दिल्लीशहर और राज्यसामाजिक खबरें

अद्भुत नजारा: पीएम मोदी ने शेयर किया बारिश में नहाते मोढेरा के प्राचीन सूर्य मंदिर का मनोरम वीडियो…

नयी दिल्ली: बारिश के बीच गुजरात के मोढेरा में स्थित प्रसिद्ध सूर्य मंदिर अद्भुत छटा बिखेर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर को नहलातीं बारिश की बूंदों का मनोरम वीडियो बुधवार को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया। उन्होंने लोगों से मंदिर के इस मनोरम दृश्य पर एक नजर डालने को भी कहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिर का वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट कर कहा- बारिश के दिनों में मोढ़ेरा का प्रतिष्ठित सूर्य मंदिर शानदार दिख रहा है। आप भी इस पर एक नजर डालिए। प्रधानमंत्री द्वारा वीडियो शेयर करने के बाद दो घंटे में ही इसे एक लाख 30 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक किया।
बता दें कि, यह प्रसिद्ध सूर्य मंदिर गुजरात के मेहसाना जिले में पुष्पावती नदी के किनारे, पाटन से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुंडेरा गांव में स्थित है। मंदिर अपनी अनोखी स्थापत्य कला के कारण श्रद्धालुओं का मन मोह लेता है। बगैर चूने के प्रयोग से यह मंदिर बना है। पाटन से करीब 30 किलोमीटर दक्षिण में मोढेरा स्थित है।
इस मंदिर का निर्माण सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम ने सन् 1026-1027 ई. में कराया था। भारतीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में आने वाले यह प्रसिद्ध मंदिर ईरानी शैली में बना है। गर्भगृह और सभामंडप के दो हिस्सों में मंदिर बंटा है। सभामंडप के स्तंभों पर रामायण और महाभारत के प्रसंगों को दिखाया गया है।

विश्व में प्रसिद्ध है मोढ़ेरा सूर्य मंदिर, राम को मिली थी पाप से मुक्ति
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण सम्राट भीमदेव सोलंकी प्रथम (ईसा पूर्व 1022-1063 में) ने करवाया था। इस आशय की पुष्टि एक शिलालेख करता है जो मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर लगा है, जिसमें लिखा गया है (विक्रमी सम्वत् 1083 अर्थात-1025-1026) ईसा पूर्व) यह वही समय था जब सोमनाथ और उसके आसपास के क्षेत्रों को विदेशी आक्रांता महमूद गजनी ने अपने कब्जे में कर लिया था। गजनी के आक्रमण के प्रभाव के अधीन होकर सोलंकियों ने अपनी शक्ति और वैभव को गंवा दिया था। सोलंकी साम्राज्य की राजधानी कही जाने वाली ‘अहिलवाड़ पाटण’ भी अपनी महिमा, गौरव और वैभव को गंवाती जा रही थी जिसे बहाल करने के लिए सोलंकी राज परिवार और व्यापारी एकजुट हुए और उन्होंने संयुक्त रूप से भव्य मंदिरों के निर्माण के लिए अपना योगदान देना शुरू किया।
सोलंकी ‘सूर्यवंशी’ थे, वे सूर्य को कुल देवता के रूप में पूजते थे, अत: उन्होंने अपने आद्य देवता की आराधना के लिए एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निश्चय किया और इस प्रकार मोढ़ेरा के सूर्य मंदिर ने आकार लिया।
भारत में तीन सूर्य मंदिर हैं जिसमें पहला उड़ीसा का कोणार्क मंदिर, दूसरा जम्मू में स्थित मार्तंड मंदिर और तीसरा गुजरात के मोढ़ेरा का सूर्य मंदिर शामिल है। शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करने वाले इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पूरे मंदिर के निर्माण में जुड़ाई के लिए कहीं भी चूने का उपयोग नहीं किया गया है। ईरानी शैली में निर्मित इस मंदिर को भीमदेव ने दो हिस्सों में बनवाया था। पहला हिस्सा गर्भगृह का और दूसरा सभामंडप का है। मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट और 9 इंच तथा चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है।
मंदिर के सभा मंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर बेहतरीन कारीगरी से विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों और रामायण तथा महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वे अष्टकोणाकार तथा ऊपर की ओर देखने पर वे गोल दृश्यमान होते हैं।
इस मंदिर में अब मात्र सूर्य देव की प्रतिमा मौजूद है। ऐसा माना जाता है। इस मंदिर में जो प्राचीन काल में प्रतिमा बनाई गई थी। वह शुद्ध सोने की बनी हुई थी। सूर्यदेव के लिए एक रथ भी बनाया गया था। इस रथ के लिए सात घोड़े बने हुए थे। उस समय इस रथ में सूर्य भगवान की प्रतिमा मौजूद थी। इस मंदिर पर सूर्य की पहली किरण पड़ती है। तब यह मंदिर अद्भुत दिखाई देता है।