दिल्लीदेश दुनियाब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य …अब फूंक मारते ही 40 सेकेंड में पता चलेगा मरीज कोरोना पॉजिटिव है या नहीं! 10th October 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: भारत में इजरायल के राजदूत ने दावा किया कि व्यक्ति के फूंक मारने के बाद 40 सेकेंड में ही कोरोना का पता लगाने वाली जांच किट बस कुछ दिन दूर है। एक मिनट के अंदर नतीजे देने वाली इस जांच किट को भारत और इजरायल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है।इजरायल के राजदूत रॉन मल्का ने एक साक्षात्कार में कहा कि कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए इस त्वरित जांच प्रौद्योगिकी के तहत किसी व्यक्ति को एक ट्यूब में बस फूंक मारनी होगी और 30 से 50 सेकेंड में इसके नतीजे आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि त्वरित जांच किट परियोजना अंतिम चरण में है। इसमें दो-तीन हफ्ते से अधिक वक्त नहीं लगना चाहिए। मल्का ने कहा कि भारत इस त्वरित जांच किट के लिए विनिर्माण केंद्र बने तथा दोनों देश कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए टीका विकसित करने पर भी सहयोग करेंगे।इस दौरान, राजदूत ने अपने हजारों नागरिकों को स्वदेश भेजने में की गई मदद को लेकर भारतीय अधिकारियों का शुक्रिया अदा किया। मल्का ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में वह आयुष्मान भारत के सीईओ इंदु भूषण के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।राजदूत ने कहा कि यह नई त्वरित जांच निर्णायक है। यह एक शानदार उदाहरण है कि भारत और इजरायल के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में कितना सार्थक सहयोग हो सकता है। इस अभियान को हमने ‘खुला आसमान’ नाम दिया है। किट का इस्तेमाल हवाईअड्डों और अन्य प्रमुख स्थानों पर किया जाएगा। यह लागत के लिहाज से भी बहुत सस्ती होगी। चार विभिन्न तकनीकों पर साझा कामराजदूत ने बताया कि भारतीय और इजरायली अनुसंधानकर्ताओं ने चार विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकी के लिए भारत में बड़ी संख्या में नमूने एकत्र करने के बाद परीक्षण किए हैं। इनमें सांस की जांच करना और आवाज की जांच करना भी शामिल है, जिसमें कोविड-19 का त्वरित पता लगाने की क्षमता है। इनके अलावा आइसो थर्मल जांच भी है, जिसके जरिये लार के नमूने में कोरोना की मौजूदगी की पहचान की जा सकती है। वहीं, पोली-अमीनो एसिड आधारित एक और जांच है, जो कोविड-19 से संबद्ध प्रोटीन को अलग-थलग करती है। दोनों देशों के रक्षा अनुसंधान विभाग प्रयासरतत्वरित जांच प्रौद्योगिकी, इजरायल के रक्षा अनुसंधान एवं विकास निदेशालय और भारत के डीआरडीओ, सीएसआईआर तथा भारत के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के सहयोग से संयुक्त रूप से विकसित की जा रही है। इसका समन्वय दोनों देशों के विदेश मंत्रालय कर रहे हैं। Post Views: 191