ब्रेकिंग न्यूज़मुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य मुंबई: मनपा के निजीकरण की साजिश 8th February 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this मुंबई: देश की सबसे धनी मुंबई महानगरपालिका के निजीकरण की साजिश हो रही है। नई भर्ती पर रोक लगा कर कमिश्नर ने बीएमसी में प्राइवेट रिक्रूटमेंट एजेंसी शुरू करने का मार्ग खोल दिया है। यह डेढ़ करोड़ मुंबईकरों के साथ नाइंसाफी है। शुक्रवार को बजट पर स्थायी समिति की हुई बैठक में विपक्ष ने मनपा आयुक्त प्रवीण परदेशी द्वारा पेश वर्ष 2020-21 के बजट का चीरफाड़ किया। विपक्ष ने एक सुर में अधिकारियों के लिए नियुक्त ओएसडी, फेलोशिप और कंसल्टेंट की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए इन पदों को तत्काल रद्द करने की मांग की। विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मांग किया कि बीएमसी प्रशासन बताए कि ओएसडी, कंसल्टेंट और फेलोशिप पर वह हर साल कितने रुपये खर्च करती है। सपा के रईस शेख ने कहा कि राज्य में भाजपा सत्ता से बेदखल हो गई, लेकिन भाजपा द्वारा नियुक्त बीएमसी कमिश्नर अभी भी पद पर बने हुए हैं। यह कैसी बिडंबना है। इस पर भाजपा सदस्यों ने नाराजगी जताते हुए शोर मचाना शुरू कर दिया।बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के प्रभाकर शिंदे, कांग्रेस के नेता विपक्ष रवि राजा, सपा के राईस शेख, राकांपा की राखी जाधव और शिवसेना की विशाखा राउत, राजुल पटेल ने बजट में कई निर्णयों पर नाराजगी जताई। प्रभाकर शिंदे ने कहा कि किलों में संवर्धन, अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति, सड़कों की मरम्मत, नालों की मरम्मत, पुलों की जानकारी, स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर छात्रों को खाद्यान्न की आपूर्ति सहित लगभग सभी कार्यों के लिए सलाहकार की नियुक्ति की जाती है। लेकिन, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति और कचरा मार्शलों की नियुक्ति पर रोक लगा दी जाती है।नेता विपक्ष रवि राजा ने मनपा आयुक्त के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा कि बीएमसी में 810 लिपिक पद पर भर्ती के लिए 12 करोड़ रुपये का प्रधान किया गया था, लेकिन बजट में नई भर्ती पर ही रोक लगा दी गई। यह सब बीएमसी के प्राइवेटाइजेशन करने की साजिश है।रईस शेख ने कहा कि बीएमसी के एक अधिकारी को रिटायरमेंट होने के बाद ओएसडी बना दिया गया, वह पेंशन के साथ ढाई लाख रुपये महीना तनख्वाह ले रहा है। कमिश्नर की मनमानी से जनता के टैक्स और बीएमसी का पैसा ओएसडी और कंसल्टेंट पर लुटाया जा रहा है। Post Views: 166