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पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह होंगे महाराष्ट्र के नए राज्यपाल

मुंबई: पंजाब के पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह महाराष्ट्र के नए राज्यपाल होंगे। पंजाब की कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब विधानसभा चुनाव के कुछ समय पहले कांग्रेस से अलग हो गए थे। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं, अब कैप्टन अमरिंदर सिंह को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाए जाने का ऐलान उनके लिए एक बड़ा तोहफा बना जा रहा है।
दरअसल, महाराष्ट्र के मौजूदा राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने पद छोड़ने की इच्छा जताई थी। इसके बाद अमरिंदर सिंह को राज्यपाल बनाने का फैसला किया गया है।
गौरतलब है कि भगत सिंह कोश्यारी छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर अपनी टिप्प्णी के कारण लगातार विपक्ष के निशाने पर रहे। इसके चलते उन्होंने पद छोड़ने की तैयारी की थी।
कोश्यारी ने सोमवार को कहा था कि माननीय प्रधानमंत्री के हालिया मुंबई दौरे के दौरान मैंने सभी राजनीतिक दायित्यों से मुक्त होने और बाकी जीवन पढ़ने-लिखने और अन्य गतिविधियों में बिताने की अपनी इच्छा के बारे में उन्हें बताया था। उन्होंने कहा कि वह अपने जीवन का बाकी समय पढ़ने-लिखने समेत अन्य गतिविधियों में बिताना चाहेंगे।

राज्यपाल ने पीएम मोदी से क्या कहा?
राजभवन की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल कोश्यारी ने कहा था कि माननीय प्रधानमंत्री से उन्हें हमेशा प्यार और स्नेह मिला और वह उम्मीद करते हैं इस संबंध में भी उन्हें वही स्नेह मिलेगा। प्रधानमंत्री बीते 19 जनवरी को कई परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्धाटन के लिए मुंबई में थे। कोश्यारी ने कहा कि राज्यसेवक या राज्यपाल के रूप में संतों, समाज सुधारकों और बहादुर सेनानियों की धरती महाराष्ट्र जैसे महान राज्य की सेवा करना मेरे लिए पूर्ण सम्मान और सौभाग्य की बात है। बता दें कि भगत सिंह कोश्यारी ने महाराष्ट्र में तकरीबन तीन साल का कार्यकाल बतौर राज्यपाल पूरा किया है।

कहाँ से शुरू हुई गवर्नर की उल्टी गिनती…जब शिवाजी महाराज को बताया पुराने जमाने का हीरो!
पिछले साल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित बयान दिया था। एक कार्यक्रम में भाषण के दौरान उन्होंने कहा था कि जब हम स्कूल में पढ़ते थे तो हमारे टीचर हमसे पूछते थे कि आपके पसंदीदा नेता कौन हैं तो लोग अपनी अपनी इच्छा से अलग-अलग नाम लेते थे। कोई सुभाष चंद्र बोस तो कोई जवाहरलाल नेहरू तो कोई महात्मा गांधी का नाम लेता था और उन्हें अपना हीरो बताता था। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि अगर आप से अब कोई पूछे कि आपका फेवरेट हीरो कौन है तो आपको कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। सब कुछ आपको यहीं महाराष्ट्र में ही मिल जाएगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज तो पुराने जमाने की बात हैं। मैं नए युग की बात कर रहा हूं, सब यहीं मिल जाएंगे। डॉ. भीमराव आंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी तक आपको यहीं मिल जाएंगे।

तो मुंबई में कुछ नहीं बचेगा…!
पिछले साल ही राज्यपाल कोश्यारी ने एक और विवादित बयान दिया था। अंधेरी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि अगर गुजराती और राजस्थानी लोगों को मुंबई और ठाणे से हटा दिया जाए तो मायानगरी में पैसा नहीं बचेगा। कोश्यारी के इस बयान के बाद भी उनकी काफी किरकिरी हुई थी। इतना ही राज्य में नई बनी शिंदे-फडणवीस सरकार को भी विपक्ष के निशाने पर आना पड़ा था। इस बयान के बाद एकनाथ शिंदे ने यह भी कहा था कि राज्यपाल को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। हालांकि, बाद में राज्यपाल ने अपने इस बयान को लेकर माफी भी मांगी थी।

हॉस्टल का नाम रखने पर विवाद
भगत सिंह कोश्यारी उस वक्त भी विवादों में आ गए थे जब एक मुंबई यूनिवर्सिटी में एक इमारत के उद्घाटन के दौरान उसमें बने हॉस्टल का नाम स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर रखने का आदेश वाइस चांसलर को दिया था। इस बात पर मुंबई यूथ कांग्रेस ने भगत सिंह कोश्यारी पर जमकर निशाना साधा था।

शिवाजी महाराज के गुरु के नाम पर विवाद
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने पिछले साल मार्च के महीने में औरंगाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरु स्वामी समर्थ रामदास थे। उनके बयान के बाद महाराष्ट्र में जमकर सियासी बयानबाजी हुई थी। कोश्यारी ने कहा था कि जिस तरह से चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त को कौन पूछेगा? उसी तरह से समर्थ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? जीवन में गुरु का काफी महत्व होता है।
उनके इस बयान के बाद एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ की उस आर्डर कॉपी को भी ट्वीट किया था- जिसमें यह बताया गया था कि शिवाजी महाराज और स्वामी समर्थ रामदास के बीच में किसी भी तरह का गुरु और शिष्य का रिश्ता नहीं था।

सावित्रीबाई फुले पर दिया था विवादित बयान
राजपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सावित्रीबाई फुले पर भी विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि 1833 में उनका जन्म हुआ था और दस साल की उम्र में उनकी शादी हो गयी थी और उनके पति तेरह साल के थे। अब आप सोचिए इतने छोटे लड़के-लड़की शादी के बाद क्या करते होंगे।