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यस बैंक संकट: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिलाया भरोसा, नहीं डूबेगा पैसा…

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)

नयी दिल्ली: यस बैंक के संकट ने उसके ग्राहकों की नींद उड़ा दी है। उन्हें अपना पैसा डूबने की चिंता सता रही है, जो लाज़िमी है। गुरुवार को बैंक पर कई पाबंदियां लगाई गईं और आज वित्त मंत्री ने परेशान ग्राहकों के पैसे न डूबने को लेकर भरोसा दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं इस बैंक के सभी जमाकर्ताओं को विश्वास दिलाना चाहती हूं कि उनके पैसे बिल्कुल सुरक्षित हैं। मैं लगातार भारतीय रिजर्व बैंक से संपर्क में हूं। बैंक, अर्थव्यवस्था और जमाकर्ताओं के हित में लगातार कदम उठाए जा रहे हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मुझे विश्वास दिलाया है कि मामले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। आरबीआई और सरकार लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं, मैं निजी तौर पर आरबीआई के साथ मिलकर पिछले कुछ महीनों से हालात पर नजर रख रही हूं और सभी के हित में जरूरी कदम उठाएंगे।
इससे पहले आरबीआई के गवर्नर ने भी ग्राहकों की चिंता दूर करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा था, मामला जल्द सुलझा लिया जाएगा, परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा य़था, इस मामले में 30 दिन का समय आउटर लिमिट है, तेजी से ऐक्शन लिया जा रहा है और जल्द ही काम पूरा हो जाएगा।
बता दें कि आरबीआई ने प्राइवेट सेक्टर के चौथे सबसे बड़े बैंक यस बैंक पर पाबंदियां लगाते हुए एक महीने में उससे 50000 रुपये तक की निकासी की लिमिट लगा दी है। यह रोक 3 अप्रैल तक के लिए लागू रहेगा।

वित्तीय संकट से जूझ रहे यस बैंक के शेयर में तेज गिरावट शुरू हुई है, जो थमने का नाम नहीं ले रही है। शुक्रवार को मॉर्निंग सेशन के दौरान ही यस बैंक के शेयर करीब 80 फीसदी तक टूट गए। वैसे देखा जाए तो यस बैंक अपनी इस हालत के लिए जिम्मेदार भी खुद ही है। इसकी एक बड़ी वजह पारिवारिक कलह तो है ही, साथ ही बैंक ने जैसे-जैसे लोगों को लोन दिया है, उसकी वजह से भी वह संकट में फंसा है। क्या जेट एयरवेज, क्या सीसीडी और क्या दीवान हाउसिंग, हर किसी को यस बैंक लोन देकर बैठा है और यही वजह है कि अब वह खुद वित्तीय संकट से जूझ रहा है।

किस-किस को दिया लोन
भारत में बैंकिंग सेक्टर में IL&FS, दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, सीजी पावर, कैफे कॉफी डे, एल्टिको के नाम बैड ब्वायज़ की लिस्ट में शामिल हैं। अगर इन्हें कर्ज देने वाले बैंकों पर नजर डालेंगे तो उसमें आपको यस बैंक एक प्रमुख कर्जदाता के तौर पर दिखेगा। ये सभी वो कंपनियां हैं, जिन्हें बैंकिंग सेक्टर में बैड ब्वायज़ कहा जाता है। जिन्हें लोन देने वाले बैंकों को पछताना पड़ा। यस बैंक ने लगभग हर उस कंपनी को कर्ज दिया, जो बाद में दिवालिया हो गई या उसकी हालत बेहद खराब हो गई।

कभी 1400 रुपए का था शेयर, अब साढ़े पांच रुपए तक पहुंच गया
ऐसा नहीं है कि यस बैंक ने बिना सोचे-समझे ही लोन दिए। अपना रिस्क कैल्कुलेट करते हुए बैंक ने उन कर्जदारों से अधिक ब्याज वसूला, जहां पैसे डूबने का खतरा था। यही वजह है कि करीब एक दशक में ही यस बैंक लगभग 3 लाख करोड़ के असेट वाला बन गया। शेयर बाजार ने भी यस बैंक की ग्रोथ को खूब नवाजा और एक वक्त था जब यस बैंक का शेयर 1400 रुपए से भी अधिक का हो गया था। वहीं आज ये हालत है कि बैंक के शेयर ने 5.55 रुपए का लेवल भी छू लिया है।

पिछले 2 सालों में मिलते रहे सरप्राइज
बैंक की इतनी तगड़ी ग्रोथ की असल वजह यस बैंक के एमडी राना कपूर थे, जो लगभग हर डील क्रैक कर लिया करते थे। शुरू में जो यस बैंक का मास्टर स्ट्रोक लग रहा था, वह बैंक के लिए मुसीबत का सबब बन गया। कह कहते थे कि एनपीए यूं ही नहीं बन जाता, बल्कि ऐसा होने में 3-4 साल लग जाते हैं। वही हुआ भी। 3-4 सालों में बैंक की असल तस्वीर सबके सामने आ गई। अधिकतर लोन 2008 के बाद दिया गया, जब आर्थिक स्थिति खराब हो ररही थी। कुछ ही समय बात भारतीय अर्थव्यवस्था ने जीडीपी में तगड़ी गिरावट देखी। पिछले 2 सालों में यस बैंक की तरफ से एक के बाद एक सरप्राइज सामने आए। बैंक की हालत लगातार खराब होती चली गई।

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