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PM मोदी की काशी में है ऐसा भवन जहां रहकर लोग करते हैं मौत का इंतजार…

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में एक ऐसी जगह है, जहां रहने वाले लोग वर्षों से अपनी मौत का इंतजार कर रहे हैं। भगवान शिव की नगरी काशी को लेकर यह मान्यता है कि यहां पर मरने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा मानने वाले तमाम लोग, गृहस्थ दम्पत्ति और सन्या‍सी काशी के मुमुक्षु भवन में आकर रहते हैं और करते हैं अपनी मौत का इंतजार…

वाराणसी, (राजेश जायसवाल) : ऐसा माना जाता है कि काशी में मृत्यु हो तो जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। यहाँ प्राण त्यागने वाले को मोक्ष मिल जाता है। सदियों से इस पवित्र शहर की संकरी गलियों में स्थित मुक्ति भवन श्रद्धालुओं को उनके अंतिम दिनों या वर्षों में बुलाते आए हैं लेकिन बेहद कम भाग्यशाली लोगों को ही यहां कमरे मिल पाते हैं। यहां वे रहकर अपनी मौत का इंतजार करते हैं। लोगों की मुश्किलें आसान करने के लिए नए भवन का निर्माण किया जा रहा है जहां लोगों के ठहरने के लिए पर्याप्त कमरे होंगे।
बता दें कि वाराणसी के मौजूदा मोक्ष भवनों में रोज दर्जनों आवेदन आते हैं जिनकी वेटिंग लिस्ट कई सालों तक चल सकती है। काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) प्रॉजेक्ट के तहत एक सरकारी वित्तपोषित मोक्ष भवन का निर्माण कराया जा रहा है। यहां महिलाओं और पुरुषों के लिए बराबर कमरे होंगे जहां 50 लोग रह सकेंगे।

पवित्र स्थल पर बनाया जा रहा है मुक्ति भवन…
काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह ने बताया कि काशी के मोक्ष भवनों में से एक केवल दंपतियों को अनुमति देता है जबकि दूसरे में वे लोग ठहरते हैं तो अपने अंतिम दिन गिन रहे हैं। उन्होंने बताया कि जो नया मोक्ष भवन बन रहा है, उसमें ऐसी कोई कंडीशन नहीं होगी। सबसे खास बात यह है कि निर्माणाधीन मुक्ति भवन मौजूदा भवनों से अलग होगा और यह अधिक पवित्र होगा क्योंकि इसका निर्माण काशी विश्वनाथ मंदिर और मणिकर्णिका घाट के बीच पड़ने वाले अविमुक्त केंद्र में हो रहा है।

मोक्ष भवन में अस्पताल भी होगा…
तीन मंजिला इमारत में एक अस्पताल भी होगा और यहां बुकिंग की सर्विस फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर होगी। विशाल सिंह ने बताया कि पवित्र स्थल पर मरणासन्न रोगियों के अस्पताल के लिए वृद्ध संत सेवा आश्रम की जमीन ढाई करोड़ खरीदी गई है। यहां की जर्जर इमारत को पहले भी ढहाया जा चुका है और नई इमारत का निर्माण 2021 तक हो जाएगा।
हैदराबाद के 80 वर्षीय रिटायर्ड फिजिक्स प्रफेसर एमबी शास्त्री अपनी पत्नी के साथ अस्सी इलाके में स्थित मुमुक्षु भवन में पिछले 15 साल से रह रहे हैं। वह यह खबर सुनकर खुश होते हैं। उन्होंने कहा, काशी अनंत प्रकाश का स्रोत है और हमारे शास्त्रों के अनुसार, जो यहां मरता है उसे मोक्ष मिलता है। यह मोक्ष की चाह रखने वालों के लिए वरदान होगा।

5 साल से 50 लोगों की चल रही है वेटिंग…
इन मोक्ष भवनों की अधिक मांग के चलते यहां हर किसी को सीट रिजर्व नहीं होती है। 40 कमरे वाले मुमुक्षु भवन के मैनेजर विनोद कुमार अग्रवाल ने बताया, पिछले 5 साल से कम से कम 50 लोग प्रतीक्षा सूची में हैं। मुमुक्ष भवन सभा द्वारा इसका निर्माण 1920 में हुआ था। चार एकड़ जमीन में फैले मुमुक्षु भवन में एक संस्कृत स्कूल, मेडिटेशन एनक्लेव और एक चैरिटेबल अस्पताल है।

सेहत में सुधार होने पर वापस भेजा जाता है…
मिसिरपोखरा स्थित काशीलाभ मुक्ति भवन केवल उन लोगों को एंट्री देता है तो आखिरी सांसें गिन रहे हैं। यहां के मैनेजर अनुराग शुक्ला ने बताया, अगर किसी की सेहत में सुधार दिखता है, तो उन्हें एक हफ्ते बाद यहां से जाने के लिए कहा जाता है। मोक्ष भवन डोनेशन के तहत चलते हैं, और जो अधिक समय तक रहना चाहते हैं उनसे नाममात्र का शुल्क वसूला जाता है। उदाहरण के लिए मुमुक्षु भवन में रहने वाले दंपती हर महीने 100 रुपये और बिजली का बिल अलग से अदा करते हैं। काशीलाभ मुक्ति भवन में रहना मुफ्त है।

काशी में रहने वालों को नहीं मिलती यहां जगह…
मुमुक्षु भवन भले ही काशी में बना है, लेकिन काशी नगर में रहने वालों को यहां रहने की इजाजत नहीं है। वाराणसी को छोड़ देश दुनिया के किसी भी कोने से आने वालों को यहां रहने को मिलता है। वर्तमान में मुमुक्षु भवन में 150 के करीब सन्‍यासी और दंडी स्‍वामी रहते हैं, जबकि करीब 55 गृहस्‍थ दम्‍पत्‍ति यहां रहकर अपनी जिंदगी के आखिरी छण का इंतजार कर रहे हैं। इन सभी लोगों के अलावा भवन के संस्‍कृत विद्यालय में पढ़ने वाले बटुकों के लिए यहां रोज निशुल्‍क खाने का इंतजाम किया जाता है।
मोक्ष की नगरी काशी में देह त्‍याग करने की इच्‍छा रखने वाले गृहस्‍थ और सन्‍यासियों के लिए यह मुमुक्षु भवन कोलकाता के रहने वाले एक व्‍यापारी पंडित घनश्याम दत्त जी ने सन 1920 में 5 एकड़ की जमीन पर इसको बनवाया था। यहां रहकर लोग अपने मरने का इंतजार करते हैं।

काशीवास के चार तत्वों के पालन से मिलता है मोक्ष…
काशी विश्वनाथ मंदिर के वरिष्ठ पुजारी अमरनाथ उपाध्याय बताते हैं, काशीवास (काशी में रहना) में चार तत्व शामिल हैं- यहां रहिए, विद्वानों के संगति में रहिए, गंगाजल का सेवन करिए और भगवान शिव की प्रार्थना। जो इन चारों तत्वों का पालन करते हैं उन्हें भगवान विश्वनाथ के अवतार भगवान तारकेश्वर के आशीर्वाद से जन्म और मरण से मुक्ति मिल जाती है।