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100 करोड़ की वसूली मामले में अनिल देशमुख के खिलाफ मेरे पास अतिरिक्त सुबूत नहीं: परमबीर सिंह

मुंबई: महाराष्ट्र में मनी लांड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए गए महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मेडिकल जांच के लिए गुरुवार को यहां सरकारी जेजे अस्पताल ले जाया गया, एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने कहा कि उनकी सेहत स्थिर है। देशमुख फिलहाल ईडी की हिरासत में हैं, जहां उनसे मनी लांड्रिंग मामले में पूछताछ जारी है। अधिकारी ने बताया कि राकांपा नेता को दोपहर करीब 12 बजे ईडी के कार्यालय से बाहर लाया गया और उन्हें दक्षिण मुंबई के अस्पताल ले जाया गया। अधिकारी ने कहा कि दोपहर 12.30 से 1.30 बजे के बीच अस्पताल में उनकी नियमित जांच की गई, इसके बाद वह ईडी के कार्यालय में वापस चले गए।
बता दें कि मनी लांड्रिंग मामले में देशमुख (71) को ईडी ने सोमवार देर रात 12 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। पूर्व मंत्री ने मामले में ईडी द्वारा जारी किए गए कई समन को छोड़ दिया था, लेकिन बांबे हाईकोर्ट द्वारा पिछले हफ्ते उन्हें रद्द करने से इन्कार करने के बाद, वह सोमवार को एजेंसी के सामने पेश हुए। यहां की एक विशेष अवकाश अदालत ने मंगलवार को उसे छह नवंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।
ईडी ने अदालत को बताया था कि अनिल देशमुख अपराध की आय का ‘मुख्य लाभार्थी’ था और सीधे तौर पर मनी लांड्रिंग के अपराध में शामिल था। केंद्रीय एजेंसी ने अपने रिमांड नोट में कहा कि राकांपा पर 100 करोड़ रुपये के संग्रह का आरोप लगाया गया है। ईडी ने अदालत से कहा था कि जांच के लिए देशमुख की हिरासत में पूछताछ समय की जरूरत है, और दोषियों को सजा दिलाने के लिए पूरे पैसे के लेन-देन को स्थापित करने की आवश्यकता है।

जानें- क्या है पूरा मामला?
सीबीआई ने इस साल 21 अप्रैल को राकांपा नेता के खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद देशमुख और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच शुरू की थी। देशमुख ने पहले इन आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि एजेंसी का पूरा मामला एक दागी पुलिस वाले (सचिन वाझे) द्वारा दिए गए दुर्भावनापूर्ण बयानों पर आधारित था। ईडी इससे पहले संजीव पलांडे (अतिरिक्त कलेक्टर रैंक के अधिकारी जो देशमुख के निजी सचिव के रूप में काम कर रहे थे) और कुंदन शिंदे (देशमुख के निजी सहायक) को इस मामले में गिरफ्तार कर चुकी है। देशमुख और अन्य के खिलाफ मामला सीबीआइ द्वारा मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह द्वारा किए गए कम से कम 100 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज किए जाने के बाद बनाया गया था। एजेंसी ने पिछले महीने एक विशेष अदालत के समक्ष पलांडे और शिंदे के खिलाफ अभियोजन ने शिकायत की थी।

देशमुख के खिलाफ मेरे पास अतिरिक्त सुबूत नहीं- परमबीर सिंह
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने चांदीवाल आयोग को हलफनामा देकर कहा कि पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर उनके द्वारा लगाए गए 100 करोड़ वसूली के मामले में उनके पास कोई अतिरिक्त सबूत नहीं है। देशमुख पर लगे इस गंभीर आरोप की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 30 मार्च को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। इस आयोग को सिविल कोर्ट के अधिकार दिए गए हैं। आयोग इस मामले में लगातार परमबीर सिंह को सम्मन भेजता रहा है कि वह आकर अपना बयान दर्ज कराएं, लेकिन अभी तक वह आयोग के सामने पेश नहीं हो सके हैं। अब आयोग की सिफारिश पर मुंबई पुलिस उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी कर चुकी है। साथ ही, परमबीर की फरारी अब राजनीतिक मुद्दा भी बनने लगी है।

वकील के जरिये दिया हलफनामा
मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने एक दिन पहले ही कहा है कि परमबीर सिंह देश छोड़कर बेल्जियम जा चुके हैं। शिवसेना नेता संजय राउत भी आरोप लगा चुके हैं कि परमबीर सिंह खुद नहीं भागे हैं, बल्कि उन्हें भगाया गया है। माना जा रहा है कि वह नेपाल के रास्ते किसी और देश में जा चुके हैं। चार बार समन जारी करने के बावजूद जब परमबीर आयोग के सामने हाजिर नहीं हुए, तो आयोग उन पर एक बार 5000 रुपये व दूसरी बार 25000 रुपये का जुर्माना भी लगा चुका है। अब परमबीर ने अपने वकील के जरिए आयोग में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि उन्होंने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ वसूली के जो आरोप लगाए थे, उस संबंध में उनके पास कोई सबूत नहीं हैं।

क्या है पूरा मामला?
आयोग के वकील शिशिर हिरे के मुताबिक, परमबीर सिंह ने अपने हलफनामे में लिखा है कि 20 मार्च को उनके द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र के अतिरिक्त और कोई सबूत उनके पास नहीं है। परमबीर द्वारा यह पत्र लिखे जाने के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीतिक भूचाल आया हुआ है। इस आरोप के बाद ही पूरे मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था। इसके बावजूद परमबीर सिंह ने इस मामले की CBI जांच के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश पर CBI ने 21 अप्रैल को देशमुख के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। CBI की प्रारंभिक जांच में पैसों का बड़ा लेनदेन सामने आने पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी देशमुख की जांच शुरू कर दी थी। दो दिन पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अनिल देशमुख को गिरफ्तार भी कर लिया है।

वहीँ सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी ने अनिल देशमुख की गिरफ्तारी की निंदा की है और इसे विपक्ष शासित सरकारों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने और उन्हें अस्थिर करने की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की रणनीति करार दिया है।