ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रशहर और राज्य जबलपुर मेडिकल कॉलेज में कथित जातीय उत्पीड़न के चलते डॉक्टर ने की आत्महत्या, जानें- क्या है पूरा मामला 9th October 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this रायपुर: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा के 28 वर्षीय मेडिकल छात्र डॉक्टर भागवत देवांगन की जबलपुर मेडिकल कॉलेज में कथित जातीय उत्पीड़न के बाद आत्महत्या को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए हैं. परिजनों का आरोप है कि ग़रीबी और छोटी जाति का हवाला दे कर कॉलेज के सीनियर्स उसे लगातार प्रताड़ित करते थे, जिसके कारण भागवत ने मेडिकल कॉलेज़ के हॉस्टल में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली, हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन इससे इनकार कर रहा है.इस मामले में परिवार की शिकायत पर पुलिस ने आरंभिक जांच तो शुरू कर दी है लेकिन अभी तक एफ़आईआर दर्ज नहीं हुई है. परिवार वालों ने भागवत देवांगन के पांच सीनियर डॉक्टरों के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है.पिछले नौ दिनों से मामले की जांच कर रहे जबलपुर के गढ़ा थाना के प्रभारी राकेश तिवारी ने बीबीसी से कहा, इस मामले में नामज़द सभी छात्रों के बयान लिए गए हैं. अभी कोविड के कारण कई डॉक्टरों से पूछताछ नहीं हो पाई है. कल डीन और अस्पताल की एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक भी है. हम सारी आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं.भागवत देवांगन, जबलपुर मध्यप्रदेश के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में ऑर्थोपेडिक में पीजी कर रहे थे. डॉक्टर भागवत देवांगन के बड़े भाई प्रहलाद देवांगन ने कहा, मेरे छोटे भाई ने मुझे कई बार शिकायत की कि उसके कॉलेज के सीनियर उसकी ग़रीबी और जाति का हवाला दे कर उसके साथ मारपीट करते हैं और शारीरिक-मानसिक रुप से प्रताड़ित करते हैं. कॉलेज़ प्रबंधन को भी इसकी जानकारी थी लेकिन उन्होंने इसमें कभी हस्तक्षेप नहीं किया और मेरा भाई मौत को गले लगाने के लिये मज़बूर हो गया. हालांकि मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के वार्डन और कॉलेज की एंटी रैगिंग कमेटी के सदस्य डॉक्टर अरविंद शर्मा हॉस्टल के भीतर रैगिंग या किसी किस्म की प्रताड़ना से इंकार कर रहे हैं. उनका कहना है कि आत्महत्या करने वाले छात्र ने कभी भी हॉस्टल में प्रताड़ित किए जाने की शिकायत नहीं की थी. डॉक्टर अरविंद शर्मा ने कहा, प्रताड़ना और रैगिंग का मामला विभाग से जुड़ा हुआ है. जिन छात्रों पर आरोप हैं, उनमें से कौन-कौन हॉस्टल में रहते हैं, यह मुझे देखना पड़ेगा. छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा ज़िले के एक छोटे से कस्बे राहौद के रहने वाले भागवत देवांगन अपने चार भाइयों में दूसरे नंबर के थे. पिता की कस्बे में ही बर्तन बेचने की एक छोटी-सी दुकान है. यहां अति पिछड़ा और अनुसूचित जाति में देवांगन टाइटिल के लोग मिलते हैं, लेकिन मृतक डॉक्टर अति पिछड़ा वर्ग से आते थे.छठवीं तक स्थानीय स्कूल में पढ़ाई करने के बाद भागवत का चयन नवोदय विद्यालय में हो गया, जहां से उन्होंने बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उनका चयन पुणे के बायरामजी जीजीभोय सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुआ, जहां से उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई की.भागवत के परिजनों का कहना है कि पीजी की पढ़ाई के लिये उनका चयन महाराष्ट्र में ही हो गया था लेकिन मराठा आरक्षण के कारण चयन सूची रद्द हो गई. इसके बाद भागवत ने अगले साल पीजी में प्रवेश के लिये परीक्षा दी, जिसमें देश में उनकी रैंक 5500 थी. इसके आधार पर जबलपुर के मेडिकल कॉलेज़ में ऑर्थोपेडिक विभाग में उन्हें दाखिला मिला.डॉक्टर भागवत के भाई का कहना है कि इस साल एक जुलाई को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के पखवाड़े भर बाद ही भागवत ने घर के लोगों को बताया कि उसके सीनियर लगातार उसे प्रताड़ित कर रहे हैं. भागवत के बड़े भाई प्रहलाद देवांगन कहते हैं, उसने एक दिन फ़ोन पर बताया कि उसके सीनियर नर्स और वार्ड ब्वाय को गाली देकर बुलाने के लिए कहते हैं, उन्हें पीटने के लिए कहते हैं और ऐसा करने से इंकार करने पर भागवत को सार्वजनिक तौर पर पीटा जा रहा था.प्रहलाद का कहना है कि भागवत ने आरक्षण का लाभ नहीं लिया था और सामान्य कोटे से ही उसे प्रवेश मिला था. लेकिन उनके मेधावी भाई को आरक्षण का ताना दिया जाता था.प्रहलाद आरोप लगाते हुए कहते हैं, कॉलेज में दूसरे छात्रों की तुलना में हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. बड़ी मुश्किलों से हम पैसों की प्रबंध कर के अपने भाई को पढ़ा रहे थे. लेकिन मेडिकल कॉलेज के सीनियर बार-बार मेरे भाई को कहते थे कि वह ठीक से पढ़ाई नहीं कर पाता क्योंकि आरक्षण की बदौलत उसे यहां दाखिला मिला है. वे उसकी आर्थिक स्थिति का भी मजाक उड़ाते थे. Post Views: 168