दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़महाराष्ट्रमुंबई शहरव्यवसायशहर और राज्य SC का फैसला- बिल्डर ने एग्रीमेंट के मुताबिक फ्लैट नहीं दिया तो ब्याज समेत लौटाने पड़ेंगे पैसे 13th January 2021 networkmahanagar 🔊 Listen to this नयी दिल्ली: अगर आप भी घर खरीदने की सोच रहे हैं तो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आपके लिए बेहद अहम खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि घर खरीदार एक तरफा शर्त मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस इंदु मलहोत्रा की पीठ ने बुधवार को अपने फैसले में साफ कहा कि बिल्डर का एकतरफा करार और मनमानी अब नहीं चलेगी, क्योंकि जब घर खरीदार किस्तें या बकाया रकम देने में मजबूर होता है तो बिल्डर उस पर जुर्माना लगाता है और भुगतान करने को बाध्य करता है, लेकिन बिल्डर समय पर घर का पजेशन यानी कब्जा न दे तो उस पर जुर्माना क्यों नहीं? बिल्डर ने एग्रीमेंट के अनुसार फ्लैट नहीं देता है तो उसे ब्याज सहित पूरे पैसे लौटाने होंगे।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में दो-टूक कहा कि अगर समय पर खरीदार को करार की शर्तों के अनुसार घर नहीं मिलता है तो बिल्डर को पूरी जमा राशि 9 फीसदी ब्याज की रकम के साथ लौटाना होगा। आदेश नहीं माना तो लगेगा 12 फीसदी ब्याजSC ने मामले में बिल्डर के खिलाफ सख्त रुख दिखाते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने की सूरत में घर खरीदार याचिकाकर्ता को पूरी राशि यानी 1 करोड़ 60 लाख रुपए 12 फीसदी ब्याज के साथ चुकाने होंगे। दिलचस्प बात ये है कि कोर्ट का ये फैसला डेवलपर की याचिका पर आया है, जिसमें उसने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के सामने थे 4 मुद्देकब्जा देने के लिए 42 महीने की अवधि को कब से माना जाए, बिल्डिंग प्लान की मंजूरी के दिन से या फिर फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट मिलने के दिन से?क्या बिल्डर बायर एग्रीमेंट की शर्तें एक तरफा और बिल्डर के हित में हैं?क्या रेरा के होते हुए भी कोई घर खरीदार उपभोक्ता अदालत में जा सकता है?क्या प्रोजेक्ट में देरी होने को आधार बनाकर घर खरीदार एग्रीमेंट को रद्द कर अपने पैसे ब्याज समेत वापस ले सकता है? दूसरे प्रोजेक्ट में बिल्डर दे रहा था घरबिल्डर ने घर खरीदार को ऑफर दिया था कि वह दूसरे प्रोजेक्ट में घर ले ले, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये घर खरीदार की मर्जी पर निर्भर करता है, वह बिल्डर की बात मानने के लिए बाध्य नहीं है। इसे उपभोक्ता कानून 1986 के तहत गलत बताया गया और इस तरह की शर्त को एग्रीमेंट में डालने को धारा 2(1) (R) के खिलाफ बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा कि घर खरीदार रेरा के साथ-साथ उपभोक्ता अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकता है। खरीदार मजबूर नहीं: सुप्रीम कोर्टसुनवाई के दौरान बिल्डर ने घर खरीदार को ऑफर दिया था कि वह दूसरे प्रोजेक्ट में घर ले ले, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये घर खरीदार की मर्जी पर निर्भर करता है। वह बिल्डर की बात मानने को मजबूर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे उपभोक्ता कानून 1986 के तहत गलत बताया गया और इस तरह की शर्त को एग्रीमेंट में डालने को धारा 2(1) (R) के खिलाफ बताया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा कि घर खरीदार रेरा के साथ-साथ उपभोक्ता अदालत का दरवाजा भी खटखटा सकता है। Post Views: 181