ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहर

आदित्य ठाकरे का दावा- शिंदे को महाराष्ट्र के सीएम पद से इस्तीफा देने को कहा गया, अजित पवार के लिए रास्ता साफ…

मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार की सियासी बगावत के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक जारी है। इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने शनिवार को दावा किया कि अजित पवार के लिए रास्ता साफ करने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है। अजित पवार वर्तमान में शिंदे-फडणवीस सरकार में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पद पर हैं। अजित पवार ने बीती 2 जुलाई को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ ली थी। उनके साथ 8 एनसीपी नेताओं ने भी मंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी।

पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ‘मैंने सुना है कि मुख्यमंत्री (एकनाथ शिंदे) को इस्तीफा देने के लिए कहा गया है और (सरकार में) कुछ बदलाव हो सकता है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अटकलें लगाई जा रही हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के बागी नेता अजित पवार और उनके समर्थकों के सरकार में शामिल होने के बाद भाजपा शिंदे समूह को किनारे कर रही है।
इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया था कि राकांपा नेता अजित पवार के राज्य सरकार में शामिल होने के बाद से शिंदे समूह के लगभग 20 विधायक उनकी पार्टी के संपर्क में हैं।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने पहले दावा किया था- ‘जब से अजित पवार और अन्य राकांपा नेता सरकार में शामिल हुए हैं, शिंदे खेमे के 17-18 विधायकों ने हमसे संपर्क किया है। हालांकि, सीएम शिंदे ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा है कि उनकी पद छोड़ने की कोई योजना नहीं है और एनसीपी के बागियों को लेकर शिवसेना में कोई विद्रोह नहीं है।

शिवसेना नेता उदय सामंत ने कहा था- ‘हम इस्तीफा देने वाले नहीं बल्कि लेने वाले हैं। उनका नेतृत्व सभी को साथ लेकर चलने और धैर्य रखने का है। कल सभी विधायकों, सांसदों ने एकनाथ शिंदे पर भरोसा जताया है…यह सब (असंतोष की खबरें) एकनाथ शिंदे को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है’।
उन्होंने कहा कि अजित पवार के कदम ने उन्हें ‘गद्दार’ (देशद्रोही) और ‘खोके’ (करोड़ों) तानों से मुक्त कर दिया है, उन्होंने उन कटाक्षों का जिक्र किया जो उनके पाला बदलने के बाद से विद्रोही खेमे को परेशान कर रहे थे। सामंत ने कहा था- ‘अब यह स्पष्ट है कि अजित पवार के हमारे साथ आने का मतलब है कि पिछली बार, आखिरी गठबंधन (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस) अच्छा काम नहीं कर रहा था’।

सूत्रों की मानें तो महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार में अगले रविवार या सोमवार तक एक ओर मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। तब तक अजित पवार के साथ मंत्री पद की शपथ लेने वाले मंत्रियों के विभागों का बंटवारा भी लटका रह सकता है। शिंदे गुट के जो विधायक मंत्री पद की आस लगाए बैठे हैं, उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से साफ-साफ कह दिया है कि जब तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होता, तब तक अजित पवार के साथ शपथ लेने वाले मंत्रियों को विभागों का बंटवारा न किया जाए। शिंदे गुट के विधायकों को डर है कि अगर मंत्रिमंडल विस्तार से पहले अजित पवार के साथ शपथ लेने वाले आठ मंत्रियों में विभागों का बंटवारा कर दिया गया तो, एनसीपी मलाईदार मंत्रालय ले उड़ेगी और उनके हाथ कम बजट वाले मंत्रालय ही लगेंगे।
बुधवार की रात मुख्यमंत्री के बंगले पर शिवेसना शिंदे गुट के मंत्रियों की जो मीटिंग हुई, उसमें शिंदे गुट के विधायकों में इस बात को लेकर काफी कहासुनी हुई। विधायकों ने सीएम शिंदे से सीधा सवाल पूछा कि क्या हमने इसीलिए बगावत की थी? ज्यादातर विधायक इस बात से खफा थे कि बीजेपी ने एनसीपी को सत्ता का भागीदार बनाने से पहले उन्हें विश्वास में नहीं लिया। इस पर मुख्यमंत्री शिंदे को सफाई देनी पड़ी कि इस पूरे प्रकरण में उन्हें विश्वास में लिया गया था, लेकिन बात लीक न हो, इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।

मंत्रियों को बदलने की मांग
शिंदे गुट के मंत्री इस बात से भी ज्यादा खफा है कि अजित पवार के साथ एक साथ आठ मंत्रियों को कैबिनेट मंत्री बनाकर कैबिनेट मंत्री पद का कोटा ही खत्म कर दिया गया! अब उनके लिए सिर्फ राज्यमंत्री पद बचे हैं। इस पर शिंदे ने कहा कि चिंता न करें जो राज्यमंत्री बनेंगे, उन्हें स्वतंत्र प्रभार दिया जाएगा। कुछ विधायक तो इतने आक्रामक हो गए थे कि उन्होंने एक साल से मंत्री पद का सुख भोग रहे पुराने मंत्रियों को बदलकर दूसरों को मौका देने की भी मांग की है।

2 निर्दलीय विधायक बगावत के मूड में
अचलपुर से विधायक बच्चू कडू और रामटेक से विधायक आशीष जायसवाल जो शिंदे गुट के साथ हैं ने साफ कह दिया है कि अगर उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं दिया गया तो वह अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे। लेकिन शिंदे की तकलीफ यह है वह किसी को हटा नहीं सकते, क्योंकि जो मंत्री बने हैं वे अपने-अपने क्षेत्रों में ताकतवर हैं। दूसरी तकलीफ यह है कि उन्हें अपने गुट के मंत्रियों को मंत्री बनाने के लिए बीजेपी से क्लियरेंस लेना जरूरी है।
शिंदे गुट के एक बड़े नेता का दावा है कि हमारे जो विधायक पुराने मंत्रियों को बदलने की मांग कर रहे हैं वह बीजेपी के कहने पर कर रहे हैं, क्योंकि बीजेपी को अपने कुछ मंत्रियों को बदलना है। अगर सिर्फ बीजेपी के मंत्री बदले जाएंगे तो बीजेपी में इसका विरोध हो सकता है, इसलिए शिंदे गुट के विधायकों को भड़काया जा रहा है। खबर है कि शिंदे गुट के चार मंत्रियों संजय राठौड़, संदीपन भुमरे और दादा भुसे और अब्दुल सत्तार को बदलने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

शिंदे सरकार में अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी की एंट्री से शिंदे गुट के विधायकों में उपजे असंतोष और आक्रोश के बाद शिवसेना (यूबीटी) के सांसद विनायक राउत ने दावा किया है कि शिंदे गुट के सात विधायकों ने उद्धव ठाकरे से संपर्क किया है।

शिंदे ही रहेंगे सीएम?
दूसरी ओर शिंदे गुट के प्रवक्ता और राज्य के उद्योग मंत्री उदय सामंत ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्धव गुट के सांसद विनायक राउत के दावे को झूठ बताया और कहा कि कुछ लोग मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को हटाए जाने की अफवाह उड़ा रहे हैं, लेकिन 2024 तक शिंदे ही मुख्यमंत्री रहेंगे। उन्हीं के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। सामंत ने कहा कि यह सही है कि हालात बदल चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री लगातार विधायकों की चिंता दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।