हैं, जिसमें कैंसर सर्जरी और कीमोथेरपी, रेडिएशन थेरपी, हार्ट बाइपास सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, रीढ़ की सर्जरी, दांतों की सर्जरी, आंखों की सर्जरी और एमआरआई और सीटी स्कैन जैसे जांच शामिल हैं। क्यों जरूरी थी यह योजना? देश की एक बड़ी आबादी गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं है। स्थिति कितनी गंभीर है इसका अंदाजा ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन से लग सकता है। अध्ययन में सामने आया कि भारत में 5.5 करोड़ लोग सिर्फ इसलिए गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गए क्योंकि उन्हें इलाज में काफी पैसा बहाना पड़ा। इनमें से 3.8 करोड़ लोग तो सिर्फ दवाओं पर खर्च करने के कारण ही गरीब हो गए। नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (NSSO) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक देश के करीब 85.9 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों और 82 प्रतिशत शहरी परिवारों की हेल्थकेयर इंश्योरेंस तक पहुंच नहीं हैं। इतना ही नहीं, देश की करीब 17 प्रतिशत आबादी अपनी कमाई का 10 प्रतिशत सिर्फ इलाज पर खर्च कर देते हैं। इन आंकड़ों को देखते हुए आसानी से समझा जा सकता है कि इस तरह की योजना क्यों जरूरी थी। क्या आधार कार्ड जरूरी है ? इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है। आप पात्र हैं तो आपको बस अपनी पहचान स्थापित करनी होगी, जिसे आप आधार कार्ड या मतदाता पहचान पत्र या राशन कार्ड जैसे पहचान पत्रों से स्थापित कर सकते हैं। क्लेम कैसे करें? सरकार के पैनल में शामिल हर अस्पताल में ‘आयुष्मान मित्र हेल्प डेस्क’ होगा। वहां लाभार्थी अपनी पात्रता को डॉक्युमेंट्स के जरिए वेरिफाई कर सकेगा। इलाज के लिए किसी स्पेशल कार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी, सिर्फ लाभार्थी को अपनी पहचान स्थापित करनी होगी। पात्र लाभार्थी को इलाज के लिए अस्पताल को एक पैसे भी नहीं देने होंगे। इलाज पूरी तरह कैशलैश होगा। Post Views: 199