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महापर्व दीपावली आज: गणेश-लक्ष्मी और कुबेर की पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि

हिंदू कैलेंडर के कार्तिक महीने की अमावस्या को लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए घर को साफ-सुथरा और पवित्र कर दीपक जलाए जाते हैं। दीपकों की पंक्ति बनने के कारण ही इस महापर्व को दीपावली कहा गया है। इस साल दीपावली 27 अक्टूबर रविवार यानी आज कार्तिक माह की अमावस्या पर तुला राशि और चित्रा नक्षत्र में मनाई जाएगी। आज पद्म योग बन रहा है। इस योग में लक्ष्मी जी की पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है।

खरीदारी और पूजा के मुहूर्त
सुबह 08:10 से 11:55 तक

दोपहर 01:35 से 02:50 तक

शाम 05:40 से रात 10:20 तक

निशिता मुहूर्त – रात 11:40 से 12:25

वृष लग्न – शाम 06:45 से रात 08:25 तक

सिंह लग्न – रात 01:15 से 03:20 तक सिंह लग्न

लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए स्थापना
पूजा के स्थान पर लक्ष्मीजी और गणेशजी की मूर्तियां स्थापित करें। ये मूर्तियां इस तरह रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे।
कलश को लक्ष्मीजी के पास चावल पर रखें। नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का आगे का भाग दिखाई दे और इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुणदेव का प्रतीक है।
अब दो बड़े दीपक रखें। एक में घी और दूसरे में तेल का दीपक लगाएं। एक दीपक चौकी के दाहिनी ओर रखें और दूसरी मूर्तियों के चरणों में। इनके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें।

पूजा की थाली
पूजा की थाली के संबंध में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि लक्ष्मी पूजन में तीन थालियां सजानी चाहिए।
पहली थाली में 11 दीपक समान दूरी पर रख कर सजाएं। दूसरी थाली में पूजन सामग्री इस क्रम से सजाएं- सबसे पहले धानी (खील), बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर कुमकुम, सुपारी और थाली के बीच में पान रखें।
तीसरी थाली में इस क्रम में सामग्री सजाएं- सबसे पहले फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलाइची, केसर-कपूर, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक। इस तरह थाली सजा कर लक्ष्मी पूजन करें।

देवी लक्ष्मी और श्रीगणेश पूजा
घर को साफ कर पूजा-स्थान को भी पवित्र कर लें और स्वयं भी स्नान आदि कर श्रद्धा-भक्तिपूर्वक शाम के समय शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी और भगवान श्रीगणेश की पूजा करें।
दिवाली पूजन के लिए किसी चौकी या कपड़े के पवित्र आसन पर गणेशजी के दाहिने भाग में महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
श्रीमहालक्ष्मीजी की मूर्ति के पास ही एक साफ बर्तन में केसरयुक्त चंदन से अष्टदल कमल बनाकर उस पर कुछ रुपए रखें, एक साथ ही दोनों की पूजा करें।
सर्वप्रथम भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। इसके बाद कलश पूजन तथा षोडशमातृका (सोलह देवियों का) पूजन करें।
इसके बाद प्रधान पूजा में मंत्रों से पूजा की सभी सामग्री द्वारा महालक्ष्मी का पूजन करें।
लक्ष्मी पूजा के समय आभूषण, सोना और चांदी के सिक्कों की पूजा करें। इसके साथ ही तिजोरी और घर में स्थिति मंदिर में हल्दी और केसर घोलकर उस पानी से स्वास्तिक चिन्ह बनाएं। उस स्वास्तिक पर लक्ष्मीजी को स्थापित कर के पूजा करें।
लक्ष्मी पूजा करते समय नीचे लिखे मंत्र बोलते जाएं और पूजा की सामग्री देवी लक्ष्मी पर चढ़ाते जाएं।

लक्ष्मी पूजा के मंत्र-

  1. ॐ श्रीं श्रीयै नम:
  2. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
  3. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

समर्पण – पूजा के आखिर में कृतोनानेन पूजनेन भगवती महालक्ष्मीदेवी प्रीयताम्, न मम। यह बोलकर सभी पूजन कर्म भगवती महालक्ष्मी को समर्पित करें और जल छोड़ें।
इसके बाद देहलीविनायक (श्रीगणेश), कलम, माता सरस्वती, भगवान कुबेर और दीपक की पूजा की जाती है।

