दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य निर्भया केस: देर रात तक चलेगी सुनवाई… 19th March 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this भगवान से मिलने वाला है आपका क्लाइंट, जल्दी कीजिए:हाई कोर्ट नयी दिल्ली: निर्भया के दोषियों को शुक्रवार तड़के फांसी पर लटका दिया जाएगा। फांसी में अब जहां चंद घंटे बचे हुए वहीं दोषी इसे रोकने के लिए आखिरी घड़ी तक हर दांव अपना रहे हैं। अब चार में से तीन दोषियों ने वकील एपी सिंह के जरिए फांसी पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है। इस पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। निर्भया के परिजन कोर्ट में मौजूद हैं। AP सिंह को फटकारहाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, कोई एनेक्चर नहीं है, न एफिडेविट है, न पार्टीज का मेमो है। इस मामले में कुछ नहीं है। क्या आप (एपी सिंह) के पास ये याचिका दाखिल करने की इजाजत है?जवाब में सिंह ने कहा, कोरोनावायरस के चलते कोई फोटो कॉपी मशीन काम नहीं कर रही थी। इस पर अदालत ने कहा, आपने आज तीन अदालतों में पैरवी की है। आप नहीं कह सकते हैं कि चीजें एक्सेसिबल नहीं हैं। हम यहां रात 10 बजे भी आपको सुन रहे हैं। सिंह ने कहा कि एक याचिका NHRC के पास भी लंबित है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ये याचिकाएं लंबित हैं तो फांसी कैसे दी जा सकती है? हाईकोर्ट ने कहा- नहीं रिव्यू कर सकते SC का फैसलाजस्टिस मनमोहन ने कहा कि डेथ वारंट खत्म नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि मामला ‘अंतिम दौर’ में है। वकील एपी सिंह ने राष्ट्रपति, चुनाव आयोग, NHRC के सामने दायर याचिकाओं का जिक्र करते हुए कहा कि लंबित याचिकाओं के रहते कैसे फांसी दी जा सकती है। सिंह ने दोषी अक्षय की पत्नी द्वारा बिहार में दायर तलाक के केस का भी जिक्र किया। इस पर जस्टिस मनमोहन ने पूछा कि वो मुकदमा यहां पर रेलवेंट नहीं है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का रिव्यू नहीं कर सकती। भगवान से मिलने वाला है आपका क्लाइंट, जल्दी कीजिए: हाई कोर्ट दिल्ली हाई कोर्ट ने एपी सिंह से कहा, हम उस समय के करीब हैं जब आपका क्लाइंट भगवान से मिलने वाला है। टाइम मत बर्बाद कीजिए। हम आखिरी वक्त में आपकी मदद नहीं कर पाएंगे अगर आप कोई महत्वपूर्ण प्वॉइंट नहीं उठा सकते। आपके पास केवल 4-5 घंटे हैं। अगर आपका कोई प्वॉइंट है तो बताइए। जस्टिस मनमोहन ने एडवोकेट एपी सिंह से कहा, आपको हमारे साथ फेयर होना पड़ेगा। आप इस वक्त आते हैं जब फांसी होने में 5-6 घंटे होते हैं और अपना प्वॉइंट्स भी नहीं समझा पा रहे हैं। दुर्भाग्य से आपकी याचिका का कोई कानूनी आधार नहीं है। एपी सिंह ने जोर देकर कहा कि उसके क्लाइंट के परिवार के आर्थिक हालातों पर भी गौर किया जाना चाहिए। SC में भी लगाई है याचिकावहीं, एक दोषी पवन गुप्ता के वकील ए पी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी गई है। बताया जा रहा है कि मामले पर देर रात सुनवाई हो सकती है। उल्लेखनीय है कि आज ही सुप्रीम कोर्ट ने अक्षय ठाकुर की याचिका खारिज की थी जिसमें उसने भी इसी तरह राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका दूसरी बार खारिज करने को चुनौती दी थी।उधर, दोषी के वकील ए पी सिंह जॉइंट रजिस्ट्रार के घर पर किदवई नगर में मामले की सुनवाई के अनुरोध करने के लिए पहुंचे हैं। वैसे तो इस केस में अब कुछ नहीं बचा और उनके कानूनी उपाय खत्म हो चुके हैं। अगर कोर्ट यह याचिका स्वीकार कर लेती है तो संभव है कि देर रात इस पर सुनवाई कर दी जाए क्योंकि 20 मार्च की सुबह ही तीनों को फांसी दी जाएगी। अफजल के बाद तिहाड़ में फांसी, तैयारी पूरीआतंकवादी अफजल गुरु को फांसी देने के सात साल बाद तिहाड़ जेल ने निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देने की गुरुवार को तैयारी की गई। इस दौरान जेल नियमावली के तहत कई पुतलों को लटका कर देखा गया। तिहाड़ जेल में पहली बार एक साथ चार लोगों को फांसी दी जाएगी। दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जेल में 16,000 से अधिक कैदी हैं। जेल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मेरठ से जल्लाद पवन मंगलवार शाम तिहाड़ जिला प्रशासन के पास पहुंच गया था ताकि फांसी की तैयारी की जा सके। जेल नियमावली के अनुसार जेल अधीक्षक को फांसी से एक दिन पहले रस्सियों का टिकाऊपन और फांसी के तख्त की मजबूती जांचनी होती है। इसके बाद कैदियों के वजन से डेढ़ गुना ज्यादा भारी पुतलों या रेत के बैग को रस्सी की मजबूती जांचने के लिए 1.830 मीटर और 2.440 मीटर की ऊंचाई से फेंका जाता है। दिल्ली जेल नियम 2018 के तहत फांसी के समय अधीक्षक, उपाधीक्षक, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, निवासी चिकित्सा अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट का वहां मौजूद होना आवश्यक है। उसने कहा कि कॉन्स्टेबल 10 से कम नहीं, हेड वार्डर और दो हेड कॉन्स्टेबल, हेड वार्डर या इस संख्या में जेल सशस्त्र गार्ड भी मौजूद होंगे। फांसी होते समय कैदियों के परिवार को वहां मौजूद रहने की अनुमति नहीं होती। Post Views: 237