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BJP 25 और शिवसेना 23 लोकसभा सीटों पर लड़ेगी चुनाव..

विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां बराबर सीटों पर लड़ेंगी

मुंबई , 2019 लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी और शिवसेना में जारी घमासान अब खत्म हो गया है। दोनों ही पार्टियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी घोषणा भी कर दी है। दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गई है। बीजेपी 25 और शिवसेना 23 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां बराबर सीटों पर लड़ेंगी। ऐसे में यह साफ है कि शिवसेना को सूबे में पिछले चुनावों की तुलना में सीटें अधिक जरूर मिली हैं लेकिन जितनी उम्मीद वह कर रही थी, वह स्थिति नहीं बन पाई है। मतलब यह कि ना तो सीटें अधिक मिलीं और ना ही सीएम पद को लेकर अभी कुछ कंफर्म किया है, जिस पर शिवसेना की नजर है और जिसे लेकर पार्टी की तरफ से कई बार बयान भी आ चुके हैं।
दरअसल, 2014 लोकसभा चुनाव में जहां शिवसेना सिर्फ 20 सीटों पर लड़ी थी, वहीं अब 2019 के लिए उसके खाते में 23 सीटें हैं। उधर, आगामी विधानसभा चुनाव के लिए शिवसेना आधी सीटें हथियाने में सफल रही है। हालांकि पार्टी का पहले से जो रुख रहा है, उसके मुताबिक पार्टी अधिक सीटों के साथ ही सीएम का पद भी अपने पास रखना चाहती थी। यही वजह है कि माना जा रहा है कि दबाव की इस राजनीति में शिवसेना के सामने बीजेपी हारी नहीं है बल्कि मुकाबला बराबरी पर पटा है।
दरअसल, पिछले काफी दिनों से शिवसेना एनडीए में होते हुए भी बीजेपी को लगातार निशाने पर लेते रही है। 2019 लोकसभा चुनाव आने करीब आने के साथ बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने खुद एनडीए सहयोगियों को पार्टी के साथ बनाए रखने की मुहिम को आगे बढ़ाना शुरू किया। इसी क्रम में लंबी बातचीत के बाद महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना को मनाने में सफल रही है।
नए सीट फॉर्म्युले के तहत 2019 लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी 25 सीटों पर वहीं शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सूबे में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं। उधर, 288 विधानसभा सीटों के लिए दोनों पार्टियां बराबर-बराबर सीटों (140-140) पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं शेष 8 सीटों अन्य सहयोगियों के खाते में जाएंगी।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा : महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस इस गठबंधन पर कहते हैं, हम पिछले 25 वर्षों से एक साथ हैं। हमारे बीच कुछ भिन्नताएं हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हम साथ नहीं थे, फिर भी हमने साथ में सरकार चलाई है। बीजेपी और शिवसेना सैद्धांतिक रूप से हिंदूवादी पार्टियां हैं। पिछले कुछ वर्षों में उद्धवजी (शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे) हमसे दुश्मन के रूप में नहीं, बल्कि एक मार्गदर्शक के रूप में लड़ते दिखे हैं। उद्धवजी ने जो भी मांगें और लोगों की समस्याएं सामने रखीं, हमने सभी को दूर करने की कोशिश की। यह मौका है कि सभी राष्ट्रवादी पार्टियां एक साथ आएं।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने क्या कहा : कुछ ऐसी ही बातें उद्धव ठाकरे ने भी रखीं। उद्धव ने कहा, ‘सभी के विचार अलग होते हैं लेकिन पिछले 25 वर्षों से हम साथ हैं। मैं बीती बातों के बारे में बात नहीं करना चाहता या इस बारे में कि क्या गलत हुआ। हम अब साथ हैं और एक मजबूत सरकार बनाने के लिए पूरी मजबूती से लड़ेंगे।

गठबंधन से कुछ शिवसेना कार्यकर्ता हैं नाराज :
उधर,बीजेपी के साथ आने से शिवसेना के कई कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं। कुछ कार्यकर्ताओं का कहना है कि हम लगातार जिस पार्टी का विरोध कर रहे थे, अब किस मुंह से जनता के बीच उन्हीं के लिए समर्थन मांगने जाएंगे। कहते हैं, राम मंदिर, नोटबंदी, किसानों की आत्महत्या समेत कई मुद्दों को लेकर हम बीजेपी के खिलाफ हमला बोलते रहे हैं। अब लोगों के भीतर किस तरह से विश्वास पैदा करेंगे कि हम उनके साथ हैं।