दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्यसामाजिक खबरें भारत ने बनाई कोरोना की जांच करने वाली ‘जादुई हथेली’ चंद सेकंड में मालूम पड़ जाता है कोरोना है या नहीं..! 19th April 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this चेन्नई: चेन्नई में केजे अस्पताल के शोधकर्ताओं ने हथेली के साइज की ऐसी डिवाइस का आविष्कार किया है. जिससे कुछ ही सेकंडों में व्यक्ति में कोरोना (Coronavirus) संक्रमण का पता चल जाता है. रिसर्चर का दावा है कि यह डिवाइस कुछ ही सेकंड में बॉडी टेंपरेचर, ऑक्सीजन के लेवल, ब्लड प्रेशन और ब्लड काउंट की जानकारी दे देती है. वैज्ञानिकों ने बनाई जादुई हथेलीरिसर्चर के अनुसार, इस हथेलीनुमा डिवाइस में हाथ डालने पर यह काम करने लगती है. बिना किसी चुभन के इसमें लगी चिप आपकी हथेली को साथ लगे कंप्यूटर से अटैच कर देती है और कुछ ही सेकंड में सारे नतीजे स्क्रीन पर फ्लैश कर देती है. जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट में नतीजे आने में 6 घंटे लगते हैं. यह डिवाइस मानव शरीर में बनने वाली बेहद कम मात्रा की बिजली को मापने में सक्षम बताई जा रही है. आमतौर पर एक सामान्य व्यक्ति में 23 और 25 मिलियन वोल्ट (MV) बिजली होती है. हालांकि शोधकर्ताओं के निष्कर्षों में पता चला है कि साधारण वायरस से संक्रमित लोगों में बिजली की यह मात्रा केवल 20-22MV ही दिखती है. वहीं कोरोना संक्रमित लोगों में केवल 5-15MV रीडिंग ही दिखती है. सेकंडों में बता देती है नतीजेइस डिवाइस (Palm-Sized Device) में लगे सेंसर लो ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन, ब्लड प्रेशर, सफेद ब्लड सेल, रेड ब्लड सेल, प्लेटलेट काउंट और बुखार को भी काउंट करने में कामयाब रहते हैं. इस डिवाइस को तैयार करने वाली टीम का कहना है कि उसे ये आइडिया कैंसर रोगियों पर किए गए अध्ययन के दौरान सामने आया. उसमें कैंसर मरीज की बिजली की कंपन 68MV निकली थी. उससे पता चल रहा था कि रोगी को बुखार और शरीर में बन रही कोशिकाओं में गुणात्मक बढ़ोत्तरी तेज हो रही है. जांच में सही निकले रिजल्टजी मीडिया से बात करते हुए KJ Research Foundation के वैज्ञानिक Dhejasvee Rajagopal और Arun Inbaraj ने कहा, हमने चेन्नई में स्टैनली और ओमानंदुर अस्पतालों में आने वाले सैकड़ों रोगियों पर इस डिवाइस (Palm-Sized Device) की जांच की. आरटी-पीसीआर और हमारी डिवाइस के नतीजे 100 पर्सेंट एक जैसे निकले. वहीं स्टैंडर्ड ब्लड काउंट करीब 98 पर्सेंट सही निकला. केवल 10 हजार में तैयार हुई डिवाइसउन्होंने बताया कि यह डिवाइस (Palm-Sized Device) पिछले 15 महीनों में तैयार की गई है और इस पर करीब 10 हजार रुपये का खर्च आया है. टीम ने इस डिवाइस का पेटेंट करवाने के लिए अप्लाई कर दिया है. इसके साथ ही रिसर्च पेपर भी तैयार किया जा रहा है. अस्पताल के चीफ सर्जन Dr. Jegadeesan कहते हैं कि उनका रोल इस मामले में केवल आइडिया देने, रिसर्च और विकास की सुविधा देने का था. कई ऐसे पार्टनर हैं, जो अब इसके कमर्शल उत्पादन का जिम्मा उठाएगी. Post Views: 184