देहलीविनायक पूजन
दुकान या ऑफिस में दीवारों पर ॐ श्रीगणेशाय नम:, स्वस्तिक चिह्न, शुभ-लाभ सिंदूर से लिखे जाते हैं। इन्हीं शब्दों पर ॐ देहलीविनायकाय नम: इस नाममंत्र द्वारा गंध-पुष्पादि से पूजा करें।

श्रीमहाकाली (दवात) पूजन
स्याहीयुक्त दवात (स्याही की बोतल) को महालक्ष्मी के सामने फूल और चावल के ऊपर रखकर उस पर सिंदूर से स्वास्तिक बना दें और मौली लपेट दें। फिर ॐ श्रीमहाकाल्यै नम: ये मंत्र बोलते हुए पूजा की सुगंधित वस्तुएं, फूल और अन्य चीजों से दवात एवं भगवती महाकाली की पूजा करें और आखिर में प्रार्थनापूर्वक प्रणाम करें।

लेखनी पूजन
लेखनी (कलम) पर मौली बांधकर सामने रख लें और ॐ लेखनीस्थायै देव्यै नम: मंत्र द्वारा गंध, फूल, चावल आदि से पूजा कर के प्रणाम करें।

बहीखाता पूजन
बहीखाता पर रोली या केसर युक्त चंदन से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और पांच हल्दी की गांठें, धनिया, कमलगट्टा, चावल, दूर्वा एवं कुछ रुपए रखकर ॐ वीणापुस्तकधारिण्यै श्रीसरस्वत्यै नम: मंत्र बोलकर गंध, फूल, चावल आदि चढ़ाते हुए सरस्वती माता का पूजन करें।

कुबेर पूजन
तिजोरी या रुपए रखे जाने वाले संदूक के ऊपर स्वस्तिक का चिह्न बनाएं और फिर कुबेर का आह्वान करें। आह्वान के बाद ॐ कुबेराय नम: इस मंत्र से गंध, फूल आदि से पूजन कर अंत में इस प्रकार प्रार्थना करें। प्रार्थना करने के बाद हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, रुपए, दूर्वादि से युक्त थैली तिजोरी मे रखें। पूजा होने के बाद कुबेर से धन लाभ के लिए प्रार्थना करें।

कुबेर प्रार्थना मंत्र
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च।
भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पद:।।

दीपमालिका (दीपक) पूजन
एक थाली में 11, 21 या उससे अधिक दीपक जलाकर महालक्ष्मी के पास रखें। फिर एक फूल और कुछ पत्तियां हाथ में लें। फिर उसके साथ सभी प्रकार की पूजन साम्रगी भी लें। इसके बाद ॐ दीपावल्यै नम: इस मंत्र बोलते हुए फूल पत्तियों को सभी दीपकों पर चढ़ाएं और दीपमालिकाओं की पूजा करें। दीपकों की पूजा कर संतरा, ईख, धान इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं। धान का लावा (खील) गणेश, महालक्ष्मी तथा अन्य सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें। इस तरह पूजा करने के बाद लक्ष्मीजी की आरती करें, जयकारे लगाए, नैवेद्य लगाएं और सभी को प्रसाद बांट दें।

बही खाता पूजन की विधि
दीपावली वाले दिन व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों के बही खाते, तराजू व बांट की पूजा करते हैं। इस दिन गणेश-लक्ष्मी की पूजा के साथ धन के देवता कुबेर व अपने बहीखातों की पूजा करना शुभ होता है। दिवाली के दिन से व्यापारियों का नया साल शुरू होता है। इसीलिए बहीखाता पूजन का बड़ा महत्व होता है। दिवाली वाले दिन दीप जलाना भी शुभ होता है। बहीखातों की पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती है। बही खातों की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त में पूजा करनी चाहिए। नवीन खाता पुस्तकों में लाल चंदन या कुमकुम से स्वास्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। इसके बाद स्वास्तिक के ऊपर श्री गणेशाय नमः लिखना चाहिए। इसके साथ ही एक नई थैली लेकर उसमें हल्दी की पांच गांठे, कमलगट्ठा, अक्षत, दुर्गा, धनिया व दक्षिणा रखकर, थैली में भी स्वास्तिक का चिन्ह लगाकर सरस्वती मां का स्मरण करना चाहिए।