दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिशहर और राज्य

MP: कल होगा कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट, SC का आदेश- हाथ उठाकर हो वोटिंग…

नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज मध्य प्रदेश में जारी सियासी संकट पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि मध्यप्रदेश में कल यानि 20 मार्च को विधानसभा में बहुमत परीक्षण होगा। कोर्ट का आदेश है कि उसी दिन फ्लोर टेस्ट हो हाथ उठा कर मतदान हो और उसकी वीडियोग्राफी भी हो। कोर्ट ने कहा कि 16 विधायक अगर बहुमत परीक्षण में आना चाहते है तो कर्नाटक डीजीपी और मध्यप्रदेश डीजीपी उन्हें सुरक्षा मुहैया कराए।
सुनवाई में स्पीकर के वकील मनु सिंघवी ने दलील दी, सिर्फ फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है। स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है। दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना ज़रूरी। अब इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है। 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी। नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे।
सिंघवी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट भी स्पीकर के विवेकाधिकार में दखल नहीं दे सकता। सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता तय करने का अधिकार है। अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता। स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता। इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपना शुरू कर दिया। वैसे तो कोर्ट को स्पीकर के लिए कोई समय तय नहीं करना चाहिए। स्पीकर को समय दिया देना चाहिए। लेकिन फिर भी आप कह दीजिए कि उचित समय मे स्पीकर तय करे तो वह 2 हफ्ते में तय कर लेंगे।
सिंघवी ने कहा, आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं। बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं। ऐसा किये बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए। अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया?

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने पूछा- MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं?
सिंघवी ने कहा, हां
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने पूछा, तब वोटर से मिलने की दलील का क्या मतलब रह गया?
सिंघवी ने जवाब दिया- दिग्विजय महत्वपूर्ण नहीं है, मैं MLA को बंधक रखने की बात पर जिरह कर रहा हूं।
बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने कहा, हमें कोर्ट के सभी सुझाव मंजूर हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, हम सुनिश्चित करते हैं कि वे बैंगलोर में एक निष्पक्ष स्थान पर जाएं, और एक पर्यवेक्षक नियुक्त करें। इस्तीफे या अयोग्यता का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध? उसे क्यों रोका जाए।
सिंघवी ने इस पर कहा, इससे तय होगा कि नई सरकार में अपनी पार्टी से विश्वासघात करने वाले MLA को क्या मिल सकेगा। कर्नाटक मामले में कोर्ट ने स्पीकर के इस्तीफों पर फैसला लेने की कोई समय सीमा भी तय नहीं की थी।जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, लेकिन इसके चलते फ्लोर टेस्ट को देर से करवाने की कोई इजाज़त कोर्ट ने नहीं दी थी। हमने यह भी कहा था कि विधायक सदन की कार्रवाई में जाने या न जाने का फैसला खुद ले सकते हैं।
सिंघवी ने कहा, कर्नाटक में एक अविश्वास प्रस्ताव था। यहां भी यह लोग लेकर आएं। स्पीकर प्रक्रिया के मुताबिक उसको देखेंगे। सिंघवी ने बागी विधायकों की तरफ से रखे गए कागज़ात पर सवाल उठाया।
बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, एक केस में AOR ने मरे हुए आदमी के नाम से हलफनामा दाखिल कर दिया था। इसमें क्लाइंट की कोई गलती नहीं होती। कागज़ पर तकनीकी सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं।