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मुंबई: शरद पवार का ऐलान- नंबर हमारे पास, बनाएंगे सरकार, उद्धव संग की प्रेस कॉन्फ्रेंस

मुंबई: महाराष्ट्र की बाजी रातोंरात हाथ से निकल जाने के बाद एनसीपी मुखिया शरद पवार ने कहा कि राज्य में नवनियुक्त सरकार का एनसीपी को समर्थन नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा कि बीजेपी सरकार के साथ सिर्फ अजित पवार गए हैं, एनसीपी नहीं। उन्होंने कहा कि उनके पास अब भी विधायकों की पर्याप्त संख्या है और हमारे (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) गठबंधन की सरकार बनेगी। उन्होंने कहा कि एनसीपी विधायक दल के नेता के रूप में अजित पवार के पास सभी पार्टी विधायकों का हस्ताक्षर था। इतना तय है कि विधानसभा के पटल पर देवेंद्र फडणवीस सरकार अपना बहुमत साबित नहीं कर सकेगी। उन्होंने कहा कि शिवसेना और एनसीपी उन विधायकों को चेतावनी भी दी जो बीजेपी के साथ जाने का मन बना रहे हैं।

जो हो रहा है उस पर पूरे देश की नजर: उद्धव ठाकरे
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये सब जो खेल हो रहा है, उस पर पूरे देश की नज़र है। उन्होंने कहा, हम पर इल्जाम लगाया जा रहा है, लेकिन शिवसेना जो भी करती है डंके की चोट पर करती है। वो (बीजेपी) तोड़ने का काम करते हैं और हम जो भी करते हैं, वो लोगों को जोड़ कर करते हैं। इससे यही पता चलता है कि उनकी सोच ‘मैं और सिर्फ मैं’ की है, गठबंधन का कोई मूल्य नहीं। यह छत्रपति शिवाजी महराज की भावना पर ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ हुआ है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा है कि यह छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती पर ‘फर्जिकल स्ट्राइक’ है और राज्य की जनता इसका करारा जवाब देगी।
ठाकरे ने राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ शनिवार को यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य में यह राजनीतिक घटनाक्रम रात के अंधेरे में हुआ जो चौंकाने वाला है। शिवसेना अंधेरे में नहीं बल्कि जो भी करती है, दिन के उजाले में करती है।

अजित पवार के साथ और कोई नहीं: पवार
मुंबई में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एनसीपी चीफ ने कहा, सुबह 6:30 बजे मुझे जानकारी मिली कि राज्यपाल अभी राजभवन में ही हैं और पता चला कि अजित पवार उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे हैं। यह निर्णय सिर्फ अजित पवार का है और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के खिलाफ है। मैं आश्वस्त हूं कि एनसीपी का एक भी विधायक बीजेपी के साथ नहीं जाएगा। पवार ने दल तोड़कर बीजेपी का साथ देने वाले विधायकों को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा, जो सोच रहे हैं कि वो बीजेपी के साथ जाएंगे, उन्हें दल बदल विरोधी कानून का पता होना चाहिए। इस तरह का फैसला लेने वाले पर महाराष्ट्र की आम जनता परखेगी। हमें जो शिवसेना और एनीसीपी की तरफ से पाला बदलने वालों पर कार्रवाई करनी होगी, वह हम करेंगे। जब से यह घटना घटी है, कुछ लोगों ने हमसे संपर्क किया है। वह व्यक्ति डॉ. राजेंद्र शिंदे नहीं शरद पवार हैं।

मारे पास करीब 170 विधायक: शरद पवार
एनसीपी चीफ ने कहा कि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच सब कुछ फाइनल हो चुका था। उन्होंने कहा, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना, तीनों दलों के नेताओं ने एकसाथ बैठकर सरकार बनाकर निर्णय लिया था। तीनों पार्टी के नेता और उनके निर्वाचित विधायक एक साथ आए थे। कुछ निर्दलीय विधायकों ने भी हमारा समर्थन दिया था जिससे हमारी संख्या 169-170 तक पहुंच गई थी। दरअसल, शुक्रवार शाम पवार ने ही मुख्यमंत्री के तौर पर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बनने का ऐलान किया था।

दो विधायकों ने कहा- धोखे से राजभवन ले गए अजित पवार
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनसीपी के 10-12 विधायक भी मौजूद थे। इनमें दो ऐसे विधायक थे जो आज सुबह अजित पवार के साथ राजभवन गए थे। इनमें से एक विधायक राजेंद्र शिंदे ने कहा, मुझे अजित पवार का फोन आया था। उन्होंने मुझे धनंजय मुंडे के बंगले पर बुलाया। हम जब राजभवन पहुंचे तो मुझे बिल्कुल भनक नहीं थी कि हम यहां क्यों पहुंचे। देवेंद्र फडणवीस ने वहां पहुंचकर शपथ ली। हमें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि क्या होने वाला है। मैं राष्ट्रवादी के साथ हूं और शरद पवार के अंडर ही काम करता हूं और करता रहूंगा। फिर बीड़ से विधायक संजीव शेतकारे को शरद पवार ने मंच पर बुलाया। शेतकरे ने कहा, अजित पवार ने मुझे फोन किया। यह सारी घटनाक्रम होने के बाद हम कह रहे हैं कि हम शरद पवार के साथ हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे, उनके पुत्र आदित्य ठाकरे, पार्टी नेता संजय राउत, एनसीपी प्रमुख शरद पवार मौजूद रहे!

नवाब मालिक ने बताया अजित का खेल
राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि हमने उपस्थिति के लिए 40 विधायकों के दस्तखत कराए थे। शपथ के दौरान उन हस्ताक्षरों का गलत इस्तेमाल किया गया। भाजपा ने धोखे से सरकार बनाई है, जो विधानसभा के फ्लोर पर ही गिरेगी। उधर, भाजपा नेता गिरीश महाजन ने कहा कि हम 170 विधायकों के समर्थन से बहुमत साबित कर देंगे। अजित पवार ने अपने विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंप दिया है। वे ही राकांपा के विधायक दल के नेता हैं। इसका मतलब है कि हमें राकांपा के सभी विधायकों का समर्थन है।

गौरतलब है कि आज तड़के सुबह बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उन्हें राजभवन में शपथ दिलवाई। वहीं, एनसीपी नेता अजित पवार ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। तब शिवसेना और एनसीपी, दोनों ने कहा कि अजित पवार ने धोखा दिया है। बाद में एनसीपी चीफ ने ट्वीट कर कहा कि अजीत पवार ने अकेले बीजेपी के साथ सरकार बनाने का फैसला लिया, इसका एनसीपी समर्थन नहीं करती है।

गठबंधन बने और टूटे
बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर को आए थे। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री की बात पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन में दरार पड़ गई। इसके बाद कई दौर की बातचीत के बाद शिवसेना-राकांपा और कांग्रेस में सरकार बनाने को लेकर सहमति बनती दिखी। शुक्रवार रात राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने साफ कर दिया था कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर सहमति बन गई है। कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि बातचीत में कई मुद्दे सुलझा लिए हैं, लेकिन कुछ मसलों पर बातचीत चल रही है।

राज्यपाल ने दिल्ली दौरा रद्द कर कराया शपथ ग्रहण
जानकारी के मुताबिक, अजित पवार 30 विधायकों के साथ अलग हो गए हैं और नई पार्टी बना ली है। शरद पवार ने ट्वीट किया- अजित ने जो किया, वह राकांपा का फैसला नहीं है। यह भी कहा जा रहा है कि राकांपा के कुछ बड़े नेता भाजपा में शामिल हुए थे। उनकी ही इस घटनाक्रम में बड़ी भूमिका बताई जा रही है।
वहीं, शुक्रवार रात में राकांपा की बैठक में अजित पवार मौजूद नहीं थे। उसी दौरान भाजपा के साथ उनकी बातचीत आगे बढ़ी। दरअसल, शिवसेना 5 साल का मुख्यमंत्री चाहती थी। अजित की मुख्य आपत्ति यह थी कि शिवसेना को पूरे 5 साल का मुख्यमंत्री क्यों दिया जाए, जबकि हमारे (राकांपा के) पास भी बराबरी की सीटें हैं। राज्यपाल कोश्यारी का दो दिन (शनिवार-रविवार) दिल्ली दौरा था। ऐन मौके पर उन्होंने कार्यक्रम रद्द किया और शनिवार सुबह शपथ ग्रहण करा दिया।

PM मोदी ने फडणवीस को दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवेंद्र फडणवीस को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, “फडणवीस जी को मुख्यमंत्री और अजित पवार जी को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने की बधाई। मुझे विश्वास है कि दोनों महाराष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के लिए परिश्रम और लगन से काम करेंगे।”

शिवसेना की वजह से ऐसा हुआ: फडणवीस
फडणवीस ने कहा- हमारे नेता मोदी जी और शाह जी का बहुत आभार। उन्होंने फिर एक बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में मुझे सेवा करने का मौका दिया। महाराष्ट्र की जनता ने एक स्पष्ट जनादेश दिया था। शिवसेना ने हमारे साथ गठबंधन करने के बजाय दूसरी जगह गठबंधन करने का फैसला किया। शिवसेना की वजह से ऐसी नौबत आई। महाराष्ट्र जैसे अगड़े राज्य को यह शोभा नहीं देता कि यहां ज्यादा दिन राष्ट्रपति शासन लगा रहे। यहां ऐसी कोई सरकार बननी भी नहीं चाहिए जो ज्यादा दिन चल न सके। मैं अजित पवार जी का शुक्रिया करना चाहूंगा कि वे हमारे साथ आए। इसलिए हमने राज्यपाल जी को दावा पेश किया। राज्यपाल जी ने राष्ट्रपति जी से चर्चा की कि शासन हटाने की अनुशंसा की जाए। इसलिए राज्यपाल जी ने हमें शपथ के लिए बुलाया। अजित पवार ने कहा कि हम किसानों की समस्या हल करने के लिए साथ आए हैं।

कैबिनेट की मंजूरी से ही हटाया जाता है राष्ट्रपति शासन
संविधान विशेषज्ञ बताते हैं कि जब भी गवर्नर राष्ट्रपति शासन को हटाने की अनुशंसा करता है तो इसके लिए कैबिनेट के बहुमत की मंजूरी अनिवार्य है। सभी कैबिनेट सदस्य अपनी सहमति के हस्ताक्षर करते हैं। यह मंजूरी प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है और उसके बाद राष्ट्रपति की राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को वापस लेता है।
महाराष्ट्र मामले में रात को जब राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी गई तो इस सिफारिश को मंजूरी के लिए कैबिनेट के सदस्यों के समक्ष रात में ही रखा गया, जिस पर सभी कैबिनेट सदस्यों ने रात में ही हस्ताक्षर किए। यह कैबिनेट की मंजूरी के प्रस्ताव सुबह जब राष्ट्रपति को मिला तो उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने के अपने निर्णय को वापस ले लिया।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- मुझे शपथग्रहण की खबर फेक न्यूज लगी
महाराष्ट्र के अप्रत्याशित घटनाक्रम से कांग्रेस नेतृत्व चौंक गया। कांग्रेस इस मामले में अंदरखाने चले खेल की जानकारी से पूरी तरह से अनजान रही। राजनीति में इतने बड़े उलटफेर के बावजूद सुबह 10:30 बजे तक सोनिया गांधी की शरद पवार या उद्धव ठाकरे से कोई बात नहीं हुई। पार्टी में सुबह किसी तरह की बैठक नहीं हुई। सोनिया गांधी इस मामले में अपने राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल से फोन पर लगातार संपर्क में हैं। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु ने ट्वीट में स्वीकार किया कि उन्हें पहली नजर में तो फडणवीस की शपथ की खबर फेक न्यूज लगी। दोनों दलों (शिवसेना-राकांपा) के साथ गठबंधन में तीन दिन से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए था। इसी से भाजपा को खेल करने का मौका मिला।

शिवसेना को झांसा देकर राकांपा ने मौके तलाशने जारी रखे
चुनाव के पहले राकांपा से भाजपा में आए एक बड़े नेता ने भी दोनों पार्टियों की बातचीत में मदद की जानकारी दी थी। यही वजह है कि नतीजों के बाद शिवसेना को मुख्यमंत्री पद का झांसा देते हुए राकांपा ने बैठकों का सिलसिला जारी रखा। इस तरह शिवसेना को भी कुछ और सोचने का मौका नहीं मिल पाया। नए सरकार के गठबंधन के चलते राज्य में शिवसेना की हालत बेहद पतली हो गई है। कहा जा रहा है कि कई शिवसेना विधायक भाजपा के साथ जा सकते हैं।

अजित पवार BJP नेताओं के साथ रात 12:30 बजे राज्यपाल से मिलने पहुंचे। राज्यपाल ने रात 1 बजे ई-मेल कर राष्ट्रपति शासन हटाने की सिफारिश की। केंद्रीय कैबिनेट ने रात में ही राष्ट्रपति शासन हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।