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महाराष्ट्र: हिंदुत्व के मुद्दे पर शिवसेना और कांग्रेस आमने-सामने, सावरकर को ‘भारत रत्न’ दिलाने पर सियासत तेज

मुंबई: विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न दिलाने को लेकर महाराष्ट्र में सियासत शुरू हो गई है। इस मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के दो प्रमुख घटकों कांग्रेस और शिवसेना आमने-सामने आ चुके हैं। ये सियासी जंग तेज होने की उम्मीद है। एक तरफ शिवसेना है जो सावरकर को भारत रत्न दिए जाने की मांग कर रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस है जो इस मांग का विरोध कर रही है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे के सावरकर और हिंदुत्व को लेकर दिए गए बयान के बाद उनकी सत्ताधारी गठबंधन में ही बवाल मच गया है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न, हिंदुत्व के विचारक विनायक दामोदर सावरकर को दिए जाने की मांग को लेकर महागठबंधन सरकार में उसके सहयोगी दल शिवसेना के साथ कांग्रेस का स्टैंड अलग है। कांग्रेस ने ये बयान जारी कर साफ कर दिया है कि हिंदुत्व विचारधारा के मुद्दे पर वह शिवसेना के साथ नहीं खड़ी है।
इससे पहले सपा के अबु आजमी ने भी ठाकरे के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि सीएम का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार में शामिल मुस्लिम मंत्रियों से कहा कि अगर उनमें थोड़ी भी शर्म बची है तो उन्हें इस्तीफा देकर सरकार से बाहर चले जाना चाहिए। अबु आजमी ने कहा कि सरकार सेक्युलर नहीं रह गई है और वह गठबंधन सरकार चलाने के लिए एजेंडे से भटक गई है। इसकी शिकायत उन्होंने एनसीपी चीफ शरद पवार को पत्र लिखकर की है।
दरअसल, कांग्रेस की ओर से ये बयान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने सावरकर को भारत रत्न दिलाने की मांग की थी। उद्धव ठाकरे ने विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं से सवाल करते हुए पूछा था कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी ने अब तक सावरकर को भारत रत्न से सम्मानित क्यों नहीं किया?
इससे पहले, पिछले साल अक्टूबर में शिवसेना नेता संजय राउत ने पूछा था कि केंद्र की भाजपा सरकार ने सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा था कि पार्टी ने सावरकर को लेकर अपना रुख कभी नहीं बदला है।