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मुंबई: मराठी की अनिवार्यता पर सुभाष देसाई बोले- अगले सत्र में बनेगा कानून

मराठी भाषा अधिनियम के प्रस्ताव पर मराठी पत्रकार संघ में मिडिया से विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए सुभाष देसाई।

मुंबई: राज्य में कार्यरत विभिन्न बोर्डों के स्कूलों में मराठी भाषा की अनिवार्यता के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल के अगले अधिवेशन में कानून बनाया जाएगा। इस बारे में चर्चा के लिए मराठी भाषी विभाग के मंत्री सुभाष देसाई की अध्यक्षता में मंत्रालय में एक बैठक हुई। कक्षा 12वीं तक मराठी को अनिवार्य बनाने के लिए मराठी भाषा विभाग की तरफ से एक समिति गठित की गई थी। विधि व न्याय विभाग ने अन्य राज्यों के कानून व केंद्रीय शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों को ध्यान में रखकर अपनी राय दी है। इस कानून को लागू करने के लिए स्कूली शिक्षा विभाग को मराठी भाषा विभाग सहयोग करेगा। देसाई ने अन्य राज्यों के कानून की तर्ज पर तैयार किए गए मराठी भाषा अधिनियम के प्रस्ताव पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने कहा कि कानून तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि स्कूलों में इसका पालन सुलभ हो, कानून में ऐसे प्रावधान किए जाएं कि तबादले वाली नौकरी करने वाले अभिभावक, जो बाहर के राज्यों से महाराष्ट्र में आते हैं, उनके बच्चों को मराठी विषय लेना मुश्किल होगा, उन्हें छूट मिल सके। उन्होंने मराठी के उपयोग को बढ़ाने के लिए सभी को साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता जताई। बैठक में मराठी भाषा सचिव डॉ. हर्षदीप कांबले, विधि व न्याय विभाग के सचिव राजेंद्र भागवत, स्कूली शिक्षा उपसचिव रमेश पवार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। इसके पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती में कहा था कि राज्य के सभी स्कूलों में मराठी को अनिवार्य किया जाएगा। उनका कहना था कि हम महाराष्ट्र के हर स्कूल, चाहे वह किसी भी माध्यम का हो, उसमें कक्षा 10वीं तक मराठी भाषा अनिवार्य करने जा रहे हैं।

महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार अगले विधानसभा सत्र में एक विधेयक लाएगी जिसमें राज्य के सभी स्कूलों में मराठी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य होगी, चाहे वे किसी भी माध्यम के हों। शिवसेना नेता देसाई ने कहा कि इस संबंध में विधेयक का मसौदा तैयार किया जा रहा है। देसाई यहां ‘मुंबई मराठी पत्रकार संघ’ में एक संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे।
विधानसभा का अगला सत्र फरवरी में होगा। देसाई के हवाले से एक बयान में कहा गया, सरकार अगले महीने विधानसभा सत्र में एक कानून बनाएगी जिसमें सभी स्कूलों में पहली से दसवीं कक्षा तक मराठी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य होगी चाहे उनमें किसी भी माध्यम में अध्यापन कार्य होता हो। उन्होंने कहा कि राज्य में अंग्रेजी माध्यम के 25 हजार स्कूल हैं और उनकी संख्या बढ़ रही है। इन स्कूलों में मराठी नहीं पढ़ाई जाती या उसे वैकल्पिक विषय के रूप में रखा जाता है। उन्होंने कहा, ऐसे सभी स्कूलों में मराठी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य होगी।
महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि मराठी राज्य की भाषा है और हर किसी को इसे सीखना चाहिए। अगर सभी स्कूलों में मराठी सीखने का कानून बनाया जाता है तो सभी इसे सीखेंगे।

हर दिन पढ़ाई जाएगी संविधान की प्रस्तावना: वर्षा गायकवाड़
वहीँ राज्य मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने मंगलवार को ऐलान किया कि महाराष्ट्र में 26 जनवरी से सभी स्कूलों में हर सुबह की प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना का पाठ अनिवार्य रूप से किया जाएगा। छात्र संविधान की प्रस्तावना का पाठ करेंगे ताकि वे इसका महत्व जानें। सरकार का यह काफी पुराना प्रस्ताव है लेकिन हम इसे 26 जनवरी से लागू करेंगे।