चुनावी हलचलब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरराजनीतिलाइफ स्टाइलशहर और राज्य ‘लाव रे तो व्हिडियो’… 26th April 2019 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई , महाराष्ट्र की सियासत में बीते कुछ दिनों से एक नारा बहुत मशहूर हो चला है और वो है – ‘लाव रे तो व्हिडियो‘। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे ने क्यों दिया ये नारा, इस नारे के मायने क्या हैं। जब राज ठाकरे की पार्टी मनसे लोकसभा चुनाव लड़ ही नहीं रही तो क्यों कर रहे हैं वो इतनी रैलियां और इन रैलियों में क्यों उमड़ रही है इतनी भीड़। तो चलिए ढूंढ़ते हैं इन सवालों के जवाब…’लाव रे व्हिडियो’- वैसे ये किसी पार्टी का राजनीतिक नारा तो नहीं है लेकिन यह महाराष्ट्र की राजनीति में कोहराम जरूर मचा दिया है। इसे बोलने वाले हैं- महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे। जब वो मंच से कहते है- ‘लाव रे व्हिडियो’ यानी वीडियो लगाओ रे तो हजारों की तादाद में जुटे समर्थक तालियां और सीटियां बजाने लगते हैं। दरअसल, राज ठाकरे, पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर बेतहाशा हमला कर रहे हैं और इसके लिए उन्होंने चुनी है एक बेहद खास रणनीति। राज ठाकरे ऑडियो-वीडियो और ग्राफिक्स से सजे पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिए पीएम मोदी पर हल्ला बोल रहे हैं। वो बीते पांच साल के दौरान दिए पीएम के भाषणों को वीडियो के जरिए दिखाते हैं और फिर उन्हें अपने अंदाज में कठघरे में खड़ा करते हैं। उनकी रैली में शामिल होने वालों को भी ये अनोखा अंदाज खूब भा रहा है। और एक खास बात आपको बता दें कि पहली बार कई मीडिया मंचों पर राज ठाकरे हिंदी में इंटरव्यू देते दिखाई दे रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि आप किस पार्टी का समर्थन कर रहे हैं तो उनका कहना था कि वो पीएम मोदी और अमित शाह का विरोध कर रहे हैं, समर्थन किसी का नहीं। जब उनसे दूसरा सवाल किया गया कि उनकी रणनीति खुद ब खुद कांग्रेस-एनसीपी को फायदा पहुंचा रही है तो राज ठाकरे ने कहा कि उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि इससे फायदा किसे हो रहा है लेकिन नुकसान भाजपा को होना चाहिए। जाहिर है, ऐसे में भाजपा चुप नहीं बैठ सकती। यही वजह है कि पार्टी ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग में राज ठाकरे की रैलियों को लेकर शिकायत दर्ज भी कराई है। पार्टी ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर मांग की है कि राज ठाकरे के प्रचार अभियान का खर्च, स्थानीय उम्मीदवार के खर्च में जोड़ा जाए। यहाँ आयोग के सामने दिक्कत ये है कि राज अपनी किसी सभा में जनता से ये नहीं कहते कि वो किस उम्मीदवार के पक्ष में वोट करे। तो आयोग भी कम मुश्किल में नहीं है। महाराष्ट्र की राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले कई लोगों से जब इस संवाददाता ने बात कि तो लोग कहते हैं कि लोगों को राज ठाकरे का ये तरीका नया लग रहा है। ये नए तौर-तरीके की राजनीतिक सभा है जिसमें जनता के मन में ये उत्सुकता रहती है कि आज राज ठाकरे क्या दिखाने वाले हैं। वैसे राज ठाकरे की सभाओं में भीड़ जुटना कोई नई बात नहीं है। लेकिन भीड़ वोट में कितना बदल पाती है, ये देखना होगा। राज ने बड़ी बुद्धिमानी से ऐसी सीटों पर सभाएं की हैं जहां कांग्रेस-एनसीपी पहले ही मजबूत स्थिति में है। ऐसे में अगर इन पार्टियों का उम्मीदवार जीतता है तो राज ठाकरे की सभाओं का असर भी इसे खूब कहा जाएगा और श्रेय तो राज को ही मिलेगा। Post Views: 264