महाराष्ट्रमुंबई शहरलाइफ स्टाइलशहर और राज्यसामाजिक खबरें मशहूर हीरा कारोबारी ढोलकिया का गांव में 70 तालाब बनाने का लक्ष्य…! 4th August 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this सावजी ढोलकिया गुजरात के मशहूर हीरा व्यापारी हैं… सूरत, पिछले कुछ वर्षों से दिवाली के मौके पर अपने कर्मचारियों को खास तोहफा देकर सुर्खियां बटोरने वाले हीरा कारोबारी और हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन सावजी ढोलकिया एक बार फिर चर्चा में हैं। अपने कर्मचारियों को बोनस के तौर पर कार और फ्लैट देने वाले हीरा कारोबारी सावजी ढोलकिया का नाम तो आप सब ने सुना ही होगा। सावजी ढोलकिया सिर्फ अपने कर्मचारियों के प्रति ही इतने दिलेर नहीं हैं, बल्कि अपने पैतृक गांव के प्रति भी उनका लगाव और समर्पण किसी प्रेरणा से कम नहीं है। कभी सूखे का दंश झेलने वाले गुजरात के अपने पैतृक गांव दुधाला को सावजी ने अपने समर्पण और त्याग के जरिए एक खुशहाल गांव में तब्दील कर दिया है। जहां कभी लोग पानी के लिए तरसते थे, आज उस गांव में 45 तालाब हैं। ढोलकिया का लक्ष्य गांव में 70 तालाब बनाने का है। सावजी का कहना है कि इस साल वह शेष 25 तालाब बनवा देंगे।दरअसल, सावजी अपने गांव के लोगों के लिए यह जो कुछ कर रहे हैं, उसकी प्रेरणा उनकी माताजी रही हैं। जी हां, कहते हैं कि महिलाओं को हीरा बेहद पसंद होता है। पर, सावजी ढोलकिया की मां कभी इस चमकदार पत्थर को नहीं चाहती थीं। वह चाहती थीं तो बस थोड़ी सी बारिश ताकि उनके गांव में लोग पानी के लिए ना तरसें। बचपन में सावजी यह देखते हुए ही बड़े हुए कि उनकी मां कैसे बादलों से, भगवान से थोड़ी सी बारिश की दुआ करती हैं। बचपन में सावजी ने खुद झेला था दंश आज 6000 करोड़ की संपत्ति के मालिक हीरा कारोबारी सावजी को कभी इस सूखे की दंश के कारण ही बचपन में ही पढ़ाई छोड़कर आजीविका के लिए गांव से दूर सूरत जाना पड़ा था। यह टीस हमेशा ही उनके दिल में रही। यही वजह है कि जब सावजी ने अपना साम्राज्य खड़ा करना शुरू किया तभी उन्होंने यह सोच लिया था कि अपने गांव की सूरत भी वह एक दिन जरूर बदल देंगे। अब अपने गांव को लौटाने का समयसावजी कहते हैं, यह अपने पैतृक गांव को लौटाने का समय है। मेरी मां मेरी प्रेरणा रही हैं और मैं उनके सपनों को ही पूरा कर रहा हूं। सावजी बताते हैं, मैंने 15 साल पहले सौराष्ट्र में वर्षा जल संचयन के लिए एक निजी ट्रस्ट को 33 लाख रुपये का दान दिया था। पर, बाद में मुझे लगा कि यह पर्याप्त नहीं है। इससे बेहतर होगा कि मैं गांवों में तालाब खुदवा दूं। इसके बाद मैंने अपने गांव से इसकी शुरुआत की और 1.5 करोड़ रुपये में शुरुआत में 5 तालाब बनवाए। इसका फायदा तुरंत दिखने लगा। गांव के लोगों की दिक्कतें दूर होने लगीं। हालांकि यह शुरुआत थी लेकिन इसका असर दिखना शुरू हो गया। अन्य गांवों को भी कर रहे मदद अपने गांव के साथ सावजी ढोलकिया फाउंडेशन के तहत आसपास के अन्य गांवों को भी पानी की किल्लत से दूर करने में जुटे हैं। इसके लिए फाउंडेशन की तरफ से ग्रामीणों को 25 लाख रुपये दिए जाते हैं। ढोलकिया को इस बात की खुशी है कि उनके इस मिशन में गांव के लोग भी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सावजी बताते हैं, ‘गांवों में जो भी 45 तालाब बने हैं, उसे बनाने के लिए 2500 से अधिक लोग हमारे साथ जुटे।’ गांव वाले प्रशंसा करते नहीं थकतेउधर, गांव वाले भी सावजी के इस कदम की प्रशंसा करते नहीं थकते। एक ग्रामीण भरत कहते हैं, तालाबों के होने के कारण अब पानी के लिए रोजाना का संघर्ष खत्म हो गया है। अब गांव में ही आसानी से पानी उपलब्ध है। यही नहीं पीने के अलावा खेती में भी इससे काफी सहयोग हो रहा है। अब मॉनसून पर निर्भरता काफी हद तक कम हुई है। Post Views: 309