ठाणेब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरशहर और राज्य ‘मुख्यमंत्री राहत कोष’ से फर्जी दस्तावेजों के जरिये लगाया ७८ लाख का चूना, स्वस्थ’ लोगों डॉक्टर ने को ऐसे बनाया मरीज… 28th August 201928th August 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this पुलिस ने छह आरोपियों को किए गिरफ्तार मुंबई, (राजेश जायसवाल): मुख्यमंत्री राहत कोष से फर्जी दस्तावेजों के जरिये पैसे निकलवाने वाले एक गिरोह का मुंबई क्राइम ब्रांच के यूनिट क्र.१ ने भंडाफोड़ किया है। मुंबई क्राइम ब्रांच ने पिछले तीन दिन में इस केस में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें ठाणे के एक नामी अस्पताल का डॉक्टर अनिल हरीश नगराले (४२) भी शामिल है। आरोपियों से पूछताछ के आधार पर आने वाले समय में कई और अस्पतालों के डॉक्टर भी जांच के घेरे में आने वाले हैं। बता दें कि हर राज्य में मुख्यमंत्री राहत कोष गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए बनाया गया है लेकिन कुछ लोग गरीबों के राशन कार्ड, आधारकार्ड से इस कोष के बहाने अमीर बन गए। क्राइम ब्रांच अधिकारी जयेश ठाकुर ऐसे चलता था रैकिटयह पूछने पर कि यह रैकिट चलता कैसे था?: क्राइम ब्रांच के अधिकारी जयेश ठाकुर ने इसकी पूरी कहानी विस्तार से बताई। इस अधिकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री राहत कोष से रकम अमूमन बाढ़, भूकंप, आग या किसी आपदा के समय पीड़ित या उनके परिवार को दी जाती है लेकिन कुछ साल पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सीएम मेडिकल असिस्टेंट सेल बनाया, ताकि गंभीर बीमारियों से पीड़ित गरीब लोगों को भी मुख्यमंत्री राहत कोष से आर्थिक मदद दी जा सके। मेडिकल ग्राउंड पर इस कोष से रकम निकालने की एक प्रमुख शर्त यह है कि आवेदक की सालाना आमदनी एक लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसके लिए आवेदक द्वारा एक अर्जी देनी पड़ती है और तहसीलदार को येलो राशन कार्ड और आधार कार्ड दिखाकर उनके ऑफिस से सर्टिफाई करवाना पड़ता है कि यह मरीज वाकई में गरीबी रेखा के नीचे आता है। इसके बाद उस गरीब लेकिन स्वस्थ मरीज को डॉक्टर अनिल नगराले के ठाणे अस्पताल में बीमार बताकर भर्ती दिखाया जाता है। उस स्वस्थ व्यक्ति की ‘गंभीर बीमारियों’ के अलग-अलग टेस्ट की रिपोर्ट तैयार की जाती थी। इन बीमारियों के इलाज के लिए कितनी रकम खर्च होगी, उसका बकायदा ब्यौरा दिया जाता है। फिर सारे फर्जी मेडिकल दस्तावेजों को असली बताकर मेडिकल खर्च की पूरी रिपोर्ट को मुंबई के एक सरकारी अस्पताल को उसके वेरिफिकेशन के लिए भेजा जाता है। वहां से यह रिपोर्ट मंत्रालय फॉरवर्ड की जाती है। मेडिकल समिति मंजूर करती है रकम मंत्रालय में मुख्यमंत्री राहत कोष की एक मेडिकल कमिटी है। वह इन दस्तावेजों के जरिए बीमारियों की गंभीरता देखती है और फिर उस हिसाब से राशि फिक्स कर रकम संबंधित अस्पताल के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर देती है। ठाणे के जिस अस्पताल से डॉक्टर अनिल नगराले साल 2017 से जुड़े हुए थे, उसमें उन्हें अस्पताल के अकाउंट से रकम विदड्रा करने का भी अधिकार दिया गया था। गौर करने वाली बात यह है यह डॉक्टर अनिल नागराले BAMS है। BAMS आयुर्वेद में प्रमाणित एक कोर्स है। आयुर्वेदिक मेडिकल कोर्स के लिए दी जाने वाली अंडरग्रेजुएट डिग्री है। डॉक्टर अनिल नगराले ने इस अस्पताल को दो महीने पहले ही छोड़ा था। अभी तक जाँच में सामने आया है कि 2017 से 2019 के बीच इस डॉक्टर ने ६४ से ज्यादा फर्जी मरीजों के जरिए करीब 78 लाख रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष से अस्पताल के अकाउंट में ट्रांसफर करवा लिए हैं। डॉक्टर नगराले के साथ इस केस में जो अन्य पांच आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, उनसे पूछताछ में पता चला है कि उन्होंने इस रैकिट में सिर्फ ठाणे के इस अस्पताल से ही फर्जी मरीज नहीं बनाए, बल्कि मुंबई के भी कुछ अस्पतालों में फर्जी मरीज भर्ती दिखाए। इसलिए अगले कुछ दिनों में कई और अस्पतालों के डॉक्टर भी जांच के घेरे में आने वाले हैं। ऐसे हासिल किये गए गरीबों के राशन कार्ड…!सीनियर इंस्पेक्टर विनायक मेर और एपीआई जयेश ठाकुर की जांच में यह बात सामने आई कि जिस डॉक्टर अनिल नगराले के अस्पताल में मुख्यमंत्री ऑफिस से रकम ट्रांसफर होती थी, उस नगराले को अपने रैकिट में ठाणे पश्चिम में रहने वाली आरती शिगवण (३०) नामक महिला ने शामिल किया। वही इस रैकिट की सरगना भी है। क्राइम ब्रांच ने आरती के साथ उसके पति नितिन अमृते (४०) को भी गिरफ्तार किया है। इनके अलावा विजय गणपत घाटिलकर, संदेश गोपाल मोगविरा और गणेश सुब्रमनियन मुदलियार नामक आरोपी भी पकड़े गए हैं।क्राइम ब्रांच के अनुसार, आरती शिगवण कई पब्लिक चैरिटी ट्रस्ट से जुड़ी हुई है। ऐसे ट्रस्ट जरूरत के वक्त गरीबों की मेडिकल मदद करते हैं। आरती को उसी बहाने पता था कि सरकारी मदद पाने के क्या-क्या तरीके हैं। उसी में उसने डॉक्टर अनिल नगराले को मोटा कमिशन का लालच देकर फर्जी बिल बनाने का ऑफर दिया। बाद में उसने अपने पति व अन्य आरोपियों को झोपड़पट्टी एरिया में भेजकर वहां तमाम लोगों से उनके येलो राशन कार्ड, आधार कार्ड व फोटो भी लीं और सबको बोला कि उन्हें इस राशन कार्ड के बदले में सरकार की तरफ से पांच-पांच हजार रुपये मिलेंगे। ऐसे लोगों को बाद में यह रकम दे भी दी गई, लेकिन ऐसे स्वस्थ लोगों को खुद पता नहीं चला कि उनके राशन कार्ड लेने वालों ने उन्हें कैंसर मरीज बताकर उन्हें प्राइवेट अस्तपालों में भर्ती दिखा दिया, जबकि हकीकत में वे खुद अपनी-अपनी झोपड़ियों में अपने परिवार के साथ हंसी-ख़ुशी अपनी जिंदगी व्यतित कर रहे हैं…! Post Views: 150