महाराष्ट्रमुंबई उपनगरमुंबई शहरराजनीतिशहर और राज्य अर्नब गोस्वामी मामले पर महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक 6th November 2020 networkmahanagar 🔊 Listen to this अर्नब की अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई शनिवार तक के लिए टली… मुंबई: रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी मामले पर महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने विशेषाधिकार हनन मामले में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने विधानसभा सचिव को नोटिस भी जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज पूछा कि रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की याचिका के संबंध में महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना का कारण बताओ नोटिस जारी क्यों नहीं किया जा सकता है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अर्नब गोस्वामी को उनके मामले के खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की आलोचना के लिए अर्नब के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था. अर्नब गोस्वामी को बुधवार की सुबह मुंबई के लोअर परेल स्थित उनके घर से गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रखा गया है. अर्नब की अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई टलीअर्णब गोस्वामी की अर्जी पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई शनिवार तक के लिए टल गई है. मामले में कल 12 बजे सुनवाई होगी. अर्जी पर शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान जस्टिस ने पूछा कि क्या मजिस्ट्रेट के आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी गई है, इस पर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा- हां. जस्टिस ने कहा कि हम ये नहीं जानते कि सेशन कोर्ट का क्या फैसला होगा. इस पर साल्वे ने कहा कि मेरा मुवक्किल जेल में है. साल्वे ने कहा, मैं कुछ वजह से आदेश दिखाना चाहता हूं क्योंकि CJM ने नोट किया कि मामले को फिर से खोलने के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई है.उन्होंने कहा कि राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने विधानसभा में आरोप लगाया था कि आत्महत्या के लिए अर्नब जिम्मेदार था. यहीं से पूरा मामला शुरू होता है. अर्णब गोस्वामी को एक विशेषाधिकार नोटिस भी जारी किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने आज विधानसभा सचिव को पत्र के लिए अवमानना नोटिस जारी किया है. उन्होंने कहा कि पुलिस एक ऐसे पुलिस रिमांड को पाना चाहती है, जिसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अस्वीकार कर दिया था.साल्वे ने आगे कहा कि यह मायने नहीं रखता कि आदेश चुनौती के अधीन है या नहीं? सीजेएम ने रिकॉर्ड और केस डायरी देखने के बाद आदेश पारित किया. साल्वे ने कहा कि सीजेएम ने अपने आदेश में कहा है ‘ऐसा लगता है कि आरोपी (अर्नब गोस्वामी) की गिरफ्तारी अवैध है’ उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अनिल देशमुख ने विधानसभा में कहा कि अन्वय नाइक की आत्महत्या अर्णब गोस्वामी द्वारा बकाया राशि का भुगतान न करने के कारण हुई थी. मेरा सवाल है क्या निर्णय लेने के लिए मंत्री न्यायपालिका से ऊपर है? साल्वे ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह राज्य सरकार बदले की भावना से काम कर रही है.गौरतलब है कि अर्नब गोस्वामी को 53 साल के इंटीरियर डिजाइनर को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बुधवार को गिरफ्तार किया गया था.साल्वे ने कहा कि शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि अगर किसी का नाम सुसाइड नोट में है तो उसे जेल में डाल देना चाहिए. मैं कानून नहीं जानने के लिए राउत को दोष नहीं दूंगा. लेकिन मैं न्यायालय को कुछ फैसले दिखाऊंगा. किसी ने भी यह नहीं बताया कि आरोपी और मृतक के बीच कोई व्यक्तिगत संबंध था. यह एक कारोबारी लेनदेन था. समस्या यह नहीं हो सकती है कि अर्णब टीवी चैनल पर वापस जाएगा और चिल्लाएगा और मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ आरोप लगाएगा. वह निश्चित रूप से होगा, लेकिन ये सब उसे हिरासत में रखने का कोई आधार नहीं है. जस्टिस शिंदे ने अर्णब के वकील आबाद पोंडा से पूछा कि क्या मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत अर्जी दी गई थी. पोंडा ने बताया जमानत की अर्जी वापस ले ली गई क्योंकि सीजेएम ने कोई विशेष तारीख नहीं दी और इसे उचित समय के बाद के लिए रख दिया था. जस्टिस शिंदे ने पूछा सामन्यतः याचिकाकर्ता को किस अदालत में जाना चाहिए था तो आबाद पोंडा ने कहा मजिस्ट्रेट कोर्ट में. भाजपा विधायक राम कदम ने दिया मंत्रालय के बाहर धरनाअर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी के खिलाफ मंत्रालय के बाहर धरने पर बैठे भाजपा विधायक राम कदम समेत चार लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. पुलिस के मुताबिक सभी लोग बिना इजाजत धरने पर बैठे थे. हालांकि बाद में मरीन ड्राइव पुलिस ने सभी को रिहा कर दिया. डीसीपी शशिकुमार मीना के मुताबिक राम कदम और उनके साथ विरोध प्रदर्शन करने वालों को इसलिए हिरासत में लिया गया, क्योंकि वे बिना इजाजत ऐसा कर रहे थे. सभी को मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन ले जाया गया, बाद में उन्हें घर जाने की इजाजत दी गई. आत्महत्या के लिए उकसाने के दो साल पुराने मामले में अर्णब गोस्वामी की रायगढ़ पुलिस द्वारा गिरफ्तारी का विरोध कर रहे विधायक राम कदम ने अर्नब को तुरंत रिहा किए जाने की मांग की. फिलहाल अर्णब 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में हैं.राम कदम ने कहा कि वे अघोषित आपातकाल के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठे थे, लेकिन पुलिस उन्हें जबरन अपने साथ ले गई और भूख हड़ताल खत्म करने पर मजबूर किया. इससे पहले राम कदम ने मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से भी मुलाकात की थी और मांग की थी कि अर्णब के साथ मारपीट करने वाले नौ पुलिस वालों को निलंबित किया जाए. Post Views: 206