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महाराष्ट्र के कॉपरेटिव बैंक के चुनाव में BJP ने किया खेला, एमवीए को बड़ा झटका; मंत्री भी हारे!

मुंबई: महाराष्ट्र के सतारा में जिला कॉपरेटिव बैंक के चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है। यही नहीं इससे खिसियाये एनसीपी विधायक शशिकांत शिंदे के समर्थकों ने पार्टी के दफ्तर पर पत्थरबाजी की है।
बता दें कि शिंदे बैंक के निदेशक के चुनाव के लिए मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। शिंदे को एनसीपी के ही बागी नेता दयानदेव रंजने ने महज एक वोट से शिकस्त दे दी।बागी नेता के हाथों पार्टी विधायक की हार से कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने एनसीपी के दफ्तर में पत्थरबाजी करना शुरू कर दी। शिंदे की हार की खबर मिलते ही कार्यकर्ता दफ्तर में जुटने लगे थे।
इस चुनाव में भाजपा को बड़ी सफलता मिली है, जिसने एनसीपी के बागी रांजने को समर्थन दिया था। रांजने ने जीत के बाद भाजपा के विधायक शिवेंद्र राजे भोसले का धन्यवाद दिया है, जिन्होंने इस चुनाव में उनका समर्थन किया था।
सहकारी बैंकों के चुनाव को महाराष्ट्र में काफी अहम माना जाता है क्योंकि राज्य में सहकारी शुगर मिलों की फंडिंग में इनकी बड़ी भूमिका होती है। एनसीपी की शुगर मिलों और सहकारी बैंकों में हमेशा से मजबूत पकड़ रही है। लेकिन इस चुनाव के नतीजे से उसे करारा झटका लगा है, जिसमें उसकी जीत तय मानी जा रही थी।
इसी चुनाव में शिवसेना के नेता और गृह राज्य मंत्री शंभूराजे देसाई को भी हार झेलनी पड़ी है। देसाई को पूर्व मंत्री विक्रमसिंह पाटनकर के बेटे सत्यजीत पाटनकर ने मात दी है। सतारा के एसपी अजय कुमार शिंदे ने कहा कि उपद्रव मचाने वाले एनसीपी के 7 से 8 कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया था। इसके अलावा खुद शशिकांत शिंदे ने एनसीपी और पार्टी मुखिया शरद पवार से माफी मांगी है। शिंदे को अजीत पवार का करीबी माना जाता है, जो उद्धव सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। शिंदे ने कहा, ‘कार्यकर्ताओं ने भावुकता में आकर जो कुछ भी किया है, उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। मैं अपने समर्थकों से धैर्य बनाए रखने की अपील करता हूं।’

शिंदे बोले- हार के पीछे साजिश, जल्द होगा खुलासा
इसके साथ ही शिंदे ने अपनी हार की वजह साजिश बताई है। उन्होंने कहा कि मैं सिर्फ एक वोट के अंतर से हारा हूं। इसके पीछे गहरी साजिश थी, जो आने वाले दिनों में उजागर होगी।
सतारा कॉपरेटिव बैंक के चुनाव में कुल 21 पदों पर चुनाव होना था, जिनमें से 11 पर सदस्य निर्विरोध ही चुन लिए गए, जबकि 10 सीटों के लिए मतदान हुआ था।