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महाराष्ट्र: अब उद्धव सरकार में परिवहन मंत्री अनिल परब की मुश्किलें बढ़ी! जांच का आदेश, निलंबित अधिकारी ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

मुंबई: नाशिक के पुलिस आयुक्त ने ट्रांसपोर्ट विभाग के मंत्री अनिल परब और छह अधिकारियों पर रिश्वतखोरी के आरोप की जांच का आदेश दिया है। रिश्वतखोरी का आरोप रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) के एक निलंबित मोटर वेहिकिल इंस्पेक्टर ने लगाया है। शिकायतकर्ता गजेंद्र पाटिल ने बताया है कि वास्तव में यह आरटीओ में मलाईदार पदों पर नियुक्ति का मामला है जिसमें मंत्री और कई उच्चाधिकारी शामिल हैं। इन नियुक्तियों में करोड़ों रुपये का लेन-देने होता है। निलंबित अधिकारी की लिखित शिकायत के आधार पर ही पुलिस आयुक्त दीपक पांडेय ने जांच का आदेश दिया है। प्रतिक्रिया में शिवसेना के वरिष्ठ नेता व मंत्री परब ने आरोप को झूठा और आधारहीन बताया है। उन्होंने कहा है कि यह महाविकास अघाड़ी सरकार को बदनाम करने की साजिश है, जो सफल नहीं होगी।
नाशिक के आरटीओ रहे पाटिल ने अपनी शिकायत ईमेल के जरिये नाशिक के पंचवटी थाने को 16 मई को भेजी थी। इसके बाद वह खुद 17 मई को थाने आए थे और उन्होंने अपनी शिकायत के आधार पर एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। पाटिल ने अपनी शिकायत में बॉर्डर चेकपोस्ट, प्राइवेट बस ऑपरेटरों और बीएस-4 वाहनों के नाम पर होने वाली वसूली के बारे में बताया है, लेकिन पुलिस ने जब उनसे अपना बयान दर्ज कराने और शिकायत को पुष्ट करने वाले दस्तावेजी सुबूतों की मांग की तो पाटिल पीछे हट गए हैं। इसके बाद पुलिस आयुक्त पांडेय ने पूरे मामले की जांच पुलिस उपायुक्त को सौंप दी और पांच दिनों में रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि इसी साल उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के पास विस्फोटक रखने के मामले में चर्चा में आए मुंबई पुलिस के बर्खास्त अधिकारी सचिन वाजे ने अनिल परब पर दो करोड़ रुपये की वसूली के लिए दबाव डालने का आरोप लगाया था। वाजे को यह वसूली 50 ठेकेदारों से करनी थी।