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शिवसेना ‘ठाकरे गुट’ को मिला ‘मशाल’, नई पार्टी का नाम ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’; शिंदे गुट के नई पार्टी का ये होगा नाम…

मुंबई, (राजेश जायसवाल): शिवसेना ठाकरे गुट को चुनाव आयोग ने नया सिंबल अलॉट कर दिया है। दोनों गुटों को चुनाव आयोग ने नया नाम दे दिया है। हालांकि, शिंदे गुट ने अभी चुनाव चिह्न नहीं लिया है, उन्होंने अन्य विकल्पों की भी मांग की है। दो दिन पहले चुनाव आयोग ने शिवसेना के ‘धनुष-बाण’ सिंबल को सीज कर दिया था। शिवसेना के ठाकरे और शिंदे गुटों ने अलग-अलग दावों में खुद को असली शिवसेना बताते हुए ‘धनुष-बाण’ की मांग की थी, लेकिन आयोग ने दोनों गुटों को इस सिंबल के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए उसे सीज कर दिया।

क्या होगा दोनों गुटों का नया नाम?
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को अब ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ के नाम से जाना जाएगा। उद्धव ठाकरे की पार्टी का नया सिंबल ‘मशाल’ होगा। चुनाव आयोग ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘बालासाहेबाची शिवसेना’ (बालासाहेब की शिवसेना) कहा जाएगा। फिलहाल, शिंदे गुट को अभी तक पार्टी का चुनाव चिह्न आवंटित नहीं किया गया है क्योंकि केंद्रीय चुनाव आयोग ने पार्टी से और विकल्प देने को कहा है।

तीन-तीन विकल्प दिया था दोनों गुटों ने
शिवसेना का चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ चुनाव आयोग द्वारा सीज किए जाने के बाद शिवसेना के दोनों गुटों को चुनाव के लिए नए सिंबल की आवश्यकता को देखते हुए चुनाव आयोग ने आज दोनों पक्षों को तीन-तीन विकल्पों को देने का निर्देश दिया था। चुनाव आयोग से उद्धव गुट ने त्रिशूल और उगता सूरज या मशाल में से किसी एक सिंबल की मांग की थी। शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने अंधेरी पूर्व उपचुनाव में अपने गुट का नाम भी आयोग को सुझाया था।

शनिवार को शिवसेना का चुनाव चिह्न हो गया था सील
बता दें कि शिवसेना की लड़ाई चुनाव आयोग में पहुंचने के बाद चुनाव चिह्न को शनिवार को सील कर दिया गया था। दरअसल, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए सिंबल और पार्टी के नाम पर दावा किया है। इसी बीच मुंबई अंधेरी पूर्व उपचुनाव के ऐलान के बाद शिंदे गुट ने सिंबल को लेकर एक बार फिर दावा किया। शनिवार को आयोग ने फैसला करते हुए दोनों गुटों पर ‘शिवसेना’ और ‘धनुष-बाण’ के इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए शिवसेना के चुनाव चिह्न को सीज कर दिया था।

क्यों फ्रीज हुआ चुनाव चिन्ह?
जब भी कोई राजनीतिक पार्टी टूटती है या उसमें फूट पड़ती है, तो उसके चुनाव चिह्न को लेकर दावेदारी शुरू हो जाती है। दोनों ही गुट चुनाव चिह्न को अपने साथ रखना चाहते हैं। ऐसे में चुनाव आयोग को बीच में दखल देना पड़ता है और पार्टी का चुनाव चिह्न फ्रीज कर दिया जाता है। शिवसेना के मामले में भी ऐसा ही हुआ। इससे पहले ऐसी ही फूट ‘लोक जनशक्ति पार्टी’ (एलजेपी) में भी पड़ी थी। तब चुनाव आयोग ने एलजेपी के चुनाव चिह्न बंगले को फ्रीज कर दिया था।

अब तक क्या-क्या हुआ?
शिवसेना पक्ष प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी का नाम ‘शिवसेना’ और चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ के उपयोग पर रोक लगाए जाने के निर्वाचन आयोग के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। ठाकरे द्वारा दायर याचिका में आयोग के 8 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी गई है। इसमें दलील दी गई है कि यह आदेश नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए और पक्षों को सुने बगैर और उन्हें साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर दिए बिना जारी किया गया।
आयोग ने 8 अक्टूबर के अपने अंतरिम आदेश में शिवसेना के उद्धव ठाकरे और सीएम एकनाथ शिंदे नीत खेमों के पार्टी का नाम और इसके चुनाव चिह्न का उपयोग करने पर रोक लगा दी थी।
प्रतिद्वंद्वी खेमों द्वारा किए गये दावे के बाद अंतरिम आदेश जारी करते हुए आयोग ने उनसे सोमवार तक अपनी पसंद के तीन-तीन वैकल्पिक नाम (पार्टी के) और चिह्न सुझाने को कहा था।
विधानसभा की अंधेरी ईस्ट सीट पर होने जा रहे उपचुनाव के नजदीक आने पर ‘धनुष-बाण’ चिह्न आवंटित करने के शिंदे खेमे के अनुरोध के बाद यह अंतरिम आदेश आया था।