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दिल्ली: विदेशी नागरिकों को निशाना बनाने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, 8 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी करने वाले 17 गिरफ्तार

नयी दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने विदेशियों को निशाना बनाने वाले फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. गिरोह के 17 सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इस फ़र्ज़ी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, ये लोग माइक्रोसॉफ्ट टेक्निकल सपोर्ट के नाम पर विदेशियों को अपनी जालसाज़ी का शिकार बनाया करते थे. पुलिस के मुताबिक दिल्ली के राजौरी गार्डन इलाके में चल रहा ये कॉल सेंटर हज़ारों विदेशी नागरिकों को अपनी जालसाज़ी का शिकार बना चुका है.

पुलिस के मुताबिक, इस कॉल सेंटर के लोग विदेशी नागरिकों को कंप्यूटर पर ‘पॉप अप’ भेजा करते थे और उन्हें ये बताते थे कि आपके कंप्यूटर में वायरस आ गया है जिससे आपका कंप्यूटर हैक हो सकता है और फिर माइक्रोसॉफ्ट टेक्निकल सपोर्ट का झांसा देकर धोखाधड़ी कर दिया करते थे. दरअसल दिल्ली पुलिस की साइबर सेल को एक शिकायत मिली थी. इसमें कहा गया था कि दिल्ली के राजौरी गार्डन में एक ऐसा कॉल सेंटर चल रहा है जो माइक्रोसॉफ्ट टेक्निकल सपोर्ट के नाम पर विदेशी नागरिकों को अपनी जालसाज़ी का शिकार बना रहा है. शिकायत मिलने के बाद साइबर सेल ने केस दर्ज कर जांच शुरू की और टेक्नोलॉजी की मदद से नंबरों की तलाश करते हुए लेनदेन के स्रोत का पता लगाया और उस जगह पहुंच गई जहां से ये फर्ज़ी कॉल सेंटर चलाया जा रहा था.

3 साल से चला रहा था कॉल सेंटर
पुलिस ने राजौरी गार्डन में बने कॉल सेंटर में छापा डाला. पुलिस के मुताबिक छापेमारी के वक्त भी ये जालसाज़ एक अमेरिकी डॉक्टर को अपने जाल में फंसा रहे थे. पुलिस ने अमेरिकी नागरिक को इनकी जालसाज़ी के बताया और उसे शिकार होने से बचाया. पुलिस की जांच में सामने आया है कि इस कॉल सेंटर का सरगना साहिल करीब 3 साल से कॉल सेंटर चला रहा था.

पॉप अप भेजकर देते थे झांसा
जांच के दौरान पता चला कि ये विदेशी नागरिकों को POP-UPS भेजते थे. इसमें ये संदेश दिया गया होता था कि उनके कंप्यूटर में वायरस घुस चुका है…मैसेज में सहायता के लिए नंबर भी हुआ करते थे…जब इनके मैसेज के झांसे में आया शख्स दिए गए नंबर पर कॉल करता तो कॉल सेंटर के लोग माइक्रोसॉफ्ट के टेक्निकल सहायक बनकर उनके कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस ले लिया करते थे. फिर ये कहकर डराते थे कि कंप्यूटर में आए वायरस की वजह से कंप्यूटर की जानकारी लीक हो सकती जिसको दूर करने के लिए पैसे देने होंगे.

विदेशी कंपनियों के जरिये आता था पैसा
पैसे का भुगतान अमेरिका और कनाडा की फर्जी कंपनी में होता था, जहां से होते हुए पैसा आरोपी के अकाउंट में आ जाता था. पुलिस के मुताबिक अभी तक कि जांच में पता चला है कि इस गैंग ने 11 अक्टूबर 2019 से 5 नवम्बर 2020 के बीच यूएस और कनाडा के 2268 लोगों के साथ 8 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है. फिलहाल पुलिस ने इनके पास से 20 कंप्यूटर बरामद किए है. मामले में कॉलर समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.