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भीम आर्मी की ‘बहुजन हुंकार रैली’ में चंद्रशेखर ने भरी हुंकार..

जरूरत पड़ी तो भीमा-कोरेगांव दोहरा देंगे..!

नयी दिल्ली , दलित युवकों में अच्छी-खासी पहचान बना चुके भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने शुक्रवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर बहुजन हुंकार रैली की। लोकसभा चुनाव से पहले यहां उन्होंने विवादित बयान दे दिया। चेतावनी भरे लहजे में चंद्रशेखर ने कहा कि जिस दिन देश के संविधान पर आंच आई तो भीमा-कोरेगांव दोहरा देंगे।
आपको बता दें कि दो दिन पहले कांग्रेस महासचिव और पूर्वी यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने अस्पताल जाकर चंद्रशेखर से मुलाकात की थी। उन्होंने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि नौजवान की आवाज दबाई जा रही है।
शुक्रवार को लोगों को आगाह करते हुए चंद्रशेखर ने कहा, ‘वोट देने से पहले रोहित वेमुला की शहादत को याद रखना, ऊना कांड याद है ना, 2 अप्रैल भूले तो नहीं हो, किसने गोली चलाई, किसने मारा हमारे लोगों को, उनकी कुर्बानी भूलकर वोट दोगे?…मगर याद रखना, अत्याचारी, अत्याचारी होता है, मनुवाद का पोषक कभी तुम्हारा हितैषी नहीं हो सकता है। आजाद ने आगे कहा, भीमा-कोरेगांव दोहरा देंगे…अभी जरूरत नहीं आई है लेकिन जिस दिन इस देश के संविधान पर आंच आई तो भीमा-कोरेगांव भी दोहरा देंगे।
भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने ऐलान किया है कि वह लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मैदान में उतरेंगे। उन्होंने कहा है कि पहले तो वह अपने संगठन से कोई मजबूत प्रत्याशी उतारने का प्रयास करेंगे और प्रत्याशी न मिलने पर वह स्वयं मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।
गौरतलब है कि भीम आर्मी के नेतृत्व में सहारनपुर से दिल्ली के लिए निकली बहुजन सुरक्षा अधिकार यात्रा का नेतृत्व कर रहे चंद्रशेखर को पिछले मंगलवार को देवबंद में पुलिस ने आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में हिरासत में ले लिया था। इस पर समर्थकों ने राजमार्ग पर हंगामा कर दिया था। गुस्साई भीड़ की अधिकारियों से जमकर नोकझोंक भी हुई। उसी दौरान अचानक तबीयत बिगड़ने पर पुलिस ने चंद्रशेखर को छोड़ दिया। इसके बाद चंद्रशेखर को मेरठ के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार शाम में उन्हें छुट्टी दे दी गई।


कब और क्या हुआ था भीमा-कोरेगांव में?
पिछले साल 1 जनवरी को भीमा-कोरेगांव संघर्ष की 200वीं वर्षगांठ पर हिंसा भड़क उठी थी। पुणे से 40 किमी दूर कोरेगांव-भीमा गांव में दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसका कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया था। इसी कार्यक्रम के दौरान इलाके में हिंसा भड़की थी, जिसके बाद भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और दुकानों-मकानों में तोड़फोड़ की थी।