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हंदवाड़ा का बदला: हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू ढेर

नयी दिल्ली: कश्मीर घाटी में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। इसमें हिज्बुल मुजाहिदीन का टॉप कमांडर रियाज नायकू मारा गया है।
रियाज अहमद नायकू (35) बेहद कम वक्त में हिज्बुल का अहम हिस्सा बन गया था। पुलिस अफसरों के परिवार के लोगों का अपहरण, आतंकी के मरने पर बंदूकों से सलामी इन चलनों को उसने ही शुरू किया था, जिससे हिज्बुल और खतरनाक होता जा रहा था। अपनी छवि की वजह से नायकू ने कई कश्मीरी युवाओं को आतंक की राह पर चलाया।

मेरा बेटा मर चुका है
पिछले साल रियाज अहमद नायकू के पिता ने एक इंटरव्यू दिया था। वह बताते हैं कि बेटा नायकू इंजीनियर बनना चाहता था। वह मैथ्स में अच्छा था और उसे कंस्ट्रक्शन के काम में भी रुचि थी। परिवार से बातचीत में पता चला कि पिता उसे उसी दिन मरा हुआ मान चुके थे जिस दिन वह हिज्बुल में शामिल हुआ। परिवार पूरे इंटरव्यू में ऐसे बात करता रहा जैसे उनका बेटा तब (2018) में ही मर चुका हो। अपने बेटे को याद करते हुए पिता कहते हैं, उसे 12वीं में 600 में से 464 नंबर आए थे। वह प्राइवेट स्कूल में मैथ भी पढ़ाने लगा था।

स्कूल टीचर से ऐसे आतंकी बन गया नायकू
फिर ऐसा क्या हुआ कि स्कूल का टीचर अचानक एक आतंकी बन गया। यह सब शुरू हुआ साल 2010 में। उस साल प्रदर्शन में 17 साल के अहमद मट्टो की आंसू गैस का गोला लगने से मौत हो हई। उस मौत के बाद जैसे घाटी में काफी कुछ बदल गया। कई लोगों को पुलिस ने पकड़ा। नायकू भी उनमें से एक था। 2012 में उसे छोड़ा गया लेकिन तब तक वह बिल्कुल बदल चुका था। 2012 की ही एक रात भोपाल यूनिवर्सिटी में आगे की पढ़ाई के ऐडमिशन के लिए उसने पिता से 7 हजार रुपये लिए। फिर उस रात के बाद वह कभी नहीं दिखा। महीने भर बाद पता चला कि बेटा आतंकी बन गया है।

बुरहान वानी के बाद आतंक का पोस्टर बॉय बना था नायकू
8 जुलाई, 2016 को अनंतनाग जिले के कोकरनाग इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में पोस्टर बॉय और कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद रियाज नायकू ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर के रूप में कमान संभाली थी। नायकू के सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम था। आतंकवादी रैंक में शामिल होने से पहले नायकू ने एक स्थानीय स्कूल में गणित टीचर के रूप में काम किया था। 33 साल की उम्र में बंदूक उठाने से पहले उसे गुलाबों की पेंटिंग करने के शौक के लिए जाना जाता था।

अपहरण दिवस जैसी साजिश रची
पुलिस पर प्रेशर बनाने के लिए अपहरण दिवस की शुरुआत नायकू ने ही की थी। साउथ कश्मीर में इस दिन 6 पुलिसवालों के घर के 11 फैमिली मेंबर को अगवा कर लिया गया था। सभी को बाद में छोड़ दिया गया था। लेकिन बदले में नायकू के पिता को पुलिस कस्टडी से छुड़वाया गया था। नायकू ने ही गन सैल्यूट फिर से शुरू करवाया था। इसे आतंकी अपने कमांडर की मौत पर देते हैं। इसमें मरे हुए आतंकियों के अंतिम संस्कार के दौरान हवा में गोली चलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

बुरहान वानी के बाद सामने आया था नाम
30 साल का नायकू 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद वहां के लोगों के लिए आतंक का नया चेहरा बन गया था। वह अवंतीपोरा का ही रहनेवाला था। पिछले साल आतंकी सबजार भट की मौत के बाद उसे हिज्बुल मुजाहिदीन का कमांडर या मुखिया बनाया गया था। इससे पहले भी उसे कई बार घेरा गया था लेकिन वह बचकर निकलने में कामयाब हो जाता था।

वीडियो जारी कर किया था कश्मीरी पंडितों का स्वागत
पिछले साल नायकू जब चर्चा में आया जब उसने एक वीडियो पोस्ट किया। वीडियो वह उसने कश्मीरी पंडितों का घाटी में स्वागत किया और कहा कि वे लोग (आतंकी) पंडितों के दुश्मन नहीं हैं।

इस्लामिक स्टेट ने बताया था काफिर
जून 2019 में इस्लामिक स्टेट से जुड़े संगठन ने नायकू को काफिर कहा था। जब आतंकी आदिल रहमान डार की मौत पर हंगामा हुआ था। आतंकी संगठन के एक प्रवक्ता ने दावा किया था कि आदिल रहमान डार के बारे में मीडिया में कहा जा रहा है कि एक AK-47 राइफल को लेकर लश्कर के साथ उसका विवाद हुआ था जबकि सच्चाई यह है कि उसकी हत्या की गई है। प्रवक्ता ने अपना नाम खतीब बताया था। उसने कहा कि कैसे तीन हिज्ब और लश्कर आतंकियों ने एक साजिश के तहत बिजबेहरा में आदिल की हत्या कर दी।
खतीब ने हिज्बुल कमांडर रियाज नायकू को काफिर बताते हुए कहा कि उसके पास नायकू की सच्चाई उजागर करने और पाकिस्तान के इस झूठ के पक्के सबूत हैं कि भारतीय एजेंसियों ने आदिल को नहीं मारा है।

शिवसेना बोली- सर्जिकल स्ट्राइक की जरूरत
हंदवाड़ा में देश के 8 रणबांकुरों ने अपनी शहादत देकर आतंकियों के नापाक मंसूबों को नेस्तनाबूद कर दिया। कर्नल आशुतोष शर्मा, मेजर अनुज सूद, नायक राजेश, लांस नायक दिनेश सिंह और एसआई शकील काजी। ये उन रणबांकुरों के नाम हैं जिन्होंने देश पर मर मिटते हुए शहादत की अमर दास्तां लिख दी है। शहीद अश्वनी कुमार यादव, संतोष मिश्रा और चंद्रशेखर की अंतिम यात्रा में उमड़े जनसैलाब के मन में गम और गुस्से का ज्वार उमड़ रहा था। ऐसे में देश के अंदर पाकिस्तान से एक और करारा बदला लेने की आवाज बुलंद हो रही है।

सियासी गलियारों से भी सर्जिकल स्ट्राइक की मांग
इस बीच सियासी गलियारों से भी सर्जिकल स्ट्राइक जैसा कुछ बड़ा करने की मांग उठने लगी है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा, पांच जवानों की शहादत का बदला लेने के लिए बिना किसी हो-हल्ले के सर्जिकल स्ट्राइक करना चाहिए। यह अच्छा संकेत नहीं है कि हमारे पांच जवान एक बार में मार दिए गए। हमारे जवान अपनी ही धरती पर मारे जा रहे हैं। भारत जब कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष कर रहा है तब कश्मीर सीमा पर आतंकवादी गतिविधियां बढ़ गई हैं। ऐसे में सर्जिकल स्ट्राइक जैसे ऑपरेशन से पाकिस्तान के होश ठिकाने लगाने की जरूरत नजर आती है।