दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य प्रशांत भूषण मामला: 100 अच्छे काम करने से 10 अपराध करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता: सुप्रीम कोर्ट 21st August 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अवमानना मामले में दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अपने बयान पर फिर से विचार करने के लिए दो दिन की मोहलत दी है। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा, किसी के द्वारा 100 अच्छे काम किए जाने का यह मतलब नहीं है कि उसे 10 अपराध करने का लाइसेंस मिल जाए।दरअसल, पीठ ने यह अहम टिप्पणी सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन की उस दलील पर की, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रशांत भूषण के ट्वीट न्यायपालिका की गरिमा को कैसे कम कर सकते हैं? धवन ने कहा कि कोर्ट को यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि प्रशांत भूषण ने कई जनहित याचिकाएं दायर की हैं।वहीं, जब प्रशांत भूषण ने यह कहा कि वह सजा भुगतने के लिए तैयार हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को अपने बयान पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। पीठ ने कहा, हम अवमानना के मामले में जल्दी किसी को सजा नहीं देते हैं इस पर संतुलन होना जरूरी है। हर चीज की लक्ष्मणरेखा होती है। आपको वह रेखा क्यों लांघनी चाहिए? कोर्ट ने भूषण से कहा कि क्या वह अपने बयान पर फिर से गौर कर सकते हैं। दिल से खेद जताएं तो उदारता दिखा सकती है अदालतसुप्रीम कोर्ट ने कहा, हम आपको समय देना चाहते हैं जिससे कि बाद में आप यह शिकायत न करें कि आपको वक्त नहीं दिया गया। पीठ ने प्रशांत भूषण को पुनर्विचार करने के लिए कहते हुए कहा, अगर अवमानना करने वाला अपने दिल से खेद व्यक्त करता है तो वह उदारता दिखा सकती है। इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो कर्तव्य में असफल होता: प्रशांत भूषणप्रशांत भूषण ने कहा, मेरे दोनों ट्वीट में वही बातें थीं, जैसा मेरा मानना था। मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे। ये अवमानना के दायरे से बाहर हैं। अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता। अदालत जो भी सजा देगी, उसे मैं भुगतने के लिए तैयार हूं। अगर मैं माफी मांगता हूं तो यह मेरी ओर से अवमानना के समान होगा। न मुझे दया चाहिए और न ही इसकी मांग कर रहा हूं: प्रशांत भूषणवीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से प्रशांत भूषण ने अपनी दलील में कहा, कोर्ट की ओर से अवमानना का दोषी ठहराए जाने से मैं बहुत दुखी हैं। उन्होंने दोहराया कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आलोचनाओं की जगह होना बहुत जरूरी है। भूषण ने कहा, मेरे ट्वीट, जिन्हें अदालत की अवमानना का आधार माना गया, वह मेरी ड्यूटी हैं, और कुछ नहीं। उन्हें संस्थानों को बेहतर बनाए जाने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए। जो मैंने लिखा, वह मेरी निजी राय है, मेरा विश्वास और विचार हैं और मुझे अपनी राय रखने का अधिकार है। महात्मा गांधी का हवाला देते हुए भूषण ने कहा, न मुझे दया चाहिए न मैं इसकी मांग कर रहा हूं। मैं दरियादिली भी नहीं चाह रहा। कोर्ट जो भी सजा देगा, मैं खुशी से स्वीकार करने को तैयार हूं! Post Views: 198