दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़शहर और राज्य मंत्री समूह का निर्देश- चिकित्सकों के परामर्श पर ही दी जाये हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन 9th April 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: देश भर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के प्रकोप से निपटने के लिये जारी देशव्यापी अभियान की नियमित समीक्षा और निगरानी के लिये स्वास्थ्य मंत्री डा हर्षवर्धन की अगुवाई में गठित मंत्री समूह (जीओएम) ने बृहस्पतिवार को वायरल रोधी दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के सीमित इस्तेमाल की जरूरत पर बल देते हुये निर्देश दिया है कि सिर्फ चिकित्सकों के परामर्श पर ही यह दवा मरीजों को दी जाये। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिये किये जा रहे उपायों की समीक्षा के लिये आहूत जीओएम की बैठक में स्पष्ट निर्देश दिया गया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल सिर्फ चिकित्सकीय परामर्श पर ही हो। मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार जीओएम ने हृदय रोगों से पीड़ित मरीजों के लिये यह दवा नुकसानदायक साबित होने के खतरों को सार्वजनिक तौर पर अवगत कराने का भी निर्देश दिया है।गौरतलब है कि भारत में मलेरिया सहित अन्य वायरल जनित बुखार में इस्तेमाल होने वाली इस दवा के प्रयोग को कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सीमित कर दिया गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के कारगर होने के बारे में अब तक पुख्ता वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं होने के कारण स्वास्थ्य मंत्रालय लोगों को ऐहतियात के तौर पर इस दवा का सेवन नहीं करने की लगातार अपील कर रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर) ने भी यह दवा सिर्फ चिकित्साकर्मियों और संक्रमण के संदिग्ध मरीजों को ही देने की अनुशंसा की है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की मांग के अनुरूप उपलब्धता को लेकर बैठक में जीओएम ने संतोष व्यक्त किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने जीओएम को देश में इस दवा का पर्याप्त भंडार उपलब्ध होने की जानकारी दी।बैठक में कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों की भी राज्य वार समीक्षा की गयी। इसके अलावा संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लागू किये गये लॉकडाउन को प्रभावी बनाने के लिये राज्य और केन्द्र सरकार के समन्वय से किये जा रहे उपायों पर जीओएम ने संतोष व्यक्त किया। इस बीच मंत्रालय ने कन्या भ्रूण हत्या को रोकने वाले कानून ‘गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम’ पीसीपीएनडीटी) के कुछ प्रावधानों में कोरोना संकट के मद्देनजर ढील दिये जाने संबंधी मीडिया रिपोर्टों को खारिज करते हुये स्पष्ट किया कि मंत्रालय द्वारा इस तरह कोई फैसला नहीं किया गया है।उल्लेखनीय है कि माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य बृंदा करात ने मंगलवार को डॉ.हर्षवर्धन को पत्र लिखकर यह मामला उठाते हुये कहा था कि पीसीपीएनडीटी कानून के प्रावधानों में ढील दिये जाने से अवैध तौर पर प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण कराये जाने का खतरा बढ़ गया है। मंत्रालय द्वारा जारी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि कोरोना संकट के मद्देनजर चार अप्रैल को जारी अधिसूचना में प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण को रोकने वाले प्रावधानों में कोई ढील नहीं दी गयी थी, सिर्फ डायग्नोस्टिक सेंटर के लाइसेंस का नवीनीकरण करवाने संबंधी नियमों में लॉकडाउन के मद्देनजर कुछ समय के लिये ढील दी गयी है। Post Views: 194