उत्तर प्रदेशदिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य

UP: अजय कुमार लल्लू बने यूपी कांग्रेस के नए अध्यक्ष

लखनऊ, बड़े चेहरों तक ही सीमित रहने वाली कांग्रेस पार्टी ने इस बार यूपी में एक आम चेहरे और जमीनी नेता के तौर पर पहचान रखने वाले अजय कुमार लल्लू को यूपी कांग्रेस का अध्यक्ष पद सौंपा है। उन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलने के पीछे कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की अहम भूमिका बताई जा रही है।
यूपी कांग्रेस के नए अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू आज से पदभार संभालने जा रहे हैं।अजय कुमार लल्लू से पहले राज बब्बर, निर्मल खत्री और सलमान खुर्शीद जैसे बड़े नेता यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं।

संपर्क, संवाद और संघर्ष है मिशन 2022 का मंत्र
यूपी कांग्रेस के नए अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि वह अपने कार्यकाल में संपर्क, संवाद और संघर्ष पर काम करेंगे और कांग्रेस को मिशन 2022 के लिए तैयार करने में पूरी जी-जान लगा देंगे। अजय कुमार लल्लू ने कहा, यूपी में इस वक्त हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही है। लचर कानून-व्यवस्था सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। हम जनता के बीच जाकर इन मुद्दों को उठाएंगे। उनसे संवाद करेंगे और कांग्रेस को यूपी में मजबूती देने के लिए संघर्ष करेंगे।

मतभेद तो कहीं भी होते हैं लेकिन गांधी के विचार हमें एक करते हैं
अजय लल्लू ने बताया, युवाओं के लिए रोजगार न मिलना भी बड़ी समस्या है। कितनी नौकरियों पर स्टे लगा हुआ है, कई पद खाली पड़े हुए हैं। वहीं यूपी कांग्रेस में अंसतुष्ट आवाजों के मुखर होने पर उन्होंने कहा, मतभेद हर पार्टी में होते हैं लेकिन हमारी कांग्रेस का प्रत्येक सदस्य गांधी के विचारों को मानता है और उस जगह पर जाकर हम सब एक हो जाते हैं। सभी गांधी को मानने वाले हैं। सबकी राय भी एक है। हम राहुल और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में और उनकी दिशा में काम करेंगे।

कांग्रेस की ओबीसी और पूर्वी यूपी को साधने की कोशिश
अजय कुमार लल्लू को अध्यक्ष पद सौंपने के साथ कांग्रेस ने ओबीसी वोटों को साधने की कोशिश की है। अजय लल्लू पिछड़ी जाति कानू से ताल्लुक रखते हैं। इसके साथ ही अजय लल्लू की जमीनी नेता के तौर पर पहचान है। यूपी कांग्रेस के सड़क पर होने वाले धरना- प्रदर्शनों का वह अक्सर नेतृत्व करते नजर आते हैं। सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर होकर बोलते हैं। अजय लल्लू पूर्वी उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं। ओबीसी वोटों के साथ ही कांग्रेस पूर्वी यूपी से पैर जमाने की कोशिश में है जिसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है।

छात्रसंघ से हुआ राजनीति में आगाज
राजनीति विज्ञान से पोस्ट ग्रैजुएशन करने के साथ ही अजय कुमार लल्लू राजनीति में सक्रिय हो गए थे। पढ़ाई के दौरान उन्होंने छात्र संघ का चुनाव भी लड़ा जिसमें पहली बार तो उन्हें हार मिली लेकिन दूसरे चुनाव में वह जीत गए।

पहले ही चुनाव में हो गई जमानत जब्त
अजय कुमार लल्लू ने 2007 विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़ा था। इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है। कहा जाता है कि किसी पार्टी से टिकट न मिलने पर अजय कुमार लल्लू ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ा था लेकिन चुनाव में उनकी जमानत जब्त हो गई थी।

परिवार में आया आर्थिक संकट, करनी पड़ी मजदूरी
इसके बाद उनके परिवार को आर्थिक संकट से भी गुजरना पड़ा। हालात इतने बदतर हो गए कि अजय लल्लू को मजदूरी तक करनी पड़ी। कंस्ट्रक्शन के बिजनस से जुड़कर कई बार उन्होंने मजदूरों के साथ सरिया तक उठाया और कंधे पर ईंट-पत्थर भी ढोए। लेकिन इस दौरान भी वह अपने क्षेत्रीय लोगों से लगातार संपर्क में रहे।

जनता के बीच बन गए ‘धरना कुमार’
कुछ महीने तक पैसा इकट्ठा करने के बाद लोगों ने उन्हें दोबारा राजनीति में आने को कहा। उन्होंने तुमकुहीराज में ही रहकर जनता की समस्याओं के लिए आवाज उठाई, धरना दिया और कई बार जेल भी दिए। इस वजह से लोग उन्हें धरना कुमार भी कहने लगे। इसके बाद 2012 में उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला और उन्होंने तुमकुहीराज से बीजेपी उम्मीदवार नंद किशोर मिश्रा को 5 हजार से अधिक वोटों से हराकर जीत हासिल की। 2017 में वह दोबारा जीते और विधानमंडल दल के नेता चुने गए।

प्रियंका की टीम का खास चेहरा
अजय लल्लू गुजरात और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की स्क्रीनिंग कमिटी का भी हिस्सा रहे और इसी दौरान वह राहुल गांधी के भी करीब हो गए। इसके बाद वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की टीम में भी शामिल हो गए। यूपी में प्रियंका के दौरे में अक्सर उन्हें आगे-आगे देखा जाता है। पिछले दिनों सोनभद्र हत्याकांड के बाद जब प्रियंका गांधी को मिर्जापुर के चुनार गेस्ट हाउस में रोक दिया था, तो अजय लल्लू ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर प्रियंका के नेतृत्व में वहां रात भर धरना दिया। अगले दिन जाकर प्रियंका ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी।