ब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य

बिना महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के भी हो सकता है ठाकरे की किस्मत का फैसला?

मुंबई, (राजेश जायसवाल): महाराष्ट्र विधान परिषद के आगामी चुनाव से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधायक के रूप में अपना चुनावी करियर शुरू करने का मौका मिलेगा और यह देखना भी दिलचस्प होगा कि क्या खाली पड़ी नौ सीटों के लिए चुनाव होगा? कांग्रेस के वरिष्ठ एक नेता ने बताया कि रिक्त पड़ी नौ सीटों के लिए प्रत्याशियों के निर्विरोध चुनाव की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन अगर चुनाव की स्थिति पैदा होती है तो परिषद चुनावों के लिए इलेक्टोरल कॉलेज (मतदारों का समूह) के सभी 288 विधायकों को वोट डालने के लिए मुंबई आना पड़ेगा।
अगर 17 मई के बाद भी लॉकउाउन बढ़ता है तो विधायकों के लिए मुंबई आना मुश्किल होगा। कांग्रेस नेता ने कहा, सभी पार्टियों को चुनाव से बचने पर फैसला लेना होगा और इस दिशा में कोशिशें की जा रही है। उन्होंने बताया कि पार्टी के प्रदेश ईकाई के अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने मंगलवार को राकांपा प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। बाद में ठाकरे समेत महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के नेताओं ने परिषद चुनावों के लिए रणनीति पर चर्चा करने के लिए बैठक की थी।
थोरात ने बताया कि एमवीए सहयोगियों ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है और छह उम्मीदवारों को खड़ा किया है यानी कि गठबंधन की हर पार्टी से दो-दो उम्मीदवारों को उतारा गया है।
भाजपा के एक सूत्र ने बताया कि विपक्षी दल का भी चार सीटों पर चुनाव लड़ना तय है और यह सुनिश्चित करना सरकार पर है कि प्रत्याशियों को निर्विरोध चुन लिया जाए।
सूत्र ने बताया, अगर एमवीए छह सीटों पर चुनाव लड़ती है तो फिर चुनाव होगा।भाजपा चार उम्मीदवारों को खड़ा करेगी, इसमें कोई शक नहीं है।
बता दें कि इन नौ सीटों पर चुनाव ‘कोरोना वायरस’ के चलते टाल दिया गया था लेकिन गत सप्ताह निर्वाचन आयोग ने 21 मई को मतदान की तारीख तय की। यह राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के मुख्यमंत्री के पत्र पर कार्रवाई करने के बाद हुआ और उन्होंने निर्वाचन आयोग से चुनाव कराने का अनुरोध किया ताकि उद्धव ठाकरे विधायिका के किसी भी सदन का सदस्य बनने के लिए चुनाव लड़ सकें।
गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे ने पिछले साल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और संवैधानिक नियमों के अनुसार उन्हें इस पद पर बने रहने के लिए छह महीने के भीतर सदन का सदस्य बनना होगा। शिवसेना ने इन चुनावों में ठाकरे और परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोहे को खड़ा करने का फैसला किया है। राकांपा हेमंत टकले को फिर से उतार सकती लेकिन अभी उसने अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं।

कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है लेकिन पिछले साल विधानसभा चुनाव हारने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता नसीम खान प्रत्याशियों की दौड़ में सबसे आगे हैं।
वहीँ भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से ने कहा कि उन्होंने पार्टी को बता दिया कि वह विधान परिषद का सदस्य बनने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा, मेरी राज्य की राजनीति में रूचि है और मैं विधान परिषद का सदस्य बनना चाहता हूं। खड़से ने कहा कि भाजपा चारों सीटें जीत सकती है क्योंकि उसके पास विधानसभा में 105 सदस्य हैं और 11 सदस्य छोटे दलों के हैं तथा कुछ निर्दलीय हैं जो भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 29 मतों की आवश्यकता है। अगर एमवीए छह सीटों पर चुनाव लड़ती है तो उसे 174 मतों की जरुरत होगी जबकि भाजपा को 116 मतों की दरकार होगी।