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…तो महाराष्ट्र में बनी रहेगी एकनाथ शिंदे की सरकार; उद्धव ने दी नैतिकता की दुहाई तो शिंदे-फडवीस ने की खिंचाई

नयी दिल्ली/मुंबई, (राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र की सत्ता को लेकर चल रहे विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने आज निपटा दिया। प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुना दिया कि राज्य में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि उद्धव ठाकरे ने अगर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से पहले अपना इस्तीफा नहीं दिया होता, तो अदालत उनकी सरकार को बहाल कर सकती थी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का पिछले साल 30 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए बुलाना उचित नहीं था, लेकिन यह कहते हुए यथास्थिति का आदेश देने से इनकार कर दिया कि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और खुद से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में कोर्ट इस्तीफे को रद्द तो नहीं कर सकता है।
पीठ ने कहा कि राज्यपाल का ठाकरे को सदन के पटल पर बहुमत साबित करने के लिए बुलाना उचित नहीं था क्योंकि उनके पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए वस्तुनिष्ठ सामग्री पर आधारित कारण नहीं थे कि ठाकरे ने सदन का विश्वास खो दिया है। जिसमें जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा भी शामिल थे। हालांकि, यथास्थिति को बहाल नहीं किया जा सकता है क्योंकि ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया।इसलिए, राज्यपाल ने शिंदे को भाजपा के इशारे पर सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करना उचित समझा, जो कि सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी थी।

फडणवीस ने जताया पूर्ण संतोष
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पिछले साल शिवसेना केंद्रित राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर गुरुवार को पूर्ण संतोष व्यक्त करते हुए संवाददाताओं से कहा कि ‘मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूर्ण संतुष्टि व्यक्त करता हूं। जो लोग अनुमान लगा रहे थे कि यह सरकार आज गिर जाएगी, वे (फैसले से) चुप हो गए हैं।’

उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए फडणवीस ने कहा कि नैतिकता की बात उद्धव ठाकरे के मुंह से शोभा नहीं देती। मेरा उनसे यह सवाल है कि जब चुनाव में बीजेपी के साथ चुनकर आये और सीएम की कुर्सी के लिए कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया। तब आपने अपनी नैतिकता को किस डिब्बे में बंद कर दिया था? फडणवीस ने कहा कि आपने कुर्सी के लिए बालासाहेब के विचारों को छोड़ दिया और एकनाथ शिंदे ने विचारों के लिए कुर्सी छोड़ दी। वह सरकार में मंत्री थे लेकिन उन्होंने कुर्सी की परवाह नहीं की। इसलिए आपको नैतिकता पर कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है। भाजपा नेता ने आगे कहा कि यह लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जीत है।

शिंदे-फडणवीस ने SC के फैसले को ‘सत्य की जीत’ बताया
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना-भाजपा गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत बताते हुए गुरुवार को कहा कि इससे राज्य सरकार पर अदालत की मंजूरी की मुहर लग गई है और वे सही साबित हुए हैं। राहत महसूस कर रहे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और खुशी से चमकते उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार के पतन की भविष्यवाणी करने वाले सब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खामोश हो गए हैं।
हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरी तरह से समर्थन करते हैं..यह उम्मीद के अनुरूप था। हम खुश हैं, हमारी बात को देश की सर्वोच्च अदालत ने बरकरार रखा है।
शिंदे ने कहा कि इन महीनों में विपक्ष अफवाहें फैला रहा था कि सरकार अवैध और असंवैधानिक है और कभी भी गिर जाएगी, लेकिन उनकी सभी भविष्यवाणियां झूठी साबित हुईं।
उन्होंने कहा, लोकतंत्र में बहुमत महत्वपूर्ण है और बहुमत हमारे पास है.. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्पष्ट है कि देश में एक संविधान है और कोई भी उससे आगे नहीं जा सकता। यह स्पष्ट है कि हमने जो सरकार बनाई है वह कानून के दायरे में है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर शिंदे ने तंज कसते हुए कहा कि वह (ठाकरे) जानते हैं कि उन्होंने बहुमत खो दिया है और उनके पास अपना पद छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

सीएम शिंदे ने कहा कि इस्तीफा देने के बाद उद्धव ठाकरे ने इसे एक सैद्धांतिक रुख के रूप में साबित करने का प्रयास किया, लेकिन हमने नैतिकता को संरक्षित रखा है, और बालासाहेब ठाकरे के आदशरें द्वारा गठित शिवसेना को बचाया, जिसे उन्होंने (उद्धव ठाकरे) कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पास गिरवी रख दिया था।
सीएम शिंदे ने खुद समेत 16 विधायकों की अयोग्यता की बात का जिक्र करते हुए कहा कि अब इस पर अंतिम फैसला विधानसभा अध्यक्ष (राहुल नार्वेकर) द्वारा कानून के तहत लिया जाएगा।
शिंदे ने कहा, आज, हमारी सरकार को पूर्ण बहुमत वाली सरकार के रूप में सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिल गई है..हम फैसले का स्वागत करते हैं।

फ्लोर टेस्ट कराने का राज्यपाल का फैसला गलत था
शिवसेना के उद्धव गुट और शिंदे गुट के बीच विवाद पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ऐसी शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सकते, जो संविधान या कानून ने उन्हें नहीं दी है।

SC के फैसले के बाद पूर्व राज्यपाल कोश्यारी क्या बोले?
महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि मैं सिर्फ संसदीय और विधायी परंपरा जानता हूं। उसी हिसाब से मैंने तब जो कदम उठाए सोच-समझकर उठाए। उद्धव ठाकरे के इस्तीफे को लेकर भी कोश्यारी ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि, जब इस्तीफा मेरे पास आ गया तो मैं क्या कहता कि मत दो इस्तीफा?
दरअसल, राज्यपाल ने शिंदे गुट की बगावत के बाद तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट का बुलावा दिया था। जिसके बाद 29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे ने बहुमत परीक्षण की जगह खुद सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। 27 जून 2022 को शीर्ष अदालत ने अयोग्यता नोटिस पर जवाब दाखिल करने के लिए समय बढ़ाकर शिंदे को अंतरिम राहत दी। बाद में 29 जून को राज्यपाल द्वारा बुलाए गए फ्लोर टेस्ट को हरी झंडी दे दी थी।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा शक्ति परीक्षण कराए जाने की आलोचना के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्यपाल ने उस वक्त की स्थिति के अनुसार निर्णय लिया था। वहीं, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यदि फ्लोर टेस्ट हुआ और महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई तो क्या हुआ। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने सही निर्णय लिया था।

शिंदे गुट के 16 विधायकों का स्पीकर करेंगे फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अयोग्यता के मामले को स्पीकर समय सीमा में 16 विधायकों में मामले का निपटारा करें। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने स्वागत किया है। नार्वेकर ने कहा, मुझे नहीं लगता कि अदालत ने राजनीतिक स्थिति पर आदेश दिया, यह एक सराहनीय फैसला है। यह एक उचित निर्णय है।

बता दें कि विधायकों की अयोग्यता वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट में पिछले क़रीब 10 महीने से यह सुनवाई चल रही थी।
पिछले साल 21 जून को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ उनकी पार्टी के ही 16 विधायकों ने बग़ावत कर दी थी। 24 जून को शिवसेना ने इन 16 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग विधानसभा के तत्कालीन उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल से की थी। जिरवाल ने उन 16 विधायकों को नोटिस भेजा, लेकिन फिर उद्धव ठाकरे ने इस्तीफ़ा दे दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की सदस्यता निरस्त करने को लेकर फैसला स्पीकर के विवेक पर छोड़ा है।

वरिष्ठ अधिवक्ता उज्ज्वल निकम ने कहा कि न्यायालय ने व्हिप के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं और महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल का फैसला कैसे गलत था। उन्होंने कहा कि 16 विधायकों को जारी किए गए अयोग्यता नोटिस के संबंध में गेंद अब विधानसभा अध्यक्ष के पाले में है। उन्हें इस मामले को सुनना होगा और गुण-दोष के आधार पर फैसला करना होगा।

गद्दार लोगों के साथ सरकार कैसे चलाता इसलिए दिया इस्तीफा: उद्धव
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार को मुंबई में शिवसेना (UBT) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से ‘मातोश्री’ में मुलाकात की। इसके बाद उद्धव ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस किया।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आईना दिखाया है। कुछ लोग सत्ता के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मैं इस्तीफा नहीं देता तो राहत मिल सकती थी। मैंने नैतिकता के चलते इस्तीफा दिया था। जिन लोगों को मेरे पिता ने आगे बढ़ाया, वे मेरे खिलाफ बोल रहे थे। ऐसे गद्दारों के साथ सरकार कैसे चलाता?

राज्यपाल पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
उद्धव ठाकरे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर और राज्यपाल की भूमिका पर टिप्पणी की है। राज्यपाल के प्रति आदर होता है, यह बहुत बड़ा पद है। उनपर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गंभीर सवाल उठाए गए हैं। राज्यपाल को सत्र बुलाने का अधिकार नहीं था। उद्धव ने कहा कि जिस तरह मैंने नैतिकता के चलते इस्तीफा दिया था उसी तरह वर्तमान सीएम इस्तीफा दें।

लोकतंत्र की रक्षा के लिए काम करना है: उद्धव ठाकरे
नीतीश कुमार के साथ हुई मुलाकात के बारे में उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा करना हमारा काम है। कोर्ट ने कहा कि अगर मैं रिजाइन नहीं देता तो फिर से मुख्यमंत्री बन सकता था। मेरी लड़ाई खुद के लिए नहीं है, यह लड़ाई जनता के लिए है। राजनीति में विवाद होते रहते हैं। इस देश को बचाना है। संविधान को बचाना है। नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए उद्धव ने कहा कि ये पूरे देश में जा रहे हैं। हम साथ मिलकर लोकतंत्र को बचाने के लिए काम करेंगे। ये लोग फिर से एक बार देश को गुलाम बनाना चाहते हैं उनको फिर से घर भेजेंगे।

एकजुट होकर लड़ेंगे तो सफलता मिलेगी: नीतीश
नीतीश कुमार ने कहा, हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक पार्टियां एकजुट हों और मिलकर लड़ें। आज जो केंद्र में हैं वे देश के लिए कोई काम नहीं कर रहे हैं। ये लोग काम नहीं कर रहे सिर्फ प्रचार कर रहे हैं। कहीं कोई काम हो रहा है है बताइए? अलग-अलग राज्यों में जिन लोगों ने काम किया है उसकी चर्चा नहीं होती।
बिहार के सीएम ने कहा, समाज में विवाद पैदा नहीं होनी चाहिए। एकता रहनी चाहिए। हमलोग यही चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा पार्टियां एकसाथ मिलकर काम करें। इनसे (उद्धव ठाकरे) हमारी बात होती रहती है। इनका और हमलोगों का विचार एक है। देश के लिए काम करना है। पूरे देश को एकजुट करना है और आगे बढ़ना है। सभी लोग एकजुट होंगे और मुकाबला करेंगे तो सफलता मिलेगी। मैं अपने लिए कुछ नहीं करना चाहता। मैं सिर्फ सभी लोगों को एकजुट करना चाहता हूं।