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महावितरण घोटाला: अधिक बिल भेजने पर ‘महावितरण का काला चिट्ठा’ नाम से पुस्तक का प्रकाशन

मुंबई: महावितरण द्वारा राज्य सरकार की सहमति से अधिक बिजली बिल भेजकर उपभोक्ताओं के पैसे पर डाका डाला गया है। महावितरण की आर्थिक आवश्यकताओं को साझा करने के लिए यह घोटाला किया गया है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय में शुक्रवार को आयोजित पत्रकार परिषद में भाजपा नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने यह आरोप लगाया। परिषद से पहले प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के हाथों ‘महावितरण का काला चिट्ठा’ नाम से पुस्तक का प्रकाशन किया गया।
इस मौके पर पाटिल ने कहा कि पिछले आठ महीने से राज्य सरकार केवल इस पर ही विचार कर रही है कि प्रत्येक विषय को एक-दूसरे पर कैसे थोपा जाए। इस दौरान मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये, विधायक निरंजन डावखरे, महासचिव श्रीकांत भारतीय व पूर्व विधायक राज पुरोहित उपस्थित थे।
पूर्व सांसद सोमैया ने कहा कि कोरोना काल में औसतन बिजली बिल देने का निर्णय राज्य सरकार ने घोषित किया, लेकिन प्रत्यक्ष में केवल अप्रैल, मई और जून में औसतन बिल दिया गया। जुलाई महीने में प्रत्यक्ष रीडिंग के अनुसार बिल देंगे, ऐसा कह कर दोगुना से तीन गुना कीमत को बढ़ाकर बिजली बिल का वितरण किया गया। महावितरण को उनके कर्मचारियों को वेतन देने के लिए और विद्युत आपूर्ति को सुचारु रूप से शुरू रखने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता थी। राज्य सरकार द्वारा असमर्थता दिखाने पर मंत्रालय में बैठकर आम लोगों से इस तरह बढ़े बिजली बिल के रूप में लूट मचाने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया। ऐसा सामने आया है कि लगभग 1 लाख से अधिक ग्राहकों को 5 हजार यूनिट तक बढ़ा हुआ मीटर रीडिंग दिखाकर अधिक बिजली बिल दिया गया है। अनेक लोगों को बढ़ा हुआ बिजली बिल देने और उनमेें सुधार किया गया है, ऐसा महावितरण ने स्वीकार किया है।
सोमैया ने मांग की कि राज्य सरकार जुलाई महीने में की गई रीडिंग को स्थगित करके, जुलाई महीने के बिल को वापस ले, कोरोना के दौरान 20 से 22 प्रतिशत की गई मूल्य वृद्धि को रद्द करे और बिजली बिल भरने की समय सीमा को बढ़ाए। साथ ही उन्होंने कहा कि कोकण, विदर्भ, पश्चिम महाराष्ट्र, खानदेश, मुंबई, महामुंबई जैसे राज्य के सभी भागों के बढे हुए बिजली बिल के 100 नमूनों को एकत्रित करके ‘महावितरण का काला चिट्ठा’ ऊर्जामंत्री को भेजा जाएगा। साथ ही राज्यपाल से मिलकर उनके समक्ष भी इस समस्या को रखा जाएगा।