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महाराष्ट्र: शरद पवार के खुलासे पर शिवसेना का भाजपा पर निशाना…सामना में लिखा- सेठ, ये क्या है! पवार को ऑफर

मुंबई: शिवसेना ने ‘सामना’ अखबार में ‘सेठ, ये क्या है! पवार को ऑफर’ नाम से लिखी संपादकीय में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार और सहयोगी दल कांग्रेस की तारीफ करते हुए भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति उत्तर से दक्षिणी ध्रुव तक पहुंच चुकी है, लेकिन इस यात्रा में भारतीय जनता पार्टी का जो मजाक बना, उसकी मजेदार कहानियां अब बाहर आने लगी हैं। शिवसेना का मुख्यमंत्री न बनने पाए या शिवसेना के नेतृत्व में महाराष्ट्र की सरकार न बनने पाए, इसके लिए परदे के पीछे से जो निर्देशन जारी था। उस नाटक की असलियत शरद पवार ही सामने लाए हैं।

शिवसेना ने सामना में लिखा
शरद पवार झुके नहीं, कांग्रेस ने भी परिपक्वता दिखाई वहीं दूसरी ओर शिवसेना दबाव तंत्र की परवाह न करते हुए अपनी बात पर अटल रही। शरद पवार ने कई खुलासे किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पवार को ऑफर दी थी कि महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार बनाओ। पीएम का कहना था कि हमें खुशी होगी। हम दोनों साथ होंगे तो कुछ भी कर सकते हैं। आपके अनुभव की देश को जरूरत है। इस अनुभव का फायदा लेने के लिए महाराष्ट्र में मिलकर सरकार बनाने और केंद्र में मंत्री पद की बड़ी ऑफर दी गई थी, लेकिन शरद पवार ने उसे अस्वीकार कर दिया। इसका सीधा मतलब है कि हर हाल में शिवसेना के साथ नाता तोड़ना ही था। ये हिंदुत्व आदि की जो बातें की जाती हैं वे सब व्यर्थ हैं।
शिवसेना को पहले झुकाओ और नहीं झुकने पर उसे दूर करने की नीति पहले से ही तय कर ली गई थी। शिवसेना की पीठ में खंजर घोंपना ही था और उसकी ‘पटकथा’ तैयार ही थी। इसके लिए शरद पवार के अनुभव का फायदा देश को दिलानेवालों को ये पहले क्यों नहीं सूझा? ये भी सवाल ही है। खास बात है कि श्री पवार की पार्टी से ५४ विधायकों के चुने जाने के बाद पवार के अनुभव का साक्षात्कार हुआ।
चुनावी प्रचार में अमित शाह कहते थे, ‘पवार ने महाराष्ट्र के लिए क्या किया?’ इसका उत्तर पवार ने बाद में सही तरीके से दिया। अगर अमित शाह आदि को ये शंका थी कि पवार ने क्या किया है तो उनके किस अनुभव का फायदा श्री मोदी चाहते थे? नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी मतलब ‘नेचुरल करप्ट पार्टी’ का दूषित प्रचार दिल्ली के भाजपा नेताओं ने किया तो ऐसी पार्टी से उन्हें किस अनुभव की ‘पार्टी’ चाहिए थी, ये रहस्य है।
चुनाव के पहले शरद पवार को ‘ईडी’ की नोटिस भेजकर दबाव बनाया गया। प्रफुल्ल पटेल को भी जांच के लिए बुलाकर उन पर तलवार टांगी गई। सच कहें तो पटेल का यह मामला दो-तीन दशक पहले का है। लेकिन ‘ईडी’ ने उसे चुनाव के दौरान ढूंढ़ निकाला और उस प्रकरण का उल्लेख भाजपा नेता लोकसभा चुनाव के दौरान करने लगे। यही विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने की भ्रष्ट तैयारी थी। देश की जनता को ये नया अनुभव मिल रहा है। साम-दाम-दंड-भेद के बाद भी कुछ चल रहा है और इसका खुलासा पवार ने किया।

शरद पवार ने यह किया था खुलासा
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को एक स्थानीय चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साथ काम करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था। पवार ने कहा था- मोदी ने मुझे साथ काम करने का प्रस्ताव दिया था। मैंने उनसे कहा कि हमारे निजी रिश्ते बहुत अच्छे हैं और यह हमेशा उसी तरह रहेंगे। लेकिन, मेरे लिए साथ काम कर पाना संभव नहीं होगा। पवार ने इन खबरों को दरकिनार कर दिया कि मोदी सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, पवार ने यह कहा कि उनकी बेटी सुप्रिया सुले को मोदी कैबिनेट में जगह दिए जाने का प्रस्ताव दिया गया था।

‘सामना’ संपादकीय