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उन्नाव रेप केस: MLA कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा, 25 लाख का जुर्माना

नयी दिल्ली: उन्नाव रेप केस में विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषी विधायक को अब बाकी बची उम्र जेल में ही काटनी होगी। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने इस मामले में सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जो उन्हें एक महीने के अंदर जमा करना होगा। साथ ही अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि बलात्कार पीड़िता को 10 लाख रुपये का अतिरिक्त मुआवजा दिया जाए जो उनकी मां को मिलेगा। अदालत ने सीबीआई को पीड़ित और उसके परिवार को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया है।
अदालत ने कहा है कि सीबीआई को पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों के जीवन को खतरा और उनकी सुरक्षा का हर तीन महीने में आकलन करते रहना होगा। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को पीड़िता और उसके परिवार के किराए के आवास के लिए एक साल तक प्रति माह 15,000 रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया है। अदालत ने आदेश दिया कि पीड़िता और उसका परिवार दिल्ली महिला आयोग द्वारा उपलब्ध कराए गए किराए के आवास में एक साल तक रहेगा।
सजा का ऐलान करते हुए कोर्ट ने कहा, सेंगर ने जो भी किया, वह बलात्कार पीड़िता को डराने-धमकाने के लिए किया। हमें नरमी दिखाने वाली कोई परिस्थिति नहीं दिखी, सेंगर लोकसेवक था, उसने लोगों से विश्वासघात किया।

2017 में नाबालिग का किया था रेप
सेंगर ने 2017 में एक युवती का अपहरण करने के बाद उससे बलात्कार किया था। यूपी की बांगरमऊ विधानसभा सीट से चौथी बार विधायक बने सेंगर को इस मामले के बाद अगस्त 2019 में बीजेपी से निष्कासित कर दिया गया था। अदालत ने नौ अगस्त को विधायक और सिंह के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो कानून से संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए थे।

28 जुलाई को हुआ था पीड़िता का ऐक्सिडेंट
इस बीच पीड़ित युवती को कथित तौर पर मारने की भी कोशिश की गई। उनकी कार को 28 जुलाई में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी। दुर्घटना में युवती की 2 रिश्तेदार मारी गईं और उनके परिवार ने इसमें षड्यंत्र होने के आरोप लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले में दर्ज सभी पांच मामलों को एक अगस्त को उत्तर प्रदेश में लखनऊ की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित किया था। सर्वोच्च अदालत ने निर्देश दिया था कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए।