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महाराष्ट्र: 25 तोला सोने के साथ बेटी को दुल्हन बनाकर भेजा…फिर भी दहेज़ के दानवों ने उसे मार डाला, ससुराल के आंगन में जला दी चिता!

बारामती: महाराष्ट्र के बारामती से इंसानियत और मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आई है। भारत सरकार ‘बेटी बचाओ’ के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। साथ ही महिलाओं पर आए दिन हो रहे अपराधों को लेकर भी कई कड़े कानून बनाए गए हैं। लेकिन आज भी रोजाना सैंकड़ों बेटियां दहेज की बलि चढ़ रहीं हैं। दहेज़ के दानव और पैसे के लालची लोग अपनी बहूओं की हत्या करने में अब भी जरा हिचक नहीं रखते हैं।

ऐसा ही एक दुखद मामला महाराष्ट्र के बारामती से सामने आया है। जहां एक बेटी को शादी के एक साल बाद ही उसे जहर देकर मार डाला। ऐसे आरोप मृतका के माता-पिता ने उसके ससुरालवालों पर लगाया है। इतना ही नहीं लड़की के घरवाले गुस्से में ससुराल के आंगन में उसका अंतिम संस्कार तक करके आ गए।
दरअसल, यह मानवता को शर्मसार करने वाली यह घटना बारामती के सांगवी गांव में हुई। जहां 21 साल की गीतांजलि ने गुरुवार को दम तोड़ दिया था। कुछ देर बाद ससुरालवालों ने मायके वालों को सूचना दी कि गीतांजलि ने जहर खा लिया है, हम उसे एक निजी अस्पताल में भर्ती कर दिया है। लेकिन इलाज के दौरान वह जिंदगी की जंग हार गई। शुक्रवार को पुणे के ससून अस्पताल में उसके शव को पोस्टमार्टम करके परिवार को सौंप दिया।
गीतांजलि के घरवालों ने उसके पति और सास-ससुर के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाया है। साथ ही उन्होंने अपनी बेटी का अंतिम संस्कार ससुराल वालों के आंगन में ही करने का फैसला किया। जिसके चलते गांव में तनाव बढ़ गया और पुलिस को करीब 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात करने पड़े। इसके बाद गुस्साए रिश्तेदारों ने घर के सामने ही बेटी की चिता जला दी।
बता दें कि गीतांजलि की शादी एक साल पहले सांगवी गांव के अभिषेक तावरे से हुई थी। बीती 24 मई को उसकी शादी की पहले सालगिरह थी। लेकिन उसे क्या पता था कि यह खुशी उसकी आखिरी है, क्योंकि दो दिन बाद ही वह दुनिया से अलविदा कह गई। पुलिस ने मायके वालों की शिकायत पर ससुराल वालों के खिलाफ मामला दर्ज लिया है।
बारामती पुलिस को मृतका की चाची नमिता यादव ने बताया कि हमने बड़ी धूमधाम से बेटी की शादी की थी। जितना हमारे पास था, सब दहेज में दे दिया। लेकिन ससुराल वालों का मुंह फिर भी बंद नहीं हुआ। उन्होंने 51 तोला सोने के गहने देने की मांग की, हमारी आर्थिक हालात इतने ठीक नहीं थे कि उनकी यह मांग पूरी कर सकें